भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कश्यप ने प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ अध्यक्ष बनाने की प्रदेश सरकार की मांग ठुकराए जाने का स्वागत कर कहा- प्रदेश सरकार को अड़ंगेबाजी की आदत से बाज आना चाहिए
कश्यप का सवाल- कोरोना संक्रमण रोकने प्रधानमंत्री से अधिकार लेकर कलेक्टर देने वाली प्रदेश सरकार प्रभारी मंत्रियों को अपने ‘किन उद्देश्यों’ के लिए डीएमएफ अध्यक्ष बनाने पर ज़ोर दे रही है?
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसमें केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार की मांग ठुकराते हुए ज़िला खनिज न्यास संस्थान (डीएमएफ) के अध्यक्ष पद पर ज़िला कलेक्टरों को ही अध्यक्ष बनाए जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। कश्यप ने कहा कि इससे प्रदेश स्तर पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और प्रदेश सरकार केंद्र की राशि का मनमाना उपयोग नहीं कर सकेगी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री कश्यप ने कहा कि केंद्र सरकार अपने फ़ंड की राशि का बेहतर व सार्थक उपयोग करने के लिए जो व्यवस्था बनाती है, प्रदेश सरकार को उसमें अड़ंगा डालने की आदत से बाज आना चाहिए। प्रदेश सरकार की इस मांग का कोई औचित्य है कि डीएमएफ में ज़िलों के प्रभारी मंत्रियों को अध्यक्ष बनाया जाए। इस बारे में प्रदेश सरकार के उक्ताशय की मांग के पत्र का ज़वाब देकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने निर्णय पर क़ायम रहेगी। कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र की योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में न केवल दुराग्रहपूर्ण उदासीनता का परिचय दिया है, अपितु कई योजनाओं के सीधे लाभ से पात्र हितग्राहियों को वंचित कर भ्रष्टाचार की गुंजाइशों को बढ़ावा दिए जाने की शिकायतें भी सामने आई थीं। इसके बावज़ूद प्रदेश सरकार केंद्र के निर्णय में अड़ंगेबाजी पर आमादा थी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री कश्यप ने प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि वह प्रभारी मंत्रियों को अपने ‘किन उद्देश्यों’ के लिए डीएमएफ अध्यक्ष बनाने पर ज़ोर दे रही है? यह सचमुच हैरतभरी बात है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री से अधिकार लेकर कलेक्टर को सारे अधिकार देने वाली प्रदेश सरकार अब डीएमएफ का अध्यक्ष कलेक्टर के बजाय मंत्री को बनाना चाहती है! कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस समूची क़वायद से साफ़ हो चला है कि जहाँ ज़िम्मेदारी की बात होगी, काम करके दिखाने की चुनौती होगी, तो प्रदेश सरकार उसे कलेक्टर पर थोप दे और कमीशन के तौर पर ‘कमाई’ करने, मलाई छानने, भ्रष्टाचार और मनमर्जी से ख़र्च करने के लिए सारे अधिकार प्रदेश सरकार को चाहिए। कश्यप ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए इसे बदनीयती का नमूना बताया और कटाक्ष किया कि प्रदेश सरकार और कांग्रेस के लोग शायद 30-40 प्रतिशत कमीशन के हाथ नहीं लगने से बेचैन हो रहे हैं।