रायपुर। विभिन्न विभागों में संचालित होने वाली विवेकाधीन योजनाओं की स्वीकृति जारी करने की प्रक्रिया कोरोनाकाल के समय से बदले जाने के कारण इन योजनाओं के लिए जारी फंड का उपयोग नहीं हो पा रहा है। विवेकाधीन योजनाओं से पंचायतों में सीसी रोड़, निर्मलाघाट, नाली और कई अन्य निर्माण कार्यों की स्वीकृति विभागों द्वारा सीधे दी जाती थी। कोरोना संक्रमण के समय इस प्रक्रिया को बदलकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी की स्वीकृति से ऐसे अति आवश्यक कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि हर साल इसके अंतर्गत 200 करोड़ की राशि मिलती है। पिछले तीन सालों से इसकी स्वीकृति नहीं मिलने से यह राशि लेप्स हो जा रही है।
बताया जाता है कि विवेकाधीन योजनाओं की राशि से विभिन्न विभागों जिनमें आदिम जाति कल्याण विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत गठित सभी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण, मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना, नगरीय अधोसंरचना विकास, श्रम विभाग के अंतर्गत गठित असंगठित श्रमिक सुरक्षा एवं कल्याण मंडल, भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल एवं अन्य मंडलों द्वारा संचालित योजनाओं में कार्य की स्वीकृति नहीं मिल रही है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्ष 2020-21 में प्रशासकीय विभागों द्वारा स्वीकृति देने की नियम प्रक्रिया को बदलकर इसे वित्त विभाग के अधीन करते हुए एक समिति बना दिया गया। समिति द्वारा पिछले तीन सालों से इस मद से एक भी कार्य की स्वीकृति नहीं देने के कारण कार्य नहीं हो पा रहे हैं। हर साल इस मद से करीब 200 करोड़ की राशि का प्रावधान होता है। वर्ष 2019-20, 2020-21 के दौरान इस मद से कार्य स्वीकृति नहीं हुई। वर्ष 2021-22 में केवल 80 लाख रुपए के कार्य की स्वीकृति प्रदान की गई।
पंचायतों में नहीं हो रहे कार्य
विवेकाधीन योजनाओं को लेकर जिला पंचायत, जनपद पंचायत और सरपंचों को पंचायत विभाग सीधे राशि स्वीकृत कर फंड जारी कर देते थे। पिछले तीन सालों के दाैरान यहां पर कार्य नहीं हाेने से पंचायत प्रतिनिधियों में भी नाराजगी है। बताया जाता है कि विभागवार अन्य मदों में मिलने वाली राशि हर साल काम नहीं होने के कारण लेप्स हो रही है।
इस साल भी समिति के हवाले
वित्त विभाग ने एक आदेश जारी कर विवेकाधीन योजनाओं की स्वीकृति मुख्य सचिव की अध्यक्षता बनी तीन सदस्यीय कमेटी के हवाले कर दिया है। इसमें वित्त विभाग के एक सदस्य और प्रशासकीय विभाग के सचिव को सदस्य के रूप में रखा गया है। आदेश जारी होने के बाद ऐसे कार्य जिन विभागों में होते हैं वहां अतिआवश्यक होने पर ही कार्य की स्वीकृति मिल सकेगी।