जगदलपुर रेंज के डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर पर बस्तर में वन विभाग की इतनी मेहरबानी क्यों…

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जगदलपुर… अगर हम शासकीय विभागों में भ्रष्टाचार की बात करें तो कोई नई बात नहीं है फर्क बस इतना सा है कि विभागों में भी भ्रष्टाचार के आपसी कंपटीशन चल रहे हैं कोई विभाग इस मामले में आगे है तो कोई विभाग पीछे है और पीछे चल रहा विभाग भ्रष्टाचार की रेस में आगे निकलने जी तोड़ मेहनत भी कर रहे हैं l
….. वैसे वन विभाग तो अपने भ्रष्टाचार भरे कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहता ही है बस्तर जैसे वनों से आच्छादित क्षेत्रों में वन विभाग के अधिकारियों को चांदी काटने के कई भरपूर अवसर मिलते रहते हैं बस्तर में पदस्थापना होना ही जुगाड़ का खेल शुरू होने का पहला पड़ाव होता हैैैैl l


….. ऐसे ही सेटिंग बाजी के खेल में शानदार उदाहरण बनकर पिछले कुछ सालों से एक डिप्टी रेंजर रेंजर बनकर बड़े-बड़े खेल खेल रहा है हम बात कर रहे हैं बस्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले जगदलपुर रेंज के डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर देवेंद्र वर्मा की…


… साहब वैसे तो डिप्टी रेंजर हैं लेकिन जुगाड़ ऐसा जमाया कि सीधे रेंजर बन बैठे हैं सेटिंग बाजी के खेल में खुद के विभाग में साहब तो सबसे बड़े उदाहरण बन चुके हैं सेटिंग बाजी के इसी रेस के जुगाड़ के कारण साहब डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर देवेंद्र वर्मा पिछले 4 वर्षों से जगदलपुर रेंज में रेंजर के पद पर पदस्थ हैं खुद के विभाग के बड़े अधिकारियों के साथ सेटिंग के चलते डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर साहब पर विभागीय मेहरबानी बरस रही है विभागीय सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि जब जगदलपुर रेंज के तत्कालीन रेंजर स्वर्गीय श्री राव का देहावसान हुआ था तब मार्च अकाउंट समाप्त होते-होते जगदलपुर रेंज में 25 से 30 लाख का खेल खेला गया था तब जनवरी के महीने में डिप्टी रेंजर साहब ने जुगाड़ जमाकर बस्तर वन मंडल में अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले जगदलपुर रेंज जैसे जुगाड़ वाली जगह में अपनी सेटिंग बाजी से रेंजर का पद हासिल किया था जिस पर डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर साहब पिछले 4 वर्षों से कब्जा जमाए बैठे हैं जिन पर विभाग के शीर्ष अधिकारियों की मेहरबानियां बरस रही हैं l


… जब एक फुल टाइम रेंजर पर भी एक जगह पर कुर्सी बचाए रखना वन विभाग में एक बड़ी चुनौती है ऐसे में भी एक डिप्टी रेंजर का लगातार 4 वर्षों से एक ही जगह पर रेंजर बनकर बैठना बहुत बड़ी बात है विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी सेटिंग बाजी के खेल के लिए इसी डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर का उदाहरण अक्सर विभाग के लोगों को देते रहते हैं सिविल सेवा अधिनियम के तहत तो एक कर्मचारी एक जगह पर
नियमत: 3 वर्षों से अधिक नहीं रहना चाहिए…लेकिन विभागीय मेहरबानी के चलते एक डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर पिछले 4 वर्षों से एक ही जगह पर रेंजर जैसे महत्वपूर्ण पद पर कब्जा जमाए बैठा है और विभागीय अधिकारी डिप्टी रेंजर पर मेहरबानी करने में मशगूल हैं वैसे तो विभाग में ऐसे कई डिप्टी रेंजर हैं जो रेंजर के प्रभार लेने की मंशा मन में दबाए बैठे हैं लेकिन विभाग के अधिकारी तमाम प्रयासों के बावजूद एक डिप्टी रेंजर उर्फ रेंजर पर कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखा रहे हैं जिसको लेकर विभाग के डिप्टी रेंजरो में भी नाराजगी देखी जा रही है
विभाग के अधिकारी ही अगर नियम कायदों को दरकिनार कर इस तरीके से एक डिप्टी रेंजर पर इतना उपकार करते हैं तो विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है
डिप्टी रेंजर साहब उर्फ रेंजर साहब की कारस्तानीयों का काला चिट्ठा हम अगले अंक में जरूर खोलने का प्रयास करेंगे