भिलाई इस्पात संयत्र एवं उसके बंधक खदानों में कार्यरत कर्मियों के लिए कोरोना वायरस महामारी से सम्बंधित निकाले गए परिपत्र के विरोध में संघ का ज्ञापन।

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उपरोक्त विषयान्तर्गत संघ द्वारा आपके समक्ष निम्न तथ्यों के आधार पर संदर्मित प्रपत्र क्रमांक (1) का विरोध करता है –

(1) कोरोना महामारी एक वैश्विक महामारी है लेकिन बीएसपी प्रबंधन के द्वारा संदर्मित प्रपत्र क्रमांक (1) के अध्ययन से ऐसा लगता है कि ये महामारी बीएसपी और उसके बंधक खदानों के कर्मचारियों द्वारा जानबूझ कर किया गया कोई अपराध है। (2) बीएसपी प्रबंधन क्या यह मानता है की कोरोना महामारी किसी भी एरिया में केवल एक बार ही आएगा? अगर ऐसा है तो प्रबंधन एक शपथपत्र जारी करके घोषणा करे कि जिसके परिवार में अथवा जिस एरिया में एक बार कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है या जिस कर्मचारी एवं उसका परिवार एक बार क्वारंटाइन हो चूका है उस कर्मचारी का परिवार अथवा कन्टेनमेंट जोन घोषित उक्त एरिया दुवारा संक्रमित नहीं होगा। और अगर प्रबंधन उक्त शपथपत्र देते हुए ऐसा कोई घोषणा नहीं कर सकता है तो उसे अपने संदर्भित प्रपत्र क्रमांक (1) के कंडिका (1) में उल्लेखित शर्त तत्काल प्रभाव से हटाना चहिये। (3) आज एक तरफ केंद्र सरकार का MHA विभाग 14 डेज क्वारंटाइन की बात करता है लेकिन दुसरे तरफ छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और प्रशासन 28 दिन क्वारंटाइन की बात कर रहा है। अतएव अब बीएसपी प्रबंधन इस बात का नीतिगत निर्णय लेवे की राज्य सरकार के आदेश का पालन उसके क्षेत्र में नहीं होगा और इस नीतिगत निर्णय की लिखित घोषणा करे की 14 दिन क्वारटाइन की ही आवश्यकता है और बीएसपी प्रबंधन छत्तीसगढ़ सरकार के आदेश को नहीं मानता है और अपने सभी प्रभावित कर्मियों को स्पष्ट और कड़ा आदेश देता है कि 14 दिन के पश्चात वे कार्यस्थल पर उपस्थित होवें और अगर स्थानीय राज्य शासन/प्रशासन कोई कानूनी कारवाई करता है तो बीएसपी प्रबंधन सम्बंधित कर्मचारी की जमानत लेगा और उसका केस लडेगा। लेकिन अगर बीएसपी प्रबंधन ऐसा करने में सक्षम नहीं है तो वो अपने संदर्मित प्रपत्र क्रमाक (1) के कंडिका (1) को तत्काल प्रभाव से निष्क्रिय करे और एक बार की बंदिश को हटाए, साथ ही 14 दिन की उल्लेखित अवधि को भी तत्काल प्रभाव से विलोपित किया जाने और राज्य सरकार के द्वारा घोषित अवधि को परिपत्र में जोड़ा जावे। (4) महोदय, दिनाक 21.02.2020 को माननीय केंद्रीय इस्पात मंत्री के राजहरा प्रवास के दौरान जब इस्पात मंत्री महोदय ने “ONE COMPANY, ONE RULE” पर माननीय सेल चेयरमैन से पुछा था तब सेल चेयरमैन ने बीएसपी प्रबंधन के उच्च अधिकारीयों की उपस्थिति में इसका पालन करने की बात की थी। किन्तु संदर्मित प्रपत्र क्रमांक (1) एवं (2) के अध्ययन से यह साफ होता है कि सेल चेयरमैन का उक्त कथन पूर्णतः झूठ एवं ग्रामक था। संदर्मित प्रपत्र क्रमांक (2) में यह स्पष्ट लिखा है कि केंद्र सरकार के MIIA विभाग के दिशा-निर्देशानुसार उक्त परिपत्र के द्वारा कर्मियों की छुट्टियों को नियमित करने का निर्णय परिपत्र में लेखित निर्देशों के मुताबिक किया जावेगा। महोदय संघ यह प्रश्न पूछता है कि जब संदर्मित प्रपत्र क्रमांक (2) को प्रकाशित करने वाली सेंट्रल मार्केटिंग आर्गेनाईजेशन भी सेल की ही एक इकाई है, ऐसे में सेल के विभिन्न इकाईओं द्वारा निकाले गए परिपत्र क्रमांक (1) एवं (2) में इतनी असमानता क्यों? क्या इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि सेल चेयरमैन का कथन पूर्णतः असत्य एवं भ्रामक है? (5) स्टैंडिंग आर्डर (माइंस) में भी महामारी के दौरान कर्मियों को विशेष छुट्टी देने का स्पष्ट प्रावधान है। ऐसे में अगर स्टैंडिंग आर्डर (माइंस) के किसी भी नियम में कोई परिवर्तन करना है तो ऐसा करने से पहले सभी श्रम संगठनों से सहमति और ALC (C)/RLC (C) से अनुमोदन लेना आवश्यक है। ऐसे में संघ यह मांग करता है कि बीएसपी प्रबंधन ने कब श्रम संगठनों से सहमति ली. किन-किन श्रम संगठनों ने सहमति दी और ALC (Cy RLC (C) महोदय ने कब और किस आदेश के तहत ऐसा परिवर्तन करने की अनुमति बीएसपी प्रबंधन को दी इसे सार्वजानिक किया जावे।

उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में संघ यह मांग करता है कि संदर्भित प्रपत्र क्रमांक (1) को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जावे और प्रपत्र क्रमांक (2) के समानांतर पुनः एक संशोधित परिपत्र निकला जावे जिसमे न तो 14 दिन की समय सीमा का उल्लेख हो और न ही एक बार की बन्दिश। साथ ही जो भी कर्मचारी अथवा उसका रिहायशी क्षेत्र (हेड क्वाटर के अंदर) केंद्र/राज्य सरकार के बनाये नियमानुसार क्वारंटाइन में आता है या कन्टेनमेंट जोन में आता है तो ऐसे सभी कर्मियों को केंद्र/राज्य सरकार के बनाये नियमानुसार तय समयसीमा तक की स्पेशल क्वारंटाइन लीव मंजूर की जावे या उक्त सम्पूर्ण अवधि तक प्रभावित कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम की मंजूरी दी जावे।