बिना दस्तावेज के राजधानी से 5 ट्रक यूरिया उड़ीसा के नवरंगपुर भेजने जाने की खबर
उड़ीसा प्रशासन ने जब्त कर किसानों को वितरण
नवीन गुप्ता – जगदलपुर
राजधानी में बैठे उर्वरको के कई बड़े कारोबारियों पर प्रशासनिक अफसर मेहरबान बने हुए है। जिसका यह परिणाम है कि खासतौर से प्रदेश के उर्वरक रिटेलर को यूनिया उपलब्ध नहीं कराने के बजाये अधिक दामों पर उड़ीसा भेजा जा रहा है जिसके कारण बस्तर अंचल सहित प्रदेशभर में यूरिया सहित अन्य खाद की किल्लत बनी हुई है। प्रशासनिक अफसर बड़े व्यापारियों पर नकेल कसने के बजाये छोटे कारोबारियों पर ही कानूनी डंडा चलाकर कार्रवाई को लेकर खानापूर्ति में जुटे है। पिछले वर्ष भी राजधानी के कुछ उर्वरक कारोबारी को उप संचालक कृषि विभाग बस्तर से नकेल कसने का प्रयास किया गया था। ज्ञातव्य हो कि बस्तर अंचल के किसान मानसून के मार के साथ-साथ खाद की किल्लत से भी जूझ रहे है। स्थानीय स्तर पर खाद की पयाप्त मात्रा उपलब्ध न होने के कारण निजी संस्थानो के माध्यम से भी किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है जिसका मुख्य कारण खाद की साटेज होना बताया जा रहा है। कृषि विभाग के कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बस्तर अंचल में जितनी मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता है उसकी तुलना में 50 फिसदी भी भंडारण नहीं हो सकता |
पांच ट्रक उड़ीसा में जब्तः जानकारी के अनुसार राजधानी में बैठे उर्वरक के एक बड़े कारोबारी के द्वारा 5 ट्रक यूरिया उड़ीसा के नवरंगपुर भेजा गया था। बताया जा रहा है जिन ट्रकों को जब्त किया गया था उसमें किसी प्रकार का कोई दस्तावेज भी नहीं था पूछताछ में प्रशासनिक अधिकारी को जानकारी मिली है कि उक्त यूरिया रायपुर से भेजा गया था। यह पहला मामला नहीं है इसके पूर्व भी बिना दस्तावेज के युरिया सहित अन्य उर्वरक भी रायपुर से उड़ीसा भेजा जाता रहा है।
छोटे कारोबारियों पर प्रशासन का डंडाः राजधानी में बैठे अधिकारी उर्वरक के बड़े करोबारियों पर मेहरबान बने हुए है जिसके कारण बस्तर अंचल सहित प्रदेश में उर्वरक की कमी है। राजधानी के अफसरों के दबाव में बस्तर अंचल के अधिकारी उर्वरक के छोटे व्यापारी पर लगातार दबाव बनाये हुए है जिससे उर्वरक कारोबारी भी खाद बिक्री करने में रूचि नहीं दिखा रहे है। बस्तर अंचल के कई खाद व्यापारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि राजधानी के उर्वरक कारोबारी ही निधारित दर से 30 से 70 रूपए अधिक दामों पर खाद की बिक्री कर रहे है ऐसे में रिटेलर क्या करें। उर्वरक के बड़े कारोबारियों पर प्रशासन एलर्ट हो जाये तो कुछ हद तक उर्वरक के दामों पर लगाम लगाया जा सकता है। रिटेलर के बजाय होलसेलरों पर नकेल कसने की दरकार है ताकि किसानों को लाभ मिल सका |