पहले दिन एक भी नामांकन दाखिल नहीं
सियासी दांवपेंच शुरू, होली के बाद बढ़ेगी सरगर्मी
रायपुर खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी दांव-पेंच शुरू हो गए हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ने उपचुनाव के लिए गुरुवार को अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही वहां पर नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 24 मार्च तक नामांकन लिए जाएंगे। 28 मार्च को नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होगी। दोनों राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस ने 7 और भाजपा ने चार नामों का पैनल तैयार किया है।
खैरागढ़ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगाएगी। अब तक राज्य में हुए तीन उपचुनाव में कांग्रेस जीत दर्ज कर 70 सीटों पर कब्जा कर चुकी है। अब खैरागढ़ चुनाव जीतकर अपनी संख्या को और बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रही है। प्रदेश कांग्रेस संगठन ने यहां पर प्रत्याशी चयन से पहले सर्वे कराया था। यहां की राजनीैतिक परिस्थितियों के आधार पर प्रत्याशी चयन किया जाएगा। बताया जाता है कि जो नाम आए थे, उनमें सात नामों का पैनल बनाकर हाईकमान को भेजा गया है। वहीं भाजपा ने भी यहां पर 10 नामों को सर्वे के दौरान प्रत्याशी चयन के लिए रखा था, इनमें से तीन नामों को केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया है। बताया जाता है कि 24 मार्च को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। उसके पहले नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
राजपरिवार से चुनाव लड़ने दावेदारी
यहां पर राजपरिवार का इस सीट पर कब्जा था। देवव्रत सिंह के निधन के बाद उनकी पूर्व पत्नी और वर्तमान पत्नी के बीच विवाद के कारण यहां पर मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। वैसे दोनों पत्नियों ने विधानसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी की है। अभी किसी भी राजनीतिक दल ने परिवार के विवाद के चलते इस पर कुछ नहीं कहा है। अगर राजपरिवार किसी भी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ता है तो इसका व्यापक असर पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस राजपरिवार पर अपना दांव खेल सकती है। वर्तमान पत्नी विभा सिंह द्वारा पिछले दिनों प्रेसवार्ता के दौरान किए गए खुलासे में पहली पत्नी के बारे में कहा कि वे तलाक के बाद किसी और से शादी कर चुकी है। विवादों के बीच एक-दूसरे की पोल खोलने में लगी हैं।
छजकां ने अभी नहीं खोले पत्ते
खैरागढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के टिकट पर देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की थी। विधानसभा में छजकां विधायक रहते हुए देवव्रत सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी से पटरी नहीं बैठने के कारण विरोध किया था। उनका झुकाव कांग्रेस की ओर अधिक था। अभी तक छजकां की ओर से काेई संकेत नहीं मिले हैं। बताया जाता है कि यहां पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला होने के आसार हैं।