रेगड़गड़ा पंचायत में ढाई वर्ष में 61 ग्रामीणों की मौत का जिम्मेदार कौन?

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जिला पंचायत सदस्य की शिकायत के बाद जागा प्रशासन

बीएमओ ने जिला प्रशासन को पूर्व में भी कराया था अवगत

जिला एवं जनपद स्तर की स्वास्थ्य टीम करेगी कैम्प, होगी जांच

उच्च स्तरीय स्वास्थ्य दल भेजकर जांच की दरकार

जगदलपुर कोटा – सुकमा जिले के कटा विकसखंड के अंतर्गत रेगड़गट्टा पंचायत में ढाई वर्ष में बीमारी से 61 ग्रामीणों की मौत हुई है जिसमें अधिकांश 20 से 40 वर्ष के ग्रामीण है। इन ग्रामीणों की मौत का जिम्मेदार कौन? स्वास्थ्य विभाग ने आशंका जाहिर की है कि यूरिक एसीड की मात्रा बढ़ने एवं यूरीन इंफेक्शन के कारण मौत हो हुई है। पूर्व में बीएमओ कोंटा के द्वार शिविर लगाकर जांच में यूरिक एसिड बढ़ने का खुलासा हुआ था जिसकी जानकारी सकमा में स्वास्थ्य विभागके सीएमओ और प्रशासन को भी अवगत कराते हुए मेडिकल कॉलेज से टीम भेजकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई थी। बीएमओ के जांच रिपोर्ट पर गंभीरता बरती जाती तो कुछ ग्रामीणों को जिंदगी बचाई जा सकती थी। सुकमा जिला पंचायत सदस्य एवं सीपीआई नेता राम सोढ़ी ग्रामीणों की मौत पर चिंता जताते हुए प्रशासन को जगाने का काम किया है। खबर है कि शिकायत के बाद जिला प्रशासन जागा है और सुकमा एवं कोटा से स्वास्थ्य विभाग का दल रेगड़गट्टा में कैम्प कर मामले की जांच करेंगी।

ज्ञातव्य हो कि आजादी के 74 वर्षों बाद भी बस्तर अंचल के कई इलाकों में बुनियादी सुविधा नहीं पहुंच पाई है, लोग बेहतर बुनियादी सुविधा के अभाव में मौत का शिकार हो रहे है। सत्ता में बैठे राजनीतिक दल के नेता हमेशा यह कहा करते है कि शासन की योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाई जा रही है और शिक्षा स्वस्थ्य हमारी प्राथकिता होगी। स्वास्थ्य और शिक्षा पर बेहतर ध्यान केन्द्रीत किया जाता तो शायद यूरिक एसिड़ की समस्याओं से ग्रामीणों की मौत नहीं होती।

30 माह में 61 ग्रामीणों की मौत:

प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा सुकमा जिले के कटा विकासखंड के एक दर्जन से अधिक ऐसे पंचायत है जहां निवासरत परिवार बनियादी सुविधओं से जूझ रहा है। कोंटा से लगभग 25 किमी दूर रेगड़गट्टा पंचायत में जहां एक सामान्य सी बीमारी अपना पांव पसार चुकी है जिसके चलते 61 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2020 में 18,2021 में 19 एवं 2022 में अब तक 24 प्रामीणों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में अधिकांश 20 से 40 वर्ष के युवा शामिल है।

शिकायत के बाद जागा प्रशासनः

सीपीआई नेता एवं जिपं सदस्य रामा सोढ़ी ने जनता की सेवा का दायित्व उठते हुए उन ग्रामीणों की मैत पर चिंता जाहिर करते हुए जिला प्रशासन को मौत को लेकर अवगत कराया। सुकमा डिप्टो कलेक्टर को पत्र सौंप यह मांग की गई है कि स्वास्थ्य टीम भेजकर मामले की जांच करते हुए ग्रामीणों को बेहतर उपचार दिया जाये।

यूरिक एसिड बढ़ने से मौत की आशंका:

कोंटा के बीएमओ ने बताया कि ग्रामीणों की मौत की जानकारी मिलने के बाद रेगड़गट्टा में फरवरी एवं मई में कैम्प कर ग्रामीणों के ब्लड एवं यूरिन की जांच कराई गई थी जिसमें अधिकांश की रिपोर्ट में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ना पाया गया। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि उक्त कारणों से ग्रामीणों की मौत हुई होगी। बीएमओ ने बताया कि इसकी जानकारी सीएमओ सुकमा एवं जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए मेडिकल से टीम भेजकर उच्च स्तरीय जांच का आग्रह किया गया था।

मौत का जिम्मेदार कौन?:

प्रारभिक स्तर की जच में आई कमियों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन एलर्ट हो जाता तो शायद कई ग्रामीणों की जान बचाई जा सकती थी। जिला प्रशासन ने उन ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सविधा की व्यवस्थ न करये जाने का आरोप जिपं सदस्य ने लगाया है। खबर है कि शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने जिला स्तर की स्वस्थ्य टीम भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी है और गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज भेज जायेगा।