इतनी किरकिरी के बाद क्यों प्रशासन ने की पार्षद पर एफआईआर, राजनीतिक पंडितों ने बताया कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान, भाजपाई बजट सत्र में कर सकते थे बखेड़ा

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जगदलपुर। बस्तर जिले में देर शाम हुई नाटकीय घटनाक्रम में संजय गांधी वार्ड की कांग्रेसी पार्षद कोमल सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर प्रशासन (जिला व पुलिस) ने तो अपनी किरकिरी कराई ही वहीं राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी को भारी नुक़सान हुआ है दरअसल यह घटनाक्रम इसीलिए घटा कि कहीं इस मामले में निगम के बजट सत्र के साथ विधानसभा सत्र में रायपुर में बखेड़ा न खड़ा हो जाए।

ज्ञात हो कि कोमल सेना पर वार्ड के लोगों को आवास दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली करने का आरोप लगाया है जिसके कारण एक माह तक जमकर राजनीति भाजपा द्वारा वार्ड से लेकर राज्यपाल तक किया गया तो कांग्रेसी डैमेज कंट्रोल करने में लगी रही जिसके कारण इस पूरे मामले में वह बैकफुट पर आ गई है।

राजनीति के जानकारों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी बस्तर में मुद्दा विहिन हो गई थी और बैठे बैठे पार्षद कोमल सेना ने उन्हें मुद्दा दे दिया।इन सबके बीच बस्तर के दो राजनीतिक धुरियों के बीच ठन गई और इस मामले को डैमेज कंट्रोल करने कई दौर की बैठक जिला व पुलिस प्रशासन के साथ राजनीतिक लोगों की हुई और मामला पहले ही सुलझ जाती यदि हैकड़ीबाजी नेताओं द्वारा नहीं किया जाता। कांग्रेस पार्टी को सैफ कराने के लिए एक नेता ने इस मामले को बहुत ही लंबा खिंचा जिसके कारण कांग्रेस पार्टी की जमकर किरकिरी हुई। इस पूरे प्रकरण से स्वयं निगम के कई जनप्रतिनिधि अनभिज्ञ नहीं थे यदि शुरुआत में पार्षद कोमल सेना की कारगुजारियां विधायक रेखचंद जैन व संगठन अध्यक्ष राजीव शर्मा तक पहुंचाते तो गरीब नहीं ठगे जाते।

पुलिस ने फलने-फूलने दिया आंदोलन को

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के शह पर आंदोलन को जबरन फलने फूलने दिया गया। दरियादिली करने के कारण उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए।थाने के सामने एक पखवाड़े तक आंदोलन अपने आप में बस्तर का एक इतिहास बन गया जबकि थाने के सामने भाजपा के दो दर्जन से ज्यादा वारंटी भाजपाई भी थे जिनके खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत् अपराध कायम है तो कोविड़ काल में धरना प्रदर्शन करने की छुट देना भी अपने आप में सोचनीय विषय है।

जिला प्रशासन की सुस्ती भी पड़ी भारी

जिला प्रशासन इस मामले में बिल्ली की तरह आंखें बंद कर बैठा रहा यदि वह हितग्राहियों को पहले अपने पास बुलाती और पार्षद पर दवाब डालती तो इतनी फजीहत नहीं होती तथा पीड़ितों को घर भी मिल जाता था।

राजनीति में नुकसान सिर्फ और सिर्फ गरीब का

भले हीं पार्षद कोमल सेना की गिरफ्तारी हो जाए किंतु राजनीति में नुकसान और नुकसान सिर्फ गरीबों का हुआ। दोनों दल अपनी अपनी गोटियां फिट करने में लगे रहेंगे और यह बात आई गई हो जायेगी किंतु पैसे के साथ साथ आवास का सपना इनका अधुरा ही रहेगा। क्योंकि कोर्ट में मामला लंबा खिंचा जायेगा जब तक शायद पार्षदी भी चले जाएं और रेलवे उन्हें घर से बेदखली कर दे।