बघेल जला रहे चिराग…छत्तीसगढ़ के 8 में से 7 चिराग प्रोजेक्ट बस्तर की बदलेंगे तकदीर

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(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर की जनता द्वारा दिये गए भरपूर आशीर्वाद को नमन करते हुए विकास के मामले में बस्तर की तस्वीर और तकदीर बदलने में जुटे हुए हैं। विकसित तरीके से कृषि क्षेत्र में विकास से जुड़ी चिराग परियोजना बस्तर की किसानी में क्रांतिकारी परिवर्तन का आधार बनेगी, इसका बस्तर को पूरा भरोसा है। विश्व बैंक के सत्तर फीसदी और राज्य सरकार के तीस फीसदी वित्त पोषण से आकार लेने वाली एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की चिराग परियोजना में छत्तीसगढ़ के आठ जिले शामिल हैं, जिनमें बस्तर के सात जिले हैं जबकि शेष छत्तीसगढ़ से एक जिला मुंगेली सम्मिलित है। इससे जाहिर है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर विकास के लिए कितने अधिक तत्पर और संवेदनशील हैं। मुख्यमंत्री इस धारणा पर तेजी से बस्तर का विकास कर रहे हैं कि विकास के रास्ते ही शांति की फसल लहलहा सकती है। तीन साल में उन्होंने इस दिशा में तेजी से प्रयास किये, जिनका नतीजा है कि अंदरूनी इलाकों में भी ज्ञान से लेकर प्रकाश की किरणें फैल सकी हैं। सरकार के प्रति विश्वास लगातार बढ़ा है और वन प्रांतर विकास की उड़ान भर रहा है। बस्तर की सभी बारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जन आशीर्वाद प्राप्त है तो बस्तर लोकसभा सीट पर कई वर्षों बाद कांग्रेस का हाथ ऊंचा हुआ।

सरकार की बागडोर सम्हालते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर की तस्वीर और तकदीर बदलने मैदानी काम शुरू किया और चार माह में जनता ने बस्तर लोकसभा सीट की सौगात कांग्रेस को दे दी। तब बस्तर सांसद दीपक बैज, छत्तीसगढ़ सरकार के उद्योग मंत्री कवासी लखमा, संसदीय सचिव रेखचंद जैन सहित बस्तर के सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में जनहित के कार्यों में विशेष रुचि लेने के साथ साथ बस्तर विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाई। पहले जनता को आम तौर पर यह शिकायत हुआ करती थी कि योजनाओं के तहत होने वाले कार्यों का सलीके से भौतिक परीक्षण नहीं होता। जिससे केवल कागजी विकास ही सम्भव था। लेकिन बघेल राज में ऐसी भर्राशाही की कोई गुंजाइश नहीं। हर काम की निगरानी के लिए कांग्रेस के तमाम जनप्रतिनिधियों की फौज तैनात है। इसलिए बस्तर का हवा हवाई नहीं बल्कि ठोस विकास हो रहा है। अब यहां किसी को विकास की चिड़िया खोजने नहीं भटकना पड़ेगा। किसानी और किसान की दशा और दिशा में सुखद बदलाव लाने वाली नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के बाद अब चिराग प्रोजेक्ट बस्तर के हरित सोने पर सुहागा साबित होने तैयार है।

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