इन दुग्ध व्यापारियों को मिली अपील के लिए एक माह की मोहलत
जगदलपुर – जिले की जनता और बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करते हुए शहर में धड़ल्ले से बीडीएफ और खुशबु डेयरी फार्म द्वारा विगत कई वर्षों से खोवा, दूध बेचा जा रहा था. इनके दूध और खोवा की विगत वर्ष सैंपल लिए जाने के बाद रायपुर से रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें इन खाद्य पदार्थों को अमानक पाया गया है. जिले के विभिन्न इलाकों में अपने दुकान खोलने वाले बकावंड के बस्तर डेयरी फार्म सहित अन्य पर प्रशासन अब नकेल कसने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा जैन स्वीट्स का रसगुल्ला भी अमानक करार दिया गया है.
ताज्जुब की बात तो यह है कि विगत वर्ष 29 और 30 अगस्त को लिए गए 24 सैंपलों की रिपोर्ट अब आई है. इस रिपोर्ट में 4 जगहों के सैंपल अमानक मिले हैं. इतने समय में न जाने शहर के कितने बच्चे और अन्य लोग इनके खाद्य पदार्थ खा चुके है और अब तक खरीद भी रहे हैं. मिलावटी पदार्थ होने के चलते जनता की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है.
सूत्र बताते हैं कि इन दुग्ध पदार्थ के विक्रेताओं द्वारा शासन को भी गलत जानकारी दी जाती है. अमूमन 30-40 गाय या भैंस रखने वाले ये व्यापारी सरकार को अधिक होने की जानकारी देते हैं. शासकीय जांच में ढिलाई का नतीजा कहीं न कहीं आम जनता को भुगतना पड़ता है. यही नहीं, ये विक्रेता अपनी पैठ का गलत फायदा उठाते हुए खुलेआम जनता की जान के साथ खेलते हैं लेकिन आज पर्यंत इनके विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाई नहीं हो पायी है.
खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग, जांच में जिस भी खाद्य पदार्थ की रिपोर्ट को अमानक पाती है, उस दुकानदार के खिलाफ कार्यवाई को लेकर एसडीएम, सीजेएम और ट्रिब्यूनल कोर्ट में मामला दायर करती है. जहाँ से ऐसे दुकानदारों के विरुद्ध कार्यवाई की जाती है. जानकारी के मुताबिक, अब तक ऐसे 60 मामले दर्ज किये गए हैं और इनमें से 60 फीसदी मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है. वहीँ, सीजेएम और ट्रिब्यूनल न्यायालय में दायर 28 प्रकरणों की सुनवाई जल्द होने की सम्भावना है.
होली पर्व को लेकर खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग ने सैंपलिंग लेने की योजना अभी से बना ली है. अधिकारियों का कहना है कि आगामी 7 दिनों के बाद डायरी फार्म, रेस्टोरेंट और होटलों से मिठाइयों की सैंपलिंग की जाएगी. विभाग की गाड़ियों में मौके पर ही जांच रिपोर्ट दी जाएगी.
आगामी दिनों में बीडीएफ, खुशबु डायरी और जैन स्वीट्स के विरुद्ध आगामी दिनों में अपर-कलेक्टर न्यायलय में मामला पंजीबद्ध किया जायेगा. यहाँ इन दुग्ध व्यापारियों के विरुद्ध 5 लाख रुपयों तक का जुरमाना लगाया जा सकता है. दूसरी ओर इन व्यापारियों को अपील करने के लिए एक महीने की मोहलत दी गयी है जिसमें से जांच रिपोर्ट के खिलाफ कुछ ने अपील भी कर दी है, इसका परिणाम एक माह में आ सकता है.