खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव का परिणाम कुछ रोज पूर्व ही चुनाव आयोग द्वारा घोषणा कर दी गयी है। जहां पर उपचुनाव में दस प्रत्यासीयों ने अपनी किस्मत आजमाते हुए अपना दमखम दिखाया था। जिसमें कांग्रेस पार्टी की महिला प्रत्यासी की एकतरफा जीत हुई है। फिलहाल ये तो होना ही था क्योंकि अधिकांशतः देखा गया है कि जिसकी भी सत्ता सरकार राज्य में रहती है वह उपचुनाव जीतकर ही रहता है। आइए हम बात करते हैं खैरागढ़ के उपचुनाव में एक ऐसे प्रत्याशी के बारे में जो बाकी सभी नौ प्रत्यासियों से उम्र एवं राजनीतिक अनुभव में सबसे कम था। किंतु शिक्षा में जितने वाली प्रत्यासी से ज्यादा शिक्षित था। हम बात कर रहे हैं स्वतंत्र प्रत्यासी नितिन कुमार भांडेकर की जो पेशे से खैरागढ़ में पत्रकारिता का कार्य करते हैं । जिन्हें एअरकंडीशनर का छाप मिला था। जो मतदाताओं के लिए बिल्कुल नया था। श्री भांडेकर मूलतः डोंगरगढ़ विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायत पांडादाह में निवाश्रित हैं। आपको बता दें कि इन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया है।
जहां पर कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पार्टियाँ तीन से पांच महीने पूर्व ही अपने कार्यकर्त्ताओं सहित चुनाव की तैयारियों में लग गए थे। ऐसे में श्री भांडेकर ने चुनाव लड़ने का सोचा भी नहीं था। किंतु जब फार्म लेने हेतु सिर्फ दो दिवस ही शेष थी ऐसे में इन्होंने फार्म लेकर आखरी दिवस को फार्म भर कर सबको चौका दिया था। तत्पश्चात इनके पास महज 9 दिन ही शेष था अपने मुहर का पूरे विधानसभा में प्रचार प्रसार करने। जबकि भांडेकर अपने तीन कार्यकर्ताओं के भरोसे पूरे 9 दिन चुनावी मैदान में उतरकर प्रचार प्रसार किये। वहीं फारवर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी से विप्लव साहू विगत कई महीनों से उपचुनाव के घोषणा के पूर्व ही धुवांधार दौरा कर प्रचार करते हुए अपने सामाजिक वोट बटोरने में लग गए थे। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी अपनी कमर कस रखी थी। खैरागढ़ में जे सी सी जे पार्टी से पूर्व दिवगंत विधायक देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन की वजह से हो रहे उपचुनाव में जे सी सी जे पार्टी ने भी अपनी शाक कायम रखने राजमहल से रिश्तेदारी रखने वाले प्रत्यासी को मैदान में उतार दिया था। जिन्होंने दिवंगत पूर्व विधायक के नाम पर मतदाताओं को रिझाने का भरसक प्रयास भी किया। वहीं राष्ट्रीय जनसभा पार्टी, अंबेडकर राइट पार्टी ऑफ इंडिया, जे सी सी जे, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी , एवं दो अन्य निर्दलीय प्रत्यासी जिनमें एक महिला प्रत्यासी वर्तमान में जनपद सदस्य थी।
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वहीं फारवर्ड डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी से जो प्रत्यासी थे वह भी जिला पंचायत सदस्य थे। सभी प्रत्याशियों ने जीतोड़ मेहनत करते हुए हर तरह से मेहनत करते हुए पूरे विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करते हुए मतदाताओं को रिझाने के भरपूर प्रयास किया था। पर हम आपको बता दें कि श्री भांडेकर सिर्फ 9 दिन तक ही प्रचार प्रासार किये जिसमें वह खैरागढ़ , छुईखदान, गंडई, साल्हेवारा सिर्फ एक ही बार गए। इन्होंने 291 बूथों में सिर्फ तीन चार बूथ में ही भ्रमण किया था जहां पर इनके द्वारा चौक चौक में बैठे दो चार लोगों तक ही पहुंच पाए थे।
भांडेकर के विषय में यही कयास लगाया जा रहा था कि ये अन्य नौ प्रत्यासियों में कमजोर प्रत्यासी हैं जो 50 से 60 मत ही अपने झोली में डाल पाएंगे। किंतु खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव का जब परिणाम आया तो लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार ने यहां भी चौथा स्थान प्राप्त कर अपनी उपस्थिति दर्ज कर दी। जबकि चार बड़ी चर्चित राजनीतिक पार्टियों एवं अन्य दो निर्दलीय प्रत्यसियों को भी पीछे छोड़ दिया। ताज्जुब की बात है कि भांडेकर अन्य विधानसभा क्षेत्र में रहने के कारण उक्त उपचुनाव में अपना स्वंय का मत नहीं डाल पाए थे। लेकिन छः अन्य प्रत्यसियो को महज 9 दिन की मेहनत से पीछे कर देना खैरागढ़ सहित प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। हमारे अनुसार शायद भांडेकर वो बाजीगर हैं जो हारकर भी जीत गए हैं।