केशकाल- केशकाल तहसील कार्यालय से महज 9कि.मी.की दूरी पर स्थित ग्राम गारका का एक दलित परिवार इंसाफ की याचना करने राज्यपाल दरवाजे पर दस्तक देने का निर्णंय लेते हुए यह संकल्प लें लिया है कि जब तक हमें न्याय करते हमारे बाप दादा का जमीन नहीं दिला दिया जायेगा तब तक हम अन्न जल त्याग करके वंही पर आमरंण अनशन करेंगे या फिर भूख प्यास में तडफ तडफ कर अपनी जान दे देंगे। तहसील कार्यालय के रिकार्ड रूम अपने बाप दादा के नाम के जमीन का अभिप्रमांणित कापी लेकर दर दर इंसाफ की फरियाद करते फिरने वाले दलित परिवार के रिकार्ड अनुसार 1944-45 में मिजान -5 रकबा-15.36ऐकड और 1954-55 के अधिकार अभिलेख में मिजान-5में 14.75में जिस रतना पिता-जोधा के नाम से गांव में खुद की लगानी जमीन थी उसके वंशज रतना का नाती – महेश लहरे और उस पर आश्रित रहने वाला परिवार राजस्व विभाग के भाग्यविधाताओं के चलते आज बिल्कुल भूमिहीन होकर सरकारी जमीन में घर बनाकर ले देकर जीवन गुजर बसर करने को लाचार हो गया है। महेश लहरे और उसके बेटा बेटी पत्नी अपनी आपबीती बताते रोने लगते हैं।
उनका कहना है कि हमारे बाप दादा की जमीन को लोग उस समय के राजस्व विभाग के पटवारी तहसीलदार से मिलजुल करके कूटरचित फर्जी कागजात बना बनाकर हमारी जमीन हड़प लिए। हमारे लिए पट्टे वाली एक इंच जमीन नहीं छोड़ा।जिसके चलते हमें सरकारी जमीन में छोटी सी झोपडी बनाकर उसमें गुजारा करना पड़ रहा है पर इतने पर भी लोगो मन नहीं भरा तो हमारी बर्बादी तबाही का मंजर देखने को बेसब्र हुए जा रहे लोगों को यह रास नही आ रहा है तो अब वो हमें सरकारी जमीन में एक झोपड़ी बनाकर सिर छिपाकर गुजर बसर कर रहे हैं उससे भी भगा देने के लिए नाना प्रकार का आरोप मढकर तहसीलदार के पास शिकायत करते रहते हैं। हमारे बाप दादा के स्वामित्व की खसरा नं.389/55ख और खसरा नं.389/69की जमीन को तहसील आफिस में नौकरी करते हुए उस समय के पटवारी – नायब तहसीलदार से मिलजुल कर कूटरचित फर्जी कागजात बनाकर हथिया लिया और हमारे बाप दादा के जमीन के अधिकतर रिकार्डों में अफरा तफरी करवा दिया। जिसके चलते हमें अब हमारे ही बाप दादा के जमीन का रिकार्ड निकालने चक्कर दर चक्कर काटना पड़ रहा है। महेश लहरे का कहना है कि मेरे दादा रतना के नाम से 1944-45में 7 टूकडे में अर्थात 7खसरा नम्बर की जमीन थी पर 1954-54में 7खसरा टूकडा घटकर 5हो गया । मेरे दादा अनपढ़ थे और शराब पीकर अपने में मस्त रहते थे तथा वो लंबे समय तक मेरे पिता कार्तिक को छोडकर उड़िसा चले गये थे जिस मौके का फायदा उठाते हुए लोगों ने उनके नाम की जमीन को कब्जा करते गये और तहसील वाले से मिलकर कूटरचित फर्जी दस्तावेज तैयार करते मालिक बनते गये। हमरा जमीन छिनते गये और हमारे जान के पीछे पड़कर जीना दूभर करते रहे पर गरीबी और अशिक्षा के चलते न मेरा बाप कुछ कर पाया न मैं कुछ कर पाया। मैं हर मुसीबत को झेलते अपने दो लड़का एक लड़की को मेहनत मजदूरी कर करके पढ़ाया,मेरे बड़ा लड़का बी. एस.सी.एजी फाइनल ईयर में पढ़ रहा है ,मेरी लड़की एम एस सी बाटनी ,तीसरा लड़का एल.एल.बी.प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है ।
बच्चे पढ़ लिखकर समझदार हो गये हैं तो अब वो अर्जित शिक्षा का उपयोग करते यंहा वंहा भाग दौड़ करके अपने हक की जमीन का रिकार्ड निकलवा रहे हैं और इंसाफ पाने के जद्दोजहद में जुटे हुए हैं हम फरियाद करते काट रहें चक्कर और आगे वाले आते ही नहीं-महेश लहरे फरियादी महेश लहरे का कहना है कि -हम लोगों ने तहसील आफिस में आवेदन दिया है जिस पर सुनवाई चालू है पर जिन लोगों ने साजिशपूर्वक हथकंडा अपनाकर जमीन हड़पा है वो तहसील आते नहीं और जो आते ही हैं वो कोई भी अभिलेख कागजात रजिष्ट्री नहीं लाते जिससे यह प्रमाणित हो सके की वो हमारे दादा रतना पिता-कार्तिक की जमीन के मालिक कैसे बन गये-? और जमीन का नामांतरण कैसे हो गया-?? राज्यपाल के दर पर अन्न जल त्याग करेंगे आमरंण अनशन -महेश का और उसके पत्नी एवं पढ़ें लिखे नौनिहाल बच्चों का कहना है कि हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम महामहिम राज्यपाल के दरवाजे पर जाकर अन्न जल त्यागकर आमरंण अनशन करेंगे और या तो हमें इंसाफ मिलेगा तब लौटेंगे या फिर वंही भूखे प्यासे अपनी जान दे देंगे ।