बस्तर में शांति व्यवस्था बहाल करने पुलिस कैंप मददगार साबित होगी – आईजी

0
233

केन्द्र एवं राज्य सरकार का उद्देश्य शांति के साथ-साथ बस्तर का विकास करना

कैम्प खोले जाने से जनताना सरकार में खलबली मची

सिलगेर मुठभेड़ में ग्रामीण नहीं नक्सली मारे गये

नवीन गुप्ता/अर्जुन झा जगदलपुर – बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकार का उद्देश्य बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाको में कैम्प की स्थापना कर नक्सलवाद का खात्मा करना एवं बस्तर में शांति के साथ विकास करना है। इसके लिए केन्द्रीय सुरक्षा बल एवं राज्य के पुलिस बेहतर तालमेल के साथ काम कर रहे है। उन्होंने बताया कि बिहड़ों में कैम्पों की स्थापना से पुलिस नक्सलियों के मांद में पहुंच रही है इससे नक्सलियों का क्षेत्र सिमटता जा रहा है। नक्सली क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए ग्रामीणों को आगे कर कैम्प का विरोध कर रहे है जिसका मुख्य उदाहरण सिलगेर है। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ में सिलगेर के ग्रामीण नहीं मारे गये है मारे गये नक्सल संगठन के सदस्य।

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि सुकमा जिले के संवेदनशील क्षेत्र जहां नक्सलियों का साम्राज्य चलता है उस क्षेत्र के सिलगेर में 12 मई को कैम्प खोला गया था। कैम्प खोले जाने के बाद 12 से 16 मई के बीच ग्रामीण विरोध कर रहे थे।

This image has an empty alt attribute; its file name is JHA-3.jpg

पुलिस के अधिकारी वहां के ग्रामीणों को समझाने में लगभग कामयाब हो गये थे। ग्रामीण की मांग के अनुरूप सड़क, बिजली, पानी,स्कूल खोलने का आश्वासन भी दिया जा चुका था। इसकी भनक नक्सल संगठन के लोगों तक पहुंचते ही जगरगुण्डा,तरम, बासागुम सहित आसपास के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण 17 मई को उपस्थित हुए। इसी भीड़ में कई बड़े नक्सली नेता भी मौजूद थे जो ग्रामीणों को आगे कर इनके बीच में पहुंचे थे। नारेबाजी के साथ-साथ नक्सल संगठन से जुड़े लोगों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके बचाव में पुलिस जवानों को फायरिंग करना पड़ा इस फायरिंग में तीन नक्सली सहयोगी मारे गये थे।

उन्होंने बताया कि मारे गये ग्रामीण सिलगेर के नहीं है वह दूसरे गांव के नक्सली सहयोगी थे जो नक्सलियों के बड़े नेताओं के इशारे पर पुलिस कैम्प में हमला करने पहुंचे थे। आईजी ने बताया नक्सली नेता के द्वारा पुलिस कैम्प को आग के हवाले करने का भी प्रयास किया गया था।

नक्सली ग्रामीणों को बनाया हथियारः

बस्तर आईजी ने बताया कि जगरगुण्डा, बासागुड़ा, मद्देड़ क्षेत्र में सक्रिय दर्जनों नक्सली संगठन ग्रामीणों पर दबाव बनाकर कैम्प खोलने का विरोध करवा रहे है। विरोध में सिलगेर के नहीं दूसरे गांव के लोग पहुंचे है जो ग्रामीणों को आगे कर अपना वर्चस्व हासिल करना चाहते है।

उन्होंने बताया कि कैम्प की स्थापना से जिला मुख्यालय की दूरी भी कम हुई है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आसानी से जिला मुख्यालय पहुंचकर आसानी से काम करा पाते है।

उन्होंने बताया कि कैम्प खोले जाने के बाद से बासागुड़ा, जगरगुण्डा सहित कई नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों का निर्माण हुआ है और उन इलाकों में लोगों का आवागमन बढ़ा है,नक्सलियों का साम्राज्य कम हुआ है।

स्कूल बच्चे भी आंदोलन में शामिल: बस्तर आईजी ने बताया कि मुखबीर से चूना मिली है कि पोटाकेबिन में रहने वाले बच्चे भी सिलगेर कैम्प का विरोध करने पहुंचे है। पुलिस को ऐसी सूचना मिली है कि उन बच्चों पर नक्सल संगठन का दबाव था जिसके कारण से सिलगेर आंदोलन में शरीक हुए है। ऐसे दर्जनों बच्चों को नक्सली ब्रेनवास कर नक्सल संगठन में जोडनने का दबाव भी बना रहे है जिसका लेकर उनके परिजनों में भी दहशत का माहौल है।

This image has an empty alt attribute; its file name is MATH1-2.jpg

उन्होंने बताया कि ऐसे छात्रों को पहचान कर मामला शांत होते ही बिहडों से बाहर निकालकर पोटाकेबिन पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा ताकि कलम के बदले बंदूक पकड़ने से रोका जा सके।

सिलगेर कांड शांत कराने का प्रयास जारी: आईजी ने बताया कि सिलगेर घटन की निष्पक्ष जांच कराई जायेगी। मौके पर काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित होने एवं कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल जांच प्रारंभ नहीं कराया जा सका है। मामला शांत होने के बाद मामले की निष्पक्ष जांच होगी और ग्रामीणों को आंदोलन के लिए भड़काने वाले उपद्रवियें पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

उन्होंने बताया कि प्रशासन एवं पुलिस ग्रामीणों से बात कर मामला शांत कराने में जुटे है। प्रशासन द्वारा दिये गये आश्वासन के अनुरूप सिलगेर के ग्रामीण मान गये है,संभवतः एक दो दिन में आंदोलन भी समाप्त हो जायेगा। सिलगेर कैम्प भी संचालित होगा जहां से नक्सली गतिवधियों पर नजर रखते हुए नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन भी चलाया जायेगा।