रायपुर। छत्तीसगढ़ का किसान आंदोलन पिछले 50 दिनों से चल रहा है। सरकार ने किसानों की आठ में से छह मांगों को मान लिया है, फिर भी किसान इससे असहमत हैं। अब किसानों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंच गया है। वहां पर राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत से मिलकर आगे की रणनीति बनाने में जूटे हैं। किसानों ने टिकैत को आंदोलन के संबंध में बताया और उन्हें छत्तीसगढ़ में चल रहे आंदोलन में आने का न्यौता दिया। उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार से इस संबंध में चर्चा करेंगे। किसानों के प्रतिनिधि मंडल को टिकैत अपने गांव आमंत्रित किया और कहा कि वहां पर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।
छत्तीसगढ़ के नया रायपुर प्रभावित किसानों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल नई दिल्ली पहुंच गया है। इनमें नवा रायपुर किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर, सचिव कामता रात्रे और प्रवीण सेवकन शामिल है। छत्तीसगढ़ के किसान नेता दिल्ली में एक किसान सम्मान समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे है। कार्यक्रम में किसान नेता राकेश टिकैत भी उपस्थित थे। वहां पर उनसे मुलाकात हुई। इस दौरान योगेंद्र यादव और डॉ. सुनीलम भी मौजूद थे। इस दौरान किसान प्रतिनिधियों ने नया रायपुर प्रभावित किसानों के सभी मुद्दों पर चर्चा किया। साथ ही राकेश टिकैत से किसानों के समर्थन में रायपुर आने का आग्रह भी किया। समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि टिकैत ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया से चर्चा कर सभी मांगों में सहमति बनाने पर चर्चा करेंगे। चर्चा से हल नहीं निकला तो आंदोलन में शामिल होने जरूर आएंगे। टिकैत ने उन्हें रात को इस सबंध में और चर्चा के लिए बुलाया है।
इन मांगों पर बनी थी सहमति
रायपुर प्रभावित किसानों के आंदोलन के चलते राज्य सरकार ने उनकी आठ में से छह मांगों को मान लिया है। इसमें नई राजधानी परियोजना क्षेत्र में जहां ग्रामीण बसाहट है वहां आवासीय पट्टा दिए जाने, देय वार्षिक की ऑडिट आपत्ति का निराकरण करने, प्राधिकरण की निविदा सेवाओं में 60 प्रतिशत कर्मचारी प्रभावित गांवों के युवाओं को लिए जाने, विस्थापितों एवं भूमिहीनों को पट्टा दिए जाने, नई राजधानी परियोजना क्षेत्र अंतर्गत रोजगार एवं व्यवसाय के लिए निर्मित परिसंपत्ति, जिसमें 7 दुकानें, 4 हॉल, 12 गुमटी और 71 चबूतरों का आवंटन प्रभावित क्षेत्र के लोगों को लागत मूल्य पर लॉटरी के माध्यम से करने और 27 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए अनापत्ति से मुक्त किए जाने की सहमति बनी थी। किसान नेताओं ने साफ किया है कि सभी मांग मानने तक आंदोलन जारी रहेगा।
इन दो मांगों नहीं हुआ निर्णय
किसानों ने वर्ष 2005 से लगे भूखंड क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध और ग्राम पंचायत कार्यरत रहते हुए नगरीय क्षेत्र की वर्ष 2014-2015 को जारी अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की है। इन मांगों को उपसमिति ने विधि विभाग से राय लेने के बाद इसके संबंध में निर्णय का आश्वासन दिया है।