रमन के 15 और मोदी के 7 साल में बस्तर को कुछ नहीं मिला, ब्लाक बनाने का निर्णय केंद्र का लेकिन अमल नहीं
बीआरजीएफ में राशि बंद करने से पंचायतों का काम प्रभावित
जगदलपुर। 3 साल के शासन में भूपेश सरकार ने तोंगपाल, गादीरास, गंगालूर, कुटरू जैसे सुदूर अंचल के बड़े ग्राम को तहसील बनाया जिससे जाति और निवास प्रमाण पत्र जैसे जरूरी काम के लिए भटकने वाले ग्रामीणों को राहत मिली। बस्तर के कद्दावर नेता रहे बलीराम कश्यप के गृह क्षेत्र भानपुरी को अभी तक तहसील नहीं बनाया गया है, जबकि उनके पुत्र सांसद और मंत्री रहे। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एर्राबोर, सोना कुकानार, तालनार, केरलापाल, मरईगुड़ा जैसे दुरस्थ अंचल के जगह को सोसायटी और धान खरीदी केंद्र बनाया जिससे किसानों और ग्रामीणों को काफी हद तक राहत मिली। बस्तर प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने जारी बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि रमन सरकार के 15 साल और मोदी सरकार के 7 साल में बस्तर को कुछ नहीं मिला। बस्तर संभाग में 12 ब्लाक बनाए जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है, जिस पर अमल नहीं हो रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से भी कई जगह ब्लाक बनने हैं लेकिन केंद्र सरकार से किसी तरह की अनुमति नहीं मिल रही है। हर बात पर हल्ला करने और आरोप लगाने वाले भाजपाईयों को केंद्र सरकार से गुजारिश करनी चाहिए। लखमा ने कहा कि यूपीए सरकार के समय हर जिले को 30 करोड़ रूपये बीआरजीएफ में मिलता था इससे ग्रामीण विकास के काम होते थे जिसे मोदी सरकार ने बंद कर दिया। रमन सरकार के समय सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले में अनेक स्कूल, आश्रम बंद हो गए जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से हमनें शुरू कराया है। जिससे बच्चों की पढ़ाई अब होने लगी है। लखमा ने कहा कि रमन सरकार के समय बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता था। बस्तर और सरगुजा आदिवासी बेल्ट है जहां सर्वाधिक आदिवासी रहते हैं और वहां सांसद, विधायक भी अधिक संख्या में चुनाव जीत कर आते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहले बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष लखेश्वर बघेल को और उपाध्यक्ष संतराम नेताम और विक्रम शाह मंडावी को बनाया है। हमने सीएम का आभार माना। सीएम ने कहा कि आदिवासी अंचल में विकास की बागडोर आदिवासी विधायकों के हाथ में होने से ज्यादा तेजी से विकास हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इंद्रावती विकास प्राधिकरण के लिए मुख्यमंत्री ने पहल की और जल्द ही सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जिससे बस्तर को काफी लाभ मिलेगा।
सुरेश रावल, मीडिया सलाहकार