फर्जी मस्टररोल तैयार कर मजदूरी राशि का बन्दरबाट करने वाले सचिव पर प्रशासन मेहरबान क्यों ?

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एलमपल्ली पंचायत में मृत व्यक्तियों के नाम सचिव ने तैयार किया था मस्टररोल

कमिश्नर के आदेशों की अवहेलना

शिकायत के एक वर्ष बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

जगदलपुर/सुकमा। जिला स्तर पर शिकायतों के निराकरण नहीं होने पर अफसर पीड़ित पक्ष उचित कार्रवाई को लेकर बड़ी उम्मीदद के साथ बस्तर कमिश्नर से गुहार लगाते है। सुकमा जिले के प्रशासनिक अधिकारी अपने वरिष्ठ अफसरों के आदेशों की भी अवहेलना करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है वहां के जिम्मेददार अधिकारी भ्रष्टाचार करने वाला एलमपल्ली के पूर्व सचिव पर मेहरबान बने हुए है। कमिश्नर कार्यालय से क्या कार्रवाई की गई है इस संबंध में दो रिमाण्ड पत्र जिला पंचायत सुकमा को भेजा जा चुका है जिसकी आज तक कमिश्नर कार्यालय में जानकारी नहीं पहुंच पाई है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासनिक अधिकारी आम जनता की कितनी सुनते होंगे। ऐसे अधिकारियों के कार्यप्रणाली व उदासिनता के कारण सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।

ज्ञातव्य हो कि सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड के एलमपल्ली पंचायत में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत पांच तालाब का निर्माण कराया जाना था ताकि स्थानीय स्तर पर मजदूरों को रोजगार उपलब्ध हो सके। वहां का पूर्व सचिव जो वर्तमान में गादीरास में पदस्थ है जिनके द्वारा तालाब निर्माण का कार्य मजदूरों से न कराकर अपने चहेते लोगों से मशीन के द्वारा कराया गया था जो महात्मा गांधी,नरेगा अधिनियम के अधिकार की अवहेलना है।

शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं: तालाब निर्माण एवं मजदूरी भुगतान में हुए बंदरबाट को लेकर वहां के सरपंच ने जिला कलेक्टर सुकमा को यह शिकायत की थी कि एक दर्जन से अधिक मृत व्यक्तियों के नाम फर्जी मस्टररोल तैयार कर मजदूरी राशि का बंदरबाट किया गया है। शिकायत के बाद जांच सही पाई गई लेकिन आज एक वर्ष बाद भी उक्त सचिव के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगा अधिकारी के इशारे पर भ्रष्टाचार होने की ओर इशारा करता है। जिसकी शिकायत कमिश्नर पंचायत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंची फिर भी उक्त सचिव पर प्रशासनिक अधिकारी मेहरबान बने हुए है।

कमिश्नर के आदेशो की अवहेलनाः जिला स्तर पर उक्त सचिव के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर एलमपल्ली पंचायत की महिला सरपंच उक्त मामले की शिकायत बस्तर कमिश्नर से मार्च 2021 में की थी। सरपंच की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर ने उक्त मामले की निष्पक्ष जांच करने जिपं सीईओ को पत्र प्रेषित कर किया था जिसमें उल्लेख किया गया था कि उक्त मामले की जांच सरपंच के उपस्थिति में कराई जाये एवं कार्रवाई का ब्योरा कार्यालय को उपलब्ध कराया जाये। किसी प्रकार से जानकारी उपलब्ध नहीं कराएं जानं पर कमिश्नर कार्यालय से सुकमा जिपं सीईओ को दो रिमांड पत्र भेजा जा चुका है लेकिन कार्रवाई के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे स्पष्ट होता है कमिश्नर के आदेशों का भी जिले के अधिकारियों पर कोई असर नहीं होता। सरपंच उक्त मामले की शिकातय पंचायत मंत्री से करने की तैयारी में है।

बीजापुर जिला प्रशासन से सीख लेनी चाहिए:

सुकमा जिला के प्रशासनिक अधिकारियों को बीजापुर जिला प्रशासन से सीख लेनी चाहिए। बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखंड गुड़साकल पंचायत में फर्जी मस्टररोल तैयार कर राशि बंदरबाट का मामला उजागर होने पर तत्काल जिला पंचायत सीईओ ने उक्त पंचायत के सचिव के खिलाफ कार्रवाई कर जनता के विश्वास जितने में सफल हुए। लेकिन सुकमा जिला के प्रशासनिक अधिकारी द्वारा पंचायत सचिव पर एक वर्ष बाद भी कार्रवाई नहीं होना वहां के प्रशासनिक अधिकारियों की उदासिनता दर्शता है