फर्जी नक्सली मुठभेड़ कांड – मृतक मानू नूरेटी नक्सली नही बल्कि वो नक्सल पीडित था – केदार कश्यप

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भाजपा की जांच समिति ने घटना स्थल का दौरा कर पीडित परिवार से मुलाकात की

नारायणपुर- नारायणपुर जिले के ग्राम भरण्डा मे घटित फर्जी मुठभेड़ कांड की जांच के लिये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के द्वारा केदार कश्यप पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश प्रवक्ता की अध्यक्षता मे भाजपा प्रदेश महामंत्री किरण देव ,भाजपा अजजा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम, पूर्व विधायक राजाराम तोडेम, भाजपा जिलाध्यक्ष बृजमोहन देवांगन व पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रुपसाय सलाम आदि सदस्यो की जांच समिति का गठन किया था।गठित समिति ने कल दिनांक 31जनवरी को घटना स्थल पर जाकर मुठभेड़ से जुड़े तथ्यो की छानबीन की गयी।

समिति के सदस्यो ने न केवल घटना स्थल का दौरा किया बल्कि मृतक मानूराम नूरेटी के परिजनो से लंबी बातचीत भी की घटना की गंभीरता को देखते हुये सभी वरिष्ठ नेता मृतक के घर मे 1घंटे से अधिक समय तक रुके तथा मृतक की पत्नी,परिजन के अतिरिक्त अन्य ग्रामीणो से भी घटना की जानकारी प्राप्त की।परिवारजन तथा मौजूद सभी ग्रामीणो मे पुलिस के इस कृत्य के प्रति गंभीर रोष दिखाई दिया तथा उन्हे इस बात का भी अफसोस था की इतनी गंभीर घटना के बाद भी सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे मिलने तथा उनका दुख बाटने नही पहुंचा ! ना ही कांग्रेस का कोई नेता सांसद, विधायक ने सच जानने की कोशिश की !अन्वेषण समिति के अध्यक्ष केदार कश्यप ने कहा की सम्बंधित पक्षो की बात सुनने के बाद प्रथम दृष्टि यह पाया की मृतक स्वयं नक्सल पीड़ित था तथा माओवादियो से उसका किसी प्रकार का संबध न तो पूर्व मे और न वर्तमान मे रहा।एक होनहार आदिवासी युवक को अपना भविष्य सवारना था तथा इस फर्जी संदेहास्पद मुठभेड़ की घटना ने न केवल उसके सपनो बल्कि पुरे परिवार को तहस नहस कर डाला है,इस जघन्य कृत्य की एक स्वर मे जितनी निंदा की जाये कम है ! पुलिस भी एक सप्ताह तक लगातार झूठ बोलती रही !

नारायणपुर भरण्डा की घटना अपने आप मे पहली ऐसी घटना नही है ऐसे कई कांड बस्तर में अनवरत जारी है आज प्रदेश में एक दमनकारी सरकार है जिसका मुखौटा हट चुका है तथा लोगो को धीरे ही सही सच्चाई दिखाई दे रही है नक्सल उन्मूलन के नाम पर मानव अधिकार हनन की घटनाएं सामान्य हो चुकी हैं तथा सिलेगर की आग आज तक जल रही है अन्वेषण समिति यह भी मानती है की इस प्रकार की फर्जी कांडों से न केवल नक्सल समस्या और विकराल होगी बल्कि सुरक्षाबलो का भी मनोबल गिरेगा। भरण्डा फर्जी गोलीकांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए एवं पीड़ित पक्ष को न्याय तथा उचित मुआवजा यथाशीघ्र दिलवाया जाए।

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