केशकाल । छत्तीसगढ़ राज्य की पिछली सरकार ने आनन फानन में ग्राम पंचायत – बिश्रामपुरी को नगरपंचायत -बिश्रामपुरी बना दिया और जब इसके खिलाफ स्थानिय लोगों ने जबरर्दस्त विरोध करते आंदोलन करना आरंभ कर दिया तो आनन फानन में नगरपंचायत को विघटित कर दिया। किसी नगरपंचायत को विघटित कर फिर से ग्राम पंचायत बना देने और उसके बाद उस ग्रामपंचायत-नगरपंचायत का विभाजन कर उसे 5 ग्राम पंचायत बना देने का यह अपने आप में अनूठा मामला रहा। पिछली सरकार के द्वारा राजनीतिक लाभ हानि के उद्देश्य से नगरपंचायत -ग्राम पंचायत बना देने के इस फैसले का दुष्प्रभाव पूरे क्षेत्रवासियों को आज भी भोगना पड़ रहा है। नवगठित ग्राम पंचायत के ग्रामवासियों और उनके द्वारा चुने गये पंच उपसरपंच सरपंच द्वारा शासन प्रशासन से अन्य ग्राम पंचायतों को मिलने वाले आबंटन एवं सुविधा की भांति आबंटन प्रदान करने की मांग लगातार लम्बे अरसे से किया जा रहा है पर अभी तक सुधि नहीं लिया गया । जिस उपेक्षा के चलते पंचायत भवन आंगन बाड़ी भवन विहीन नवगठित ग्राम पंचायत के लोगों को न आवास योजना का लाभ मिल पा रहा है और न जरूरतमंद वृद्ध -नि:शक्त-दिव्यांग- विधवा-परित्यक्ता को पात्रता होने के बावजूद पेंशन का लाभ ही मिल पा रहा है।मात्र मूलभूत मद की राशि के भरोसे अपने अस्तित्व को बचाये बनाये रखने वाले ग्राम पंचायतों के पंचायत पदाधिकारी और ग्रामवासी बहुत दुखी और आक्रोशित हैं। उल्लेखनीय है कि -बडेराजपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी को डां रमनसिंह के नेतृत्व वाली पिछली भाजपाई सरकार ने नगरपंचायत बनवा दिया था और उसके खिलाफ आवाज आंदोलन उठने के चलते उसे विघटित कर फिर से ग्राम पंचायत बना दिया था। जिसके बाद ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी को विभाजित करते हुए ग्राम पंचायत -बिश्रामपुरी (अ),ग्राम पंचायत-बिश्रामपुरी (ब),ग्राम पंचायत-बिरापारा,ग्राम -पंचायत-जिरा पारा,ग्राम पंचायत -खरगांव बना दिया गया। इस विभाजन पर नवगठित ग्राम पंचायत – बिश्रामपुरी के लोगों को सबसे कड़ी आपत्ति है जो आज भी कायम है। इनका कहना है की हमारे नवगठित पंचायत का ठिक से आजतक सीमांकन कर सरहद तक तय नहीं किया गया है। हमारे ग्राम पंचायत में नवीन शाला भवन बनाने तक के लिए जमीन तक नहीं बच गया है। ग्राम पंचायत -बिश्रामपुरी के लोग इतने खफा हैं की ग्राम पंचायत के आम चुनाव में कोई भी प्रत्याशी पंच पद हेतु अपना नामांकन तक नहीं भरा और उपचुनाव की घोषणा होने पर भी किसी ने नामांकन नहीं भरा फलस्वरूप पंचो का पद आज भी खाली पड़ा रह गया है।बड़े आश्चर्य की बात है की शासन प्रशासन के जवाबदेह पद पर बैठे किसी भी सक्षम अधिकारी द्वारा अभी तक नवगठित इन पांचों ग्रामपंचायतों के ग्रामवासियों और उनके पंचायत पदाधिकारियों द्वारा उठाये जाने वाले समस्या एवं मांग पर गौर करने एवं उसका निराकरण करने की पहल प्रयास तक नहीं किया गया जिससे उनकी नाराजगी कम होने की बजाय बढ़ते जा रही है।
ग्राम पंचायत खरगांव का है हाल बेहाल – नगरपंचायत -बिश्रामपुरी को विघटित कर बनाये गये 5 ग्राम पंचायत में से एक ग्राम पंचायत है खरगांव । जिसकी जनसंख्या -1363 मतदाता संख्या 883 है।
खैरात में चल रहा है पंचायत आंगनबाड़ी – नवगठित ग्राम पंचायत का आज तक खुद का भवन तक नहीं है इसलिए पंचायत सरपंच प्रभुलाल नेताम के ही घर पर लग रहा है और वो भी खैरात में ही। इस बारे में सरपंच प्रभुलाल नेताम का कहना है की क्या करूं पंचायत तो चलाना है हमारे यहां कोई शासकिय भवन नहीं है । आज तक कोई अधिकारी यह भी नहीं पूछे की पंचायत भवन कंहा कैसे चल रहा है ,भवन का किराया बिजली बिल कितना कैसे पटा रहे हो। सरपंच का कहना है की हमारे यहां ले देकर साल भर में मूलभूत मद का 35-40 हजार रूपया आता है उसमे स्टेशनरी लेते हैं और अन्य काम करते हैं पंचायत भवन का किराया और बिजली बिल जमा करने पैसा ही नहीं बचता जिसके चलते मुझे ही यह झेलना पड़ रहा है। पंचायत में दो आंगनबाड़ी संचालित है पर दोनों आंगनबाड़ी का खुद का भवन नहीं बना है ।दूसरों के घर में आंगनबाड़ी चलाया जा रहा है।
स्वीकृत आंगनबाड़ी भवन हुआ लापता – सरपंच प्रभुलाल नेताम का कहना है कि हम जब आंगनबाड़ी भवन के बारे में महिला बाल विकास अधिकारी से पूछे तो उनके द्वारा यह बताया गया की आपके यंहा के नहरपारा एवं खरगांव शीतलापारा में आंगनबाड़ी भवन बनाने धनराशि जब नगरपंचायत था तभी 2014मे पैसा स्वीकृत हो गया था । सरपंच का कहना है की नगरपंचायत के जमाने में 2004मे ही स्वीकृत आंगनबाड़ी भवन कंहा कैसे लापता हो गया और किसने लापता कर दिया यह खोज का विषय बना हुआ है।जिसके चलते लगभग 12-15वर्ष से आंगनबाड़ी दूसरे के घर में ही संचालित करना पड़ रहा है।
आवास योजना के लाभ से वंचित हैं ग्रामवासी – नवगठित पंचायत के सरपंच का पदभार 9जनवरी 2017को ग्रहंण करने वाले युवा सरपंच प्रभुलाल नेताम का कहना है कि हमारे पंचायत के पात्र आवासहिनों को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आवास योजना का आबंटन ही हमारे पंचायत को प्रदान नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते आवासहीन गरीबों को हम आवास नहीं दिला पा रहे हैं |
पेंशन राहत से भी नसीब नहीं हो पा रहा है जरूरतमंदों को – ग्राम पंचायत खरगांव के सरपंच का कहना है की हम जरूरतमंद पात्र वृद्ध नि:शक्त दिव्यांग विधवा परित्यक्तता लोगों को हम पेंशन का लाभ नहीं दिला पा रहे हैं।जब भी पंचायत से पात्र पेंशनधारियों का पेंशन प्रकरंण स्वीकृत करने जनपद पंचायत भेजा जाता है तो हमसे 2011की गरीबी रेखा सर्वे सूची मांगा जाता है जिसमे जो वास्तविक में गरीब हैं जिसके कारंण पेंशन प्रकरंण स्वीकृत नहीं किया जाता जिसके चलते जरूरतमंद पात्रता रखने वालों को पेंशन नहीं मिल पा रहा है।विधवा मेहतरीन सेवा रामप्रसाद जाति राऊत उम्र-61वर्ष,गंगाबाई बेवा फूलसिंह जाति राऊत उम्र 63वर्ष फूलबासन बेवा बैसाखू जाति गोंड उम्र 45वर्ष मानकी बेवा पेकडो जाति गोंड उम्र50वर्ष सत्यवती बेवा रामचंद जाति गोंड उम्र 42वर्ष सुकनतीन बेवा बुद्धु जाति गोंड उम्र 52वर्ष जैसे अनेक लोग हैं जो पेंशन के लिए आवेदन दे देकर लंबे समय से पेंशन मिलने का इंतजार कर रहे हैं।पर हम उन्हें पेंशन नहीं दिला पा रहे हैं जिससे वो लोग हम पर अपना गुस्सा उतारते हमें श्रापते हैं की तूम लोग हमको पेंशन तक नहीं दिला सकते तो तूम लोग किस काम के। सरकारी तंत्र के उपेक्षा से आहत पंचायत वासी और पंचायत पदाधिकारी अपनी व्यथा कथा सूनाते अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाते हताश निराश हो चुके हैं अब उनके पास अब अंतिम रास्ता बच गया है सामने आकर सड़क पर उतरकर आंदोलन करने का और शायद इसी का इंतजार करते हांथ पर हांथ धरे मौन साधे बैठे तमाशबीन बनकर देख र तोहे हैं सरकार की योजनाओं के लाभ से मरहूम लोगों को हलाकान परेशान होते सब्र की परीक्षा लेते ।