केंद्र सरकार द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह के विभिन्न खदानों में ओवरबर्डन हटाने का कार्य ठेका पद्धति से कराने की स्वीकृति दे दी गयी

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केंद्र सरकार के द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह के विभिन्न खदानों में ओवरबर्डन हटाने का कार्य ठेका पद्धति से कराने की स्वीकृति दे दी गयी है। उक्त स्वीकृति के उपरांत अब प्रबंधन को इस कार्य में किसी तरह की प्रशासनिक बाधा नहीं होगी। इस सम्बन्ध में भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के महामंत्री एम.पी.सिंह ने केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उक्त मामला विगत तीन वर्षों से केंद्र सरकार के समक्ष लंबित था। इस सम्बन्ध में प्रबंधन द्वारा दिए गए आवेदन पर दिनांक 28.01.2021 को केंद्र सरकार के कॉन्ट्रैक्ट लेबर सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड (CLCAB) द्वारा सशर्त अनुमति प्रदान करने पर सहमति बनी थी। इस सम्बन्ध में संघ ने बोर्ड के समक्ष यह मांग की थी कि चूँकि कानूनी रूप से उक्त कार्य नियमित कर्मियों से कराना जाना है अतएव इस ठेके में कार्यरत श्रमिकों को केंद्र सरकार द्वारा खदान के लिए तय किये गए वेतन से अधिक वेतन दिया जावे एवं इन्हे नियमित कर्मियों की तरह मेडिकल, सभी भत्ते आदि की सुविधाएं दी जावे। बोर्ड के सदस्य ब्रिज शर्मा एवं सुरेंद्र पांडेय ने बैठक में पुरजोर तरीके से संघ के मांगों को रखा। संघ के इन वरिष्ठ नेताद्वय की मांग को सीएसीएलबी अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों ने मानते हुए बीएसपी प्रबंधन के समक्ष इन शर्तों को मानने पर अनुमति प्रदान करने की बात कही थी। भारतीय मजदूर संघ ने इस सम्बन्ध में अगले ही दिन सभी श्रमिक भाइयों को प्रेस एवं पैम्फलेट के माध्यम से अवगत भी कराया था।

दिनांक 10.08.2021 को केंद्र सरकार ने राजपत्र के माध्यम से अधिसूचना जारी करते हुए 09.08.2024 तक सशर्त स्वकृति दे दी है। जिन शर्तों के आधार पर ये स्वीकृति दी गयी है वे इस प्रकार से हैं –

(१) ऐसे कामगारों को कोल् इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नियुक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति के सिफारिशों के अनुसार और कोल् इंडिया लिमिटेड द्वारा समय समय पर अधिसूचित दरों पर मजदूरी और अन्य प्रसुविधाएं दी जावेगी।

(२) CLCAB के सदस्यों को भिलाई इस्पात संयंत्र (सेल) में यह जांच करने का अधिकार होगा कि इन कर्मियों को उक्त वेतन एवं प्रसुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है या नहीं।

(३) भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगी कि ओवरबर्डन का ठेका बदलने पर पुराने ठेका में संतोषप्रद कार्य करने वाले कर्मियों को प्राथमिकता दी जावेगी।

(४) खदान में कहीं भी लोडिंग अथवा अनलोडिंग के कार्य में लगे सभी कर्मियों को भी वही वेतन और सुविधाएं दी जावेगी जो कि भी कोल् इंडिया लिमिटेड, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नियुक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति के सिफारिशों के अनुसार और कोल् इंडिया लिमिटेड द्वारा समय समय पर अधिसूचित दरों पर मजदूरी और अन्य प्रसुविधाएं दी जावेगी।

(५) प्रधान नियोक्ता एवं संविदाकार उक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति की मजदूरी को, जो प्रत्येक 06 माह में बढ़ता है और खान अधिनियम 1952, (1952 का 35) के उपबंधों के अनुसार अन्य फायदों का भी संदाय सुनिश्चित करेगा।

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(६) संविदा कर्मी ग्रेचुइटी एक्ट 1972, ( 1972 का 39) के उपबंधों के अधीन आएंगे |

(७) संविदा कर्मकारों को खान अधिनियम 1952, (1952 का 35) के उपबंधों के अनुसार मजदूरी सहित बोनस और छुट्टी दी जावेगी।
उन्होंने आगे बताया कि उपरोक्त राजपत्र में उल्लेखित शर्तों के अनुसार इस कार्य में लगे सभी ठेका श्रमिकों को अब कोल् माइंस के श्रमिकों के समकक्ष वेतन और सुविधाएं दी जावेंगी। चूँकि उक्त परिपत्र दिनांक 10.08.2021 से ही प्रभावी हो चूका है अतः कर्मियों को बढा हुआ वेतन इसी तारीख से मिलना शुरू हो जावेगा। जहाँ तक अन्य सुविधाओं की बात है तो संघ यह आशा करता है कि बीएसपी प्रबंधन केंद्र सरकार के द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कोल् माइंस में दी जाने वाली अन्य सुविधाओं के समकक्ष यहाँ भी कर्मियों को सुविधाएं जल्द से जल्द उपलब्ध करावेगा। केंद्र सरकार के इस राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना से कर्मियों को होने वाले लाभ के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अकुशल श्रेणी के कर्मी को रुपये 9000/- प्रतिमाह, अर्धकुशल श्रेणी को रुपये 7000/- प्रतिमाह, कुशल श्रेणी को रुपये 2400/- प्रतिमाह एवं अति कुशल श्रेणी को रुपये 1000/- प्रतिमाह का लाभ मिलेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा हर 06 माह में किये जाने वाले वेतन वृद्धि का भी लाभ इन्हे मिलता रहेगा। अंत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से देश उद्योग और श्रमिकों तीनों का हित होगा जिससे भा.म.सं. के नीति देश हित, उद्योग हित, श्रमिक हित को बढ़ावा मिलेगा एवं भविष्य में भी केंद्र सरकार से यही अपेक्षा की जाती है कि वह इसी नीति के तहत कोई भी निर्णय लेवेगा।

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