छत्तीसगढ़ का साज और बस्तर की आवाज बने दीपक…केंद्र में संघर्ष के लिए बघेल के स्वाभाविक सहयोगी हैं बैज

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर। लोकसभा में छत्तीसगढ़ के युवा सांसद दीपक बैज ने अपने आक्रामक अंदाज से कैसी छाप छोड़ी है, उसकी बानगी यह है कि विपरीत विचारधारा की केंद्र सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने उनके जन्मदिन पर बधाई दी। यह केवल एक रस्म अदायगी नहीं है। अमित शाह की फितरत ऐसी नहीं कि वे हर किसी को याद करते रहें। स्मरण किया जा सकता है कि शाह अपनी पार्टी के सांसदों के प्रति भी ऐसी उदारता कब कब दिखाते हैं। अमित शाह ने बस्तर सांसद दीपक बैज को उनके जन्मदिन पर हाल ही बधाई देकर सबको चौंका दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सांसद बैज को शुभकामनाएं दी तो यह अपने अनुज स्वरूप सांसद के प्रति स्वाभाविक स्नेह है। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर सांसद को शुभ कामना देकर यह आभास करा दिया कि बस्तर के इस युवा शेर ने उन्हें किस तरह प्रभावित किया है।

मौजूदा वक्त में दीपक बैज छत्तीसगढ़ के तमाम सांसदों के बीच सबसे ज्यादा मुखर माने जाते हैं। सत्ता पक्ष के सांसद तो दलीय भावनावश केंद्र से संबंधित छत्तीसगढ़ से जुड़े मामलों में लगातार ठंडे नज़र आते हैं। ऐसी स्थिति में दीपक बैज न केवल बस्तर की आवाज बने हैं, बल्कि केंद्र की राजनीति में छत्तीसगढ़ का साज भी बन गए हैं। यदि क्षेत्रीय राजनीति की बात की जाय तो बस्तर इलाके की बारह विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को लोकसभा सीट दिलाकर दीपक बैज ने कांग्रेस की क्षेत्रीय राजनीति में अपना कद काफी बढ़ा लिया है। उन्होंने विधायक रहते हुए तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ जनहित के मुद्दों पर जिस तरह से आक्रात्मकता दिखाई, उससे प्रभावित होकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने उन्हें बस्तर लोकसभा सीट जीतने की ज़िम्मेदारी सौंपी। दीपक अपनी पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे। उन्होंने भाजपा से यह सीट छीन कर साबित कर दिया कि अब बस्तर टाइगर वे ही हैं। बस्तर के सियासी जंगल में अब उनके मुकाबले कोई नहीं। पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता बलीराम कश्यप और कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा बस्तर की राजनीति में शेर कहलाते थे। अब ये दोनों शेर इस दुनिया में नहीं हैं तो उभरे हुए शून्य को भरने में सक्षम दीपक बैज पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। आक्रामकता के साथ सकारात्मक राजनीति का जो मार्ग बलीराम कश्यप और महेंद्र कर्मा ने चुना, वही शैली दीपक बैज की राजनीति में झलकती है। इसलिए वे बस्तर की निर्भीक राजनीतिक परंपरा में इन दोनों नेताओं के स्वाभाविक उत्तराधिकारी बन गए हैं। अब बात वर्ग पर की जाय तो आदिवासी वर्ग के नेताओं की जमात में दीपक बैज नई संभावनाओं के प्रतीक बन गए हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज ने बहुत सारे दिग्गज नेता दिए हैं। इस वर्ग के नेताओं ने यथासंभव योगदान देकर छत्तीसगढ़ के विकास में अहम भूमिका निभाई है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की प्रादेशिक कमान भी आदिवासी वर्ग के नेता संभाल रहे हैं। राज्य से इकलौती केंद्रीय राज्य मंत्री भी आदिवासी समाज से हैं।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज का नेतृत्व राजनीति में विशिष्ट पहचान रखता है। दलीय राजनीति को परे रखकर देखा जाए तो बस्तर के साल के जंगलों में घूमते सियासी युवा शेर दीपक बैज आज आदिवासी समाज की आशा का नया केंद्र बन गए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में सर्व हित की भावना से काम करते हुए जब कोई नेता आगे बढ़ता है तो वह न केवल अपने वर्ग, अपितु सबके दिल में जगह बना लेता है। तब वह किसी वर्ग विशेष के दायरे से काफी ऊपर उठकर जननेता बन जाता है। दीपक की कर्मठता में आशा की यही किरण फूटती दिखाई पड़ रही है। जहां तक बस्तर की कांग्रेसी राजनीति की बात है तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गुजरे जमाने के आदिवासी दिग्गज अरविंद नेताम को यह पैगाम दे चुके हैं कि अब वक्त दीपक का है। जाहिर है कि दीपक ने यह भरोसा हासिल किया है तो इसके पीछे उनके साथ बस्तर की जनशक्ति का हाथ है। कांग्रेस नेतृत्व के लिए यह विचार करना बेहतर हो सकता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के हक की आवाज संसद में उठाने तत्पर रहने वाले युवा सांसद दीपक बैज की ऊर्जा और राजनीतिक ऊष्मा का पार्टी हित में उपयोग किया जाए। पार्टी में केंद्र और राज्य के राजनीतिक संतुलन के लिहाज से देखा जाए तो केंद्र की राजनीति में छत्तीसगढ़ के ध्वज वाहक के तौर पर भूपेश बघेल को एक ऐसे भरोसेमंद सहयोगी की जरूरत है जो उनकी मंशा के मुताबिक केन्द्र में छत्तीसगढ़ के हित में संघर्ष कर सके, तो इस मामले में दीपक बैज का कोई विकल्प दूर दूर तक नहीं है।

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