छत्तीसगढ़ में सुपोषण और उसकी चुनौतियों पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी आयोजित

0
309

विशेषज्ञों के अनुभव और सुझावों से बनेगी सुपोषित छत्तीसगढ़ की बेहतर कार्ययोजना: भेंड़िया

पोषण ट्रेकर एप और पोषण वाटिकाओं के उत्कृष्ठ काम के लिए मिला सम्मान

पोषण प्रदर्शनी में स्थानीय भोजन और भाजियों की दिखी विविधता

रायपुर – महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने कहा है कि सुपोषण की स्थिति में छत्तीसगढ़ पूरे देश में कई मापदंड़ों में आगे हैं। कमजोर मापदंड़ों को सुधार ले तो निश्चित रूप से हमारा प्रदेश पूरे देश में अव्वल हो जाएगा। मैदानी अधिकारी पंचायती राज संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों के सहयोग से अपने क्षेत्रों में नियमित ग्राम सभा का आयोजन कर लोगों को पोषण से जोड़े। यह सुपोषित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य को आसान बनाएगा। छत्तीसगढ़ में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध स्थानीय पोषक आहार का उपयोग आंगनबाड़ियों में बच्चों और महिलाओं से कुपोषण दूर करने में महत्वूपर्ण भूमिका निभा रहा है। वह राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर आज 13 सितम्बर को रायपुर के सिविल लाईन स्थित न्यू सर्किट हाउस में ‘सुपोषित छत्तीसगढ़-परिदृश्य एवं चुनौतिया‘ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ से कुपोषण मुक्ति के लिए संकल्पित है और निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए सुदूर पहुंच विहीन क्षेत्रों तक आंगनबाड़ी सहिकाओं और कार्यकर्ताओं की मदद से सूखा राशन, गरम भोजन और रेडी-टू-ईट हितग्राहियों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कोरोना काल में जनजागरूकता और घर-घर जाकर पोषण आहार वितरण के लिए मैदानी अमले को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संभावित तीसरी लहर लोगों और बच्चों तक न पहुंचे इसके लिए टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करें। भेंड़िया में कहा कि संगोष्ठी में कई संस्थाओं से जुड़े बुद्धिजीवियों के अनुभव, सुझाव और विचारों का लाभ लेकर विभाग छत्तीसगढ़ को सुपोषित बनाने के लिए बेहतर कार्ययोजना बना सकेगा, जो निश्चित ही महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित होगा।

इस अवसर पर भेंड़िया ने जिला कार्यक्रम अधिकारी जशपुर, सूरजपुर और बिलासपुर को पोषण ट्रेकर एप में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए प्रशस्ती पत्र और मेडल से सम्मानित किया। उन्होंने उत्कृष्ठ पोषण वाटिका के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी पुरस्कृत किया। साथ ही विभाग के स्वेच्छिक संगठनों यूनिसेफ, वर्ल्ड विजन इंडिया, न्यूट्रिशन इन्टरनेशनल, एविडेन्स एक्शन, सेन्टर फॉर लार्निंग रिसोर्सेस छत्तीसगढ़, द अन्तरा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया गया। साथ ही उन्होंने पोषण प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें स्थानीय पौष्टिक आहार और भाजियों की विविधता दिखाई दी।

यूनिसेफ के राज्य प्रमुख श्री जॉब जकारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पोषण पर नेतृत्व, कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य में विशेष रूप से शुरू मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, डीएमएफ से सुपोषण के लिए अतिरिक्त राशि का प्रावधान और छत्तीसगढ़ के पोषण आहार में विविधता ये प्रमुख चार आधार हैं, जिनके कारण छत्तीसगढ़ से एनीमिया और कुपोषण दूर हो सकता है।

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति अरूणा पल्टा ने कहा कि पौष्टिक आहार वर्तमान के साथ भावी मजबूत पीढ़ी के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। भोजन सही तरीके और मात्रा में किया जाए तो यह औषधी की तरह काम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। उन्होंने कुपोषण मुक्ति के लिए छः पी-फैक्टर प्रोडक्शन (उत्पादन), प्रिजरवेशन (संरक्षण), पॉवर्टी (गरीबी), पॉपुलेशन (जनसंख्या), पैथोलॉजी (रोग) और पॉलीसी (योजना) के संचालन को महत्वपूर्ण आधार बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय आहार को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। आज पौष्टिकता से भरपूर छत्तीसगढ़ का मुनगा पॉउडर विदेशों तक निर्यात हो रहा है। बच्चों में सूक्ष्म खनिज तत्व, फैट और प्रोटीन की कमी को दूर किया जाना अधिक आवश्यक है।

This image has an empty alt attribute; its file name is bhupes-1024x512.jpg

सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि नगरीय निकाय, ग्राम पंचायतों, जनप्रतिनिधियों के साथ 18 से भी अधिक सरकारी और गैर सरकारी विभाग पोषण कार्यक्रम से जुड़े है। यह छत्तीसगढ़ की कुपोषण के प्रति संवेदनशीलता और मैदानी अमलों के समर्पण का प्रभाव है कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ पहला राज्य बना जिसने 21 जुलाई से आंगनबाड़ी में पोषण आहार देना फिर से शुरू किया।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-21.png

संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2018 से शुरू पोषण अभियान के तहत कुपोषण और एनीमिया दूर करने के उद्देश्य से हर साल सितम्बर में पोषण के प्रति जागरूकता, व्यवहार परिवर्तन का प्रयास किया जाता है। इसी कड़ी में पिछले दो साल में प्रदेश में एक लाख से ज्यादा वृक्ष लगाए गए और 28 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ियों में पोषण वाटिकाओं का विकास किया गया है। वर्ष 2019 में वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुपोषण की दर 23.4 प्रतिशत थी। इस वर्ष जुलाई में हुए वजन त्यौहार के आंकड़ों के रूझान से कुपोषण की दर में बड़ी कमी आते हुए इसकी दर 18 से 19 प्रतिशत तक आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए समन्वित प्रयास किया जा रहा है। महतारी जतन योजना से लगभग एक लाख 60 हजार महिलाओं को पोषण आहार से लाभान्वित किया गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 6 लाख अतिरिक्त हितग्राहियों को गरम भोजन दिया गया है। जिससे लगभग एक लाख 40 हजार बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने में सफलता मिली है। संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञों द्वारा गर्भावस्था में पोषण एवं वेलबिइंग, गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार व प्रबंधन, व्यवहार परिवर्तन, कुपोषण के कारण एवं निदान, न्यूट्रिशन इन क्लेफ्ट केसेस जैसे विभिन्न विषयों पर विचार व्यक्त किये गये। जिसमें बड़ी संख्या में विभागीय और विभिन्न संगठनों के सदस्य शामिल हुए।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-1.png