सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत, संस्थानिक हत्या है- जीत गुहा नियोगी

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दल्ली राजहरा- जन मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जीत गुहा नियोगी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में फर्जी रूप से फंसा कर 9 माह से ज्यादा समय से जेल में बंद रखे गए 84 वर्षीय बीमार बुजुर्ग मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैंन स्वामी अपने खराब स्वास्थ्य में बेहतर इलाज करवाने के लिए जमानत दिए जाने की संवैधानिक मांग करते करते मृत्यु के आगोश में समा गए या कहे की उन्हें तील – तील कर मरने के लिए मजबूर कर दिया गया।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने और सबसे बेहतरीन लिखित संविधान होने का दंभ भरने वाले राष्ट्र के जेल में मानवता, पसंद संविधान और कानून का गहन आस्था रखकर भारतीय समाज के सबसे वंचित तबके आदिवासियों और दलितों के ऊपर होने वाले जुल्मों के खिलाफ शांतिपूर्ण – लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने वाले व इन वंचित तबको के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक 84 वर्षीय बुजुर्ग फादर स्टैंन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत भारत के लोकतांत्रिक – संविधानिक न्यायिक व्यवस्था के माथे पर कलंक है और इसकी जिम्मेदारी केंद्र की सत्ता में पिछ ले 7 वर्षों से बैठी संघी फासिस्ट सरकार के साथ-साथ न्यायपालिका भी है।

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केंद्र में 2014 से जब से संघी फ़ासिस्टों की घोर सांप्रदायिक सरकार आई है तब से इनके द्वारा अपने कट्टर हिंदुत्ववादी, हिंदू राष्ट्र बनाने के एजेंडे को अमलीजामा पहचानने के लिए लोकतांत्रिक-गणतांत्रिक-संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का हर संभव प्रयास करते चल रहे हैं और उनके इस घोर सांप्रदायिक-असंवैधानिक क्रियाकलापों के खिलाफ और विशेषकर इस देश के अति वंचित तबके दलित आदिवासियों मेहनतकश मजदूरों, किसानों, धार्मिक अल्पसंख्यकों के जनवादी नागरिक व संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाले, लिखने-बोलने वाले वह इंसान की फांसिस्टो से असहमति रखने वाले इंसानियत और शांति पसंद सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं कवि, लेखक, प्रोफेसर, वकीलों और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की आवाज को पूरी निरकुशलता से दमन करने इन पर फर्जी मामले दर्ज कर यूएपीए जैसे घोर जनद्रोही कानूनों के सहारे जेलों में बंद रखकर प्रताड़ित किया जा रहा है।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है की भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने के वास्तविक जिम्मेदार आरोपी मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े स्वतंत्र है गुजरात दंगों में सजा पाए बाबू बजरंगी और उसके साथी सजायपतियों को न्यायालय पैरोल पर रिहा करती है। आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर स्वास्थ्य कारणों के आधार पर जमानत पा जाती है और सांसद बनकर संसद का महाकाल उड़ आती है किंतु 84 वर्षीय अत्यंत बीमार बुजुर्ग फादर स्टैंन स्वामी और उनके जैसे बाकी अन्य प्रतिष्ठित कार्यकर्ता जिनके खिलाफ फर्जी सबूतों के आधार पर मामला दर्ज किया गया है उन्हें न्यायालय उनकी समाज के प्रति किए गए बहुमूल्य योगदान उनकी योग्यता और उनकी आयु व बीमारी को ध्यान में रखकर भी उनको जमानत के अधिकार जैसे उनके नागरिक और संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखती है या भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए काला अध्याय है।

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फादर स्टैंन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत इस देश में स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक संस्थाओं के पूरी तरह से ध्वस्त होने की प्रतीक है, उनकी मौत जो की असल में संस्थानिक हत्या है, इस सड़ते हुए संस्थाओं के ऊपर से ढक कर रखे हुए लबादे को खींचकर नग्न कर इसके असंवेदनशील, अलोकतांत्रिक चेहरे को उजागर करती है।

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जनमुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ मेहनतकश जनता अमन और शांति पसंद धर्मनिरपेक्ष ताकतों से अपील करती है की फादर स्टैंन स्वामी की मौत के लिए जिम्मेदारी तय करने और जिम्मेदारों पर कठोर कार्यवाही की मांग भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में फसाकर वर्षों से जेलों में कैद कर रखे गए नागरिक कार्यकर्ताओं की अविलंब रिहाई की मांग यूएपीए जैसे घोर जनविरोधी काले कानून, मजदूर विरोधी नए श्रम संहिता व किसान विरोधी जन विरोधी काले कृषि कानूनों को रद्द करने पुरजोर आवाज उठाएं और न्याय पूर्ण व्यवस्था के लिए संघर्षों को तेज करें।