मुख्यमंत्री ने कहा- केंद्र की कोयला आयात नीति से बिजली होगी महंगी

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जिनती जरूरत उतना नहीं हो रहा उत्पादन, इसलिए केंद्र डाल रही दबाव

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आशंका जताई है कि केंद्र सरकार की कोयला आयात नीति से बिजली महंगी हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा, देश को जितने कोयले की जरूरत है उतना उत्पादन हो नहीं रहा है। इसकी वजह से केंद्र सरकार दबाव डाल रही है कि विदेश से आए कोयले का 10-20 प्रतिशत अनिवार्य रूप से देसी कोयले में मिलाना होगा। यह स्थानीय कोयले की तुलना में यह महंगा होगा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा में कहा, भाजपा सरकार की कोयला नीति विफल रही है। इन लोगों ने राज्य सरकारों को आवंटित कैप्टिव माइंस को निरस्त किया। उसके बाद उसकी नीलामी की। नीलामी में किसी ने भाग नहीं लिया। उसके बाद स्थिति ये है कि इन लोगों ने न राज्य सरकारों को ठीक से खदान आवंटित की और न ही कैप्टिव कोल यूजर को। आज पावर प्लांट के अलावा दूसरे प्लांट को जो कोयले की आवश्यकता है उसकी पूर्ति सभी जगह कटौती कर दी गई है अथवा बंद हो गई है। औद्योगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, विदेश से जो कोयला आने वाला है वह 15 हजार से 20 हजार रुपए प्रति टन है। इतना भार राज्य सरकारों के बिजली बोर्ड पर आएगा। इसका सीधा सा मतलब है कि उत्पादन महंगा होगा। फिर बिजली भी महंगी होगी। अभी विदेशी कोयले के आयात और खपाने के लिए राज्यों पर दबाव बनाया जा रहा है।

राज्यों के पास कोयले की कमी

मुख्यमंत्री ने कहा, कोयले को लेकर स्थिति ठीक नहीं है। पिछली बार तो जैसे-तैसे हालात संभल गए। अब जो स्थिति है वह भयावह हाेने वाली है। बहुत सारे राज्यों में तीन-चार दिन का कोयला है। किसी-किसी राज्य में तो डेढ़ दिन का कोयला ही बचा है।

सिंधिया जैसे लोगों की बाताें का जवाब नहीं देता

केंद्रीय नागरिक उड्‌डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के संबंध में पूछे एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, ऐसे लोगों के सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझता। जो किसी भी तरह से प्रेरणा स्रोत नहीं है, वो क्या सवाल पूछेंगे। दल बदल करने वाले के सवालों का जवाब नहीं देता। ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले का अपना भाषण सुन लें और अभी जो बोल रहे उनको सुन लें, उनको जवाब मिल जाएगा।