केंद्र सरकार के सार्वजानिक उपक्रम महारत्न सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदानों में कार्यरत कर्मियों के प्रति प्रबंधन के दोहरे नीति से यहाँ कार्यरत कर्मियों एवं विभिन्न श्रम संगठनों में प्रबंधन के प्रति आक्रोश है। हाल ही में संपन्न हुए वेतन समझौते में जहाँ एक तरफ अधिकारीयों को बिना मांगे सब कुछ दे दिया गया है वहीँ दूसरी तरफ सेल प्रबंधन द्वारा कर्मियों के वाजिब हक़ को भी दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उदाहरण है दासा की राशि। केंद्र सरकार के दिशा निर्देशानुसार खदान कर्मियों को उनके मूल वेतन के 10% राशि को दासा के रूप में दिया जाता रहा है। पिछले वेतन समझौते के बाद भी सेल प्रबंधन ने बीएसपी के बंधक खदान के कर्मियों को उनके बढे हुए वेतन का 10% राशि दासा के रूप में न देकर पुराने वेतन पर ही 10% राशि दासा के रूप में दिया था जबकि आरएमडी के खदानों में बढे हुए वेतन का 10% राशि दासा के रूप में दिया गया था और उसका एरियर्स भी कर्मियों को भुगतान किया गया था। प्रबंधन के इस नीति के विरोध में राजहरा खदान समूह में चार दिन का हड़ताल हुआ था जिसके उपरांत बढे हुए वेतन के 10% राशि को दासा के रूप में देना शुरू किया गया किन्तु उसका एरियर्स राशि के भुगतान हेतु मामला लटका रहा। इस बार के वेतन समझौते के बाद खदान कर्मियों एवं सभी श्रम संगठनों को इस बात का पूरा विश्वास था कि इस बार प्रबंधन पिछली गलती को नहीं दोहराएगा और कर्मियों को नए वेतन के 10% राशि के हिसाब से दासा का भुगतान होगा एवं उसका एरियर्स भी मिलेगा।
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सेल एवं बीएसपी प्रबंधन ने अधिकारीयों को तो उनके बढे हुए वेतन के हिसाब से दासा का भुगतान कर दिया किन्तु कर्मियों को उनके पुराने वेतन के हिसाब से ही दासा का भुगतान दिया जा रहा है। प्रबंधन के इस कृत्य से कर्मियों एवं श्रम संगठनों में रोष उत्पन्न हुआ जिसपर तीन श्रम संगठनों ने सेल एवं बीएसपी प्रबंधन को ज्ञापन सौंपते हुए स्पस्थ्कहा कि जल्द से जल्द कर्मियों को उनके नए वेतन के 10% राशि को दासा के रूप में भुगतान किया जावे और उसके एरियर्स राशि का भी भुगतान किया जावे जो कि कर्मियों का वाजिब हक़ बनता है। स्थानीय बीएसपी प्रबंधन के अधिकारीयों ने आश्वासन दिया कि जल्द ही इसपर समुचित कारवाई कर्मियों के हक़ में किया जावेगा किन्तु सेल एवं बीएसपी प्रबंधन के टाल-मटोल रवैये से मामला लटकते देख श्रम संगठनों ने सेल एवं बीएसपी प्रबंधन को नोटिस देते हुए स्पष्ट कहा कि अगर दिनांक 06.01.2022 तक सेल एवं बीएसपी प्रबंधन कर्मियों को उनका वाजिब हक़ नहीं देता है तो मजबूरन कर्मीगणों को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ेगा जिसे लिए केवल और केवल सेल एवं बीएसपी प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा। इस तारतम्य में 03.01.2022 को अधिशासी निदेशक कार्मिक द्वारा हड़ताल का नोटिस देने वाले सभी श्रम संगठनों को बुलाकर बातचीत की गयी जिसमें प्रबंधन ने इस मामले पर कॉर्पोरेट ऑफिस से निर्णय आने तक हड़ताल को स्थगित करने की अपील की जिसे सभी श्रम संगठनों ने एक सिरे से नकार दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि अगर दिनांक 06.01.2022 तक सेल अथवा बीएसपी प्रबंधन कर्मियों के हक़ में अगर सकारात्मक निर्णय लेते हुए सभी खदान कर्मियों को उनके नए वेतन का 10% राशि दासा के रूप में देने और उसका एरियर्स राशि देने की बात नहीं मानता है तो दिनांक 07.01.2022 से एटक, इंटुक, बीएमएस एवं सीएमएसएस यूनियन अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए बाध्य होंगे और इसके लिए तथा इससे होने वाले किसी भी नुकसान के लिए केवल और केवल सेल और बीएसपी प्रबंधन ही जिम्मेदार होगी। दिनांक 07.01.2022 से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल में केवल जिन दो मुद्दे को लेकर एटक, इंटुक और बीएमएस हड़ताल पर जावेंगे वे इस प्रकार से हैं –
(1) सभी नियमीय खदान कर्मियों को उनके नए वेतन के १०% राशि को दासा के रूप में भुगतान किया जावे एवं उसका एरियर्स राशि का भी भुगतान किया जावे।
(2) कंपनी के उत्पादन एवं उत्पादकता में कंधे से कन्धा मिलकर साथ देने वाले ठेका श्रमिकों को भी रुपये १५०/- प्रतिमाह दासा के रूप में भुगतान किया जावे।
जबकि सीएमएसएस के द्वारा दासा के अलावा अन्य मांगों को भी शामिल किया गया है। आज की बैठक में बीएसपी प्रबंधन की तरफ से यही आश्वासन दिया गया कि सेल कॉर्पोरेट ऑफिस से जल्द ही इसपर निर्णय आने की सम्भावना है इसलिए हड़ताल को स्थगित किया जावे क्योंकि हड़ताल से कंपनी की छवि एवं लाभ को नुकसान होता होगा। प्रबंधन के इस तर्क पर सभी श्रम संगठनों ने स्पष्ट कहा कि अगर पिछले वेतन समझौते के बाद घटी घटना से अगर कोई सबक नहीं लिया है और इस बार भी उसी गलती की पुनरावृत्ति की है तो इससे साफ़ होता है कि सेल एवं बीएसपी प्रबंधन केवल दिखावे के लिए कर्मी हित की बात करता है जबकि वास्तविकता में उसकी नीति कर्मियों के शोषण और दमन की है। इसलिए अगर सेल एवं बीएसपी प्रबंधन हड़ताल को रोकना चाहता है तो 06.01.2022 तक हम श्रम संगठनों की वाजिब मांगों को मानते हुए परिपत्र जारी करे अथवा समझौता कर ले अन्यथा हम सभी श्रम संगठन अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए बाध्य होंगे जिससे होने वाले किसी भी नुकसान के लिए केवल सेल और बीएसपी प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा।