जगदलपुर । पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समाज सुधारक डॉ. खूबचंद बघेल जी के जयंती के अवसर पर शिवसेना बस्तर इकाई के कार्यकर्ताओं द्वारा एकत्रित होकर पृथक राज्य के स्वप्न को मूर्त रूप देने मवन अपने पार्टी की भूमिका पर प्रकाश डालते राज्यवासियों को हार्दिक शुभेक्षा दी है।
शिवसैनिकों को संगठन का इतिहास बताते हुए ज़िला अध्यक्ष अरुण पाण्डेय् ने बताया कि पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के सपने को साकार करने शिवसेना के माननीय प्रदेश प्रमुख धनजंय सिंह परिहार जी व अन्य वरिष्ठ शिवसैनिकों का राजनैतिक संघर्ष आज छत्तीसगढ़ के एक एक शिवसैनिकों के लिए गर्व का विषय है।
पृथक राज्य के लिए शिवसेना ने छत्तीसगढ़ के गांव गांव की भूमि से लेकर तात्कालीन राजधानी भोपाल और दिल्ली तक प्रदर्शन और कई धरना किया जिसके बाद ही हमें यह छत्तीसगढ़ राज्य मिला है। आज भी शिवसेना के सदस्य शिवसेना से नए जुड़े नए सदस्यों और अन्य लोगों को पृथक राज्य निर्माण हेतु पार्टी के संघर्ष की यादगार के तौर पर उस समय की छायाचित्र दिखाकर व इस सङ्घर्ष में शामिल रहें वरिष्ठ पदाधिकारियों की ज़ुबानी सुने बातों को आज दोहराकर सब गर्वान्वित होते हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ हस्तियों के साज़िश के चलते राज्य निर्माण के इतिहास के पन्नो से शिवसेना के इस संघर्ष गाथा को ग़ायब करने का पूर्ण प्रयास किया गया, यहां तक कि शिवसेना पार्टी और शिवसैनिकों को ही छत्तीसगढ़ से पूर्णतः समाप्त करने की राजनैतिक षड्यंत्र तक रची गई। पार्टी के कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें क़ानूनी रूप से परेशान किया गया, जेल में डाला गया।
इधर सत्ता के लोभ में वर्षों तक नवगठित राज्य में लूटम लूट मच रही, लेकिन पृथक राज्य निर्माण के बाद भी अब तक छत्तीसगढ़ को वह नही मिला जिसके लिए शिवसैनिकों ने स्वप्न दृष्टा के सपनो को साकार करने संघर्ष किया पृथक राज्य का निर्माण की लड़ाई लड़ी गई और हर वर्ष आज भी शिवसेना – छत्तीसगढ़ की इकाई द्वारा दिल्ली में विशेष राज्य के दर्ज़ा की मांग लेकर अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।
उन्होमे कहा कि हमें गर्व है हमारे पार्टी शिवसेना के वरिष्ठजनों का पसीना पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के संघर्ष में लगा है। इसी लिए हमारा सिर सदैव गर्व से उठा हुआ है, हमने राष्ट्रीय दलों की भांति पृथक राज्य के मांग का विरोध नही बल्कि उसके लिए संघर्ष किया है। शिवसेना के सड़क से लेकर दिल्ली तक संघर्षों का ही नतीजा हैकि मध्यप्रदेश के कांग्रेस और केंद्र के भाजपा सरकार को पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग पर सहमति देनी पड़ी और इस तरह हमें हमारा पृथक राज्य मिल सका।
इस तरह अलग भाषा, अलग संस्कृती को सहेजे पृथक राज्य के स्वप्न दृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल जी को उनके जयंती के अवसर पर बस्तर के समस्त शिवसैनिकों ने नमन किया।