लो. नि. वि. में प्रभारियों की भूमिका समाप्त, पदोन्नत होकर सिंह बने मुख्य कार्यपालन अभियंता

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लगातार प्रभारियों की नियुक्ति से विभाग की प्रतिष्ठा पर उठ रहे थे कई सवाल पहुँच के अलावा धन-बल नहीं आया काम, अंततः हटाये गए बत्रा

जगदलपुर

शासन द्वारा लोक निर्माण विभाग में पदस्थ कुछ अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है. लोक निर्माण द्वारा कल जारी किये गए आदेश के अनुसार, जगदलपुर रेंज के क्रमांक दो में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी एके सिंह को पदोन्नत कर लो.न.वि. क्रमांक एक में मुख्य कार्यपालन अभियंता के रूप में पदस्थ किया गया है. वहीँ, विगत वर्षों से प्रभारी मुख्य कार्यपालन अभियंता का पद संभल रहे राजीव बत्रा को क्रमांक दो में उनके मूल पद अनुविभागीय अधिकारी के रूप में पदस्थ किया गया है. कुछ और स्थानांतरण एवं पदस्थापनाएं इस विभाग में हुई हैं किन्तु प्रभारी मुख्य कार्यपालन अभियंता का पद संभाल रहे राजीव को उनके पद से अनायास विदाई देकर पुनः उनके मूल पद में इस अनुविभाग में पदस्थ किया जाना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.

विगत कुछ वर्षों से बस्तर लोक निर्माण विभाग क्रमांक एक में प्रभारी के रूप में मुख्य कार्यपालन अभियंता का पद संभालने वाले इंजिनियर गुरु भी काफी विवादों में घिरे रहे. अंततः उन्हें भी इस जगह से विदाई देकर दुसरे विभाग में भेजा गया. इसके पश्चात इन्ही के मातहत इंजिनियर बत्रा को प्रभारी के रूप में मुख्य कार्यपालन अभियंता की कमान सौंप दी गयी. लो.न.वि. के कुछ सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली कि कई अधिकारी ऐसे प्रभारियों की नियुक्ति से खासे नाराज थे. उनका कहना था कि धन और पहुँच का उपयोग कर योग्य अधिकारियों की उपेक्षा की जा रही है. ऐसे प्रभारी अधिकारियों के कारण ही विभाग का कार्य सुचारू रूप से चल नहीं पाता है एवं तकनीकी विभाग से जुड़े अन्य इंजिनियर के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल हो जाता है. इसी प्रकार की नियुक्ति से विभाग में कार्यरत ठेकेदार भी अंकुशविहीन होकर गुणवत्ता के साथ सौदा कर लेते हैं जिससे विभाग द्वारा कराये गए कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है.

इंजिनियर गुरु के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अभियंता बनने के बाद से ही लो.नि.वि. के कार्यालय में जुआ एवं शराब पीने की घटना सरेआम हुई थी जिससे विभाग की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची थी. इसी प्रकार इंजिनियर राजीव बत्रा के प्रभारी के रूप में पदस्थापना के बाद भी कई प्रकार के निविदा जारी होने एवं ठेकेदारों को कार्य आबंटित करने के मामले में भी कई प्रकार की असमताएं सामने आई थी. लोक निर्माण विभाग, सरकार की सर्वोच्च निर्माण एजेंसी है. इस विभाग द्वारा जारी मापदंड के अनुसार, सरकार की अन्य निर्माण एजेंसियां भी काम करती हैं लेकिन ऐसे प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति महत्वपूर्ण पद पर राजनैतिक दबाव अथवा धन के प्रोत्साहन स्वरुप किये जाने से विभाग की कार्यशीलता एवं कार्यक्षमता पर बट्टा अवश्य लगता है. इसी विभाग से जुड़े कई वरिष्ठ कर्मचारियों ने प्रभारी अधिकारी को हटाकर मुख्य कर्पालन अभियंता के प्रतिष्ठापूर्ण पद पर मूल अधिकारी को पदस्थ किये जाने पर ख़ुशी जाहिर की है. उनका कहना है कि शासन ने बेहतर निर्णय लिया है. भविष्य में भी प्रभारियों के बदले मूल अधिकारियों की नियुक्ति की जाती रहे.