दल्ली राजहरा – झरनदल्ली कैंटीन के कुव्यवस्था को लेकर बीएमएस ने आरएलसी (सी) के समक्ष आईडी दायर की। मार्च 2019 को प्रबंधन के साथ समझौता हुआ। एक साल बाद भी प्रबंधन ने समझौते के अनुबंधों को पूरा नहीं किया और ये कहा की नए कैंटीन बिल्डिंग में एक साथ पूरी सुविधा देंगे। लेकिन कुछ दिन पहले आधे अधूरे कैंटीन का उद्घाटन किया जिसका बीएमएस ने विरोध किया। कई दौर के बातचीत के बाद 3.05.2020 को लिखित विरोध दायर करते हुए ज्ञापन दिया और उसे आरएलसी (सी) को भी भेजा। कैंटीन के वाश बेसिन में लाल पानी आता था जिसका बीएमएस ने विरोध किया और पानी के सैंपल को बाहर के लैब से टेस्ट कराया तो पाया गया की उक्त लाल पानी बर्तन धोने के लायक भी नहीं। इस पर झरनदल्ली के एक अधिकारी ने अपनी असंवेदनशीलता दिखते हुए यह कहा की ओडिशा के कालाहांडी में तो इससे भी गई-बीती स्थिति है ऐसे में वहां के लोग इससे भी गन्दा पानी पीते हैं। इस बात का जब बीएमएस ने विरोध किया और इसे उक्त अधिकारी के नाम के साथ छापने की बात कही तब कुछ दिनों के लिए प्रबंधन ने बोरडीह से कनेक्शन दे दिया. पीने के पानी के लिए बीएमएस द्वारा आरएलसी (सी) से शिकायत करने के बाद समझौते के अनुबंधानुसार बीएसपी ने बोर खुदाई करवाई जिसमे मिली जानकारी के मुताबिक शायद २-३ इंच पानी मिला है किन्तु नीचे हार्ड रॉक नहीं मिलने के कारण केसिंग की समस्या आ रही है।
झरनदल्ली कर्मियों के लिए सम्मानजनक और सुविधाजनक कैंटीन उपलब्ध कराने की लड़ाई बीएमएस विगत ३ वर्षों से लड़ रही है और आज जब सुविधा उपलब्ध होने के कगार पर आमला पहुँच रहा है तब एक वामपंथी श्रम संगठन के कुछ नेता अपनी रोटी सेकने पहुँच गए और वाहवाही लौटने के लिए फोटो खींचकर प्रेस रिलीज़ करने का ढोंग कर रहे हैं। जब ये लड़ाई शुरू हुई तब ये कहाँ थे? जब आधी अधूरी कैंटीन को शुरू किया गया तब ये चुप क्यों थे? जब पीने के पानी को कुत्ते और बन्दर जूठा करते हे तब केवल बीएमएस ने ही विरोध किया ऐसे समय में ये नेता कहाँ थे और क्यों चुप थे? इन सबका एक ही जवाब है की ये लोग मौकापरस्त हैं और आज के ये नेता कर्मचारी हित के लिए नहीं बल्कि अपनी खुद की गिरती साख को बनाने के लिए बेताब हैं और इसके लिए प्रबंधन के हर गलत कार्यों का भी समर्थन कर रहे हैं।
नाम न बताने की शर्त पर दल्ली/राजहरा खदान में कार्यरत कई कर्मियों ने ये बताया कि इस वामपंथी संगठन के कुछ नेताओं से जब उन्होंने झरनदल्ली कैंटीन के समझौते के अनुरूप सुविधा बाकी जगह भी दिलाने की बात की तब उन्होंने कहा की वे ये सुविधा झरनदल्ली में मिलने नहीं देंगे और ऐसे में आप लोगों को भी नहीं मिलेगा। इसलिए हल्ला मत करिये। भारतीय मजदूर संघ इसे गंभीरता से लेता है और खुला घोषणा करता है कि अगर प्रबंधन तय समय सीमा के अंदर आधे अधूरे कैंटीन को पूरा नहीं करवाता है और समझौते के अनुबंधों के अनुरूप सुविधा मुहैया नहीं करवाता है तो भारतीय मजदूर संघ झरनदल्ली प्रबंधन के खिलाफ कड़े कदम भी उठाने से नहीं चुकेगा और ऐसे कई संवेदनशील मामलों को उजागर करते हुए सरकारी तंत्रों को भी इनसे अवगत करेगा जिससे होने वाले किसी भी नुकसान के ये केवल झरनदल्ली और अजहर खदान समूह प्रबंधन के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।