दवाई, पढ़ाई और प्रार्थना के नाम पर प्रदेश में वनवासियों का हो रहे लगातार धर्मांतरण को लेकर पूर्व मंत्री केदार कश्यप के नेतृत्व में प्रतिनिधी मंडल ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन की कार्यवाही की मांग

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बस्तर सहित पूरे प्रदेश के वनवासियों को लालच देकर कराया जा रहा है धर्मांतरण, प्रदेश सरकार मौन

वनवासी समाज के भोलेपन, गरीबी और बीमारी का उठा रहे फायदा, सरकारी भूमि में बने है अवैध चर्च

रायपुर/जगदलपुर :- राज्यपाल अनुसुइया उइके से मंगलवार को राजभवन में पूर्व कैबीनेट मंत्री केदार कश्यप के नेतृत्व में बस्तर क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की और बस्तर सहित पूरे प्रदेश के भोले भाले वनवासियों को लालच देकर कराए जा रहे धर्मांतरण पर चर्चा कि व चिंता जताई और उचित कठोर कार्रवाई की मांग की।

केदार कश्यप जी ने कहा कि झारखंड, केरल, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई सहित दक्षिण भारत से आए सैकड़ों धर्मगुरु प्रदेश में सक्रिय हैं और बस्तर व प्रदेश के वनवासी क्षेत्रों के जंगलो में घुसकर भोले भाले वनवासियों को दवाई, पढ़ाई और प्रार्थना का नाम देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है, बस्तर क्षेत्र में स्थितियां यह निर्मित हो गई है कि एक उच्च अधिकारी को भविष्य में होने वाले टकराव को भांपकर व जबरन होते धर्मांतरण को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखना पड़ रहा है वनवासियों के साथ होते षड्यंत्र व धर्मांतरण के कानून को प्रदेश में कड़ाई से पालन करना चाहिए परंतु दुर्भाग्य से प्रदेश की भूपेश सरकार मौन हैं और संरक्षण दे रही हैं।

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कश्यप ने कहा कि कोरोनाकाल में इन लोगों ने सेवा के नाम पर मदद कर अवैध मतांतरण के काम में और तेजी लाने का काम किया। सुकमा, बीजापुर जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के अधिकतर परिवार मतांतरित हो चुके हैं, कई गांव में भोले-भाले आदिवासियों की जमीन स्कूल और गोदाम बनाने आदि के नाम पर लेकर चर्च खोल दिया गया है। यही नही आदिवासियों को भरमाने के लिए उनके देवी देवताओं का नाम भी चर्च के बाहर सिलावट कर लिख दिया गया हैं। प्रतिनिधिमंडल में विकास मरकाम, धनीराम बारसे, हूंगाराम मरकाम, महेश कश्यप, सेमल नरेश,वी नरेश उपस्थित थे।

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