बीज निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड फर्म को भुगतान किये जाने का मुद्दा उठा, सदन की कमेटी से जांच कराने की घोषणा

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नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रश्रकाल में उठाया मुद्दा

रायपुर,22 मार्च। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में आज बीज निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड फर्म को भुगतान किये जाने का मुद्दा उठा। इस मामले में विपक्ष ने सदन की कमेटी से जांच कराये जाने की मांग की। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस मामले में कहा कि किसानों के साथ कोई गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि हम सदन की कमेटी से जांच कराने के लिए तैयार है, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले की जांच सदन की कमेटी से कराये जाने की घोषणा की।

प्रश्रकाल में आज नेताप्रतिपक्ष व भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने इससे संबंधित मामला उठाया। भाजपा विधायक के प्रश्रों के जवाब में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि 01 जनवरी 2019 से लेकर 31 जनवरी 2022 तक अवधि में संचालनालय कृषि द्वारा किसी भी उर्वरक , बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र-उपकरण प्रदायकर्ता कंपनी या फर्म को ब्लैक लिस्टेड, डीबार, प्रतिबंधित नहीं किया गया है। मंत्री ने बताया कि छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा किसी भी कंपनी को डिबार से हटाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि त्रिमूर्ति प्लांट सार्इंस फर्म को डिबार सूची से हटाया नहीं गया है, बल्कि उसे आरसीओ-53 हाईब्रीड पैडी सीड नोटिफाइड वर्ष 2019-20 के अंतर्गत डिबार किया गया है। उक्त संस्था के अन्य आरसीओ यथा आरसीओ-01 एवं आरसीओ-54 में क्रय आदेश जारी किये गये है।

कृषि मंत्री ने बताया कि बीज अधिनियम 1966 बीज नियम 1968 तथा बीज नियंत्रण आदेश 1983 के प्रावधानों में मात्र प्रमाणित बीजों के अंकुरण क्षमता, भौतिक शुद्धता आदि के परीक्षण हेतु नमूने लेने एवं अधिकृत प्रयोगशालाओं में भेजने की प्रक्रिया का उल्लेख है, जिसके प्रावधानों के अनुरूप ही विभागीय बीज निरीक्षकों द्वारा प्रमाणित बीज के नमूनों को लेकर नियमानुसार राज्य शासन द्वारा अधिसूचित प्रयोगशालाओं में भेजे जाते है। चौबे ने बताया कि बीज अधिनियम, नियमोंव आदेशों में हाईब्रिड बीजों के नमूने लेने अथवा इनका परीक्षण कराने संबंधी प्रक्रिया, नियम का उल्लेख नहीं है इसलिए हाईब्रिड बीज के नमूनों नहीं भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि विभागीय योजनाओं में वितरित हाईब्रिड बीजों के गुणवत्ता का परीक्षण करने की दृष्टि मात्र से हाईब्रिज बीजों के नमूने को लेकर इनका परीक्षण शासकीय कृषि विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं में कराया गया है। बीज से संबंधित अधिनियम, नियम, आदेश में बीजों के डीएनए परीक्षण के संबंध में मौन होने के कारण उक्त प्रयोगशालाओं को नमूना परीक्षण हेतु भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है, अपितु संबंधित कंपनी, प्रदायक संस्था द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त विभागीय बीज निरीक्षकों द्वारा हाईब्रिड धान एवं हाईब्रिड मक्का बीज के नमूने अंकुरण क्षमता, भौतिक शुद्धता आदि के परीक्षण हेतु भी छग राज्य बीज प्रमाणिकरण संस्था के अधीन संचालित बीज परीक्षण प्रयोगशाला को भेजे गये जो शासन द्वारा अधिसूचित प्रयोगशाला है।

इस मामले में नेताप्रतिपक्ष कौशिक ने पूरक प्रश्र करते हुए मंत्री से कहा कि बीज निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड फर्म को भी भुगतान कर दिया गया। मंत्री ने इसे स्वीकार किया। जिसके बाद नेताप्रतिपक्ष सहित भाजपा के अन्य सदस्यों ने इस मामले में सदन की कमेटी से जांच कराये जाने की मांग की। कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि मैंने स्वीकार किया है कि ब्लैक लिस्टेड फर्म को भुगतान किया गया है, लेकिन पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों के साथ गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी इसलिए वे मामले में सदन की कमेटी से जांच कराने के लिए तैयार है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डा.चरणदास महंत ने सदन की कमेटी से जांच कराने की घोषणा की।