अमरेश झा
आज जन सामान्य के लिए हर वस्तु इतना अनमोल एवं जरूरी हो गया है कि उसकी पूर्ति के लिए व हर आधुनिक चीज को पाना चाहता है जिसमें से इन चीजों के आवागमन हेतु वाहनों की जरूरत पड़ती है जिसमें जरूरी ट्रक भी हैं जो आज के दौर में बड़े से बड़े वाहन इन चीजों के आवागमन के लिए रोड पर दौड़ रहे हैं इन सामानों को लाने ले जाने की जिम्मेदारी ट्रक के चालक की होती है जो दिन रात मेहनत करके परिवहन में संलिप्त रहते हैं परंतु जब यही ट्रक चालक नशे में धुत होकर अपने वाहनों को रोड में फर्राटे से दौड़ाते हैं तो वह सामान ही नहीं अपितु आम जनमानस भी खतरे में आ जाता है।आज इस आपाधापी में सैकड़ों वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं जब ड्राइवर नशे में वाहनों को दौड़ायेगे तो दुर्घटनाएं अवश्य होंगे और ऐसा ही एक मामला जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसे देखने में आ रहा है कि कैसे एक ट्रक ड्राइवर रायपुर जगदलपुर मार्ग में प्रसिद्ध केशकाल घाट में एक सवारी बस को ओवरटेक कर रगड़ते हुए आगे जाकर पलट गई जिससे एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया और बस में सवार यात्रियों की जान-माल की रक्षा हुई इस हादसे से विचलित हुए बस के चालक एवं परिचालक एवं कुछ सवारियों ने नशे में धुत ट्रक ड्राइवर को मारपीट भी कर दिया अब यह तो मानव प्रवृत्ति का ही एक हिस्सा है कि गुस्सा एवं विचलित इंसान उस क्षण में अपना आपा खो देता है। परंतु इसका यह मतलब नहीं है की संबंधित व्यक्ति बाद में इसका बदला ले गौरतलब है कि इस हादसे के बाद ट्रक ड्राइवर के लोगों ने अपने क्षेत्र में संबंधित बस चालक व परिचालक को रोक कर उनसे भी गाली गलौज कर मारपीट किया गया अब यह न्याय उचित तो नहीं होगा कि कि कोई गलत करें और लोग उनका साथ दें बल्कि यहां यह कहना भी लाजमी होगा की आज जब नशे में लिप्त वाहन चालक जिसकी वजह से कितने ही लोगों की जान जाते जाते बची क्योंकि उक्त हादसा एक बेहद खतरनाक घाट में हुई जंहा वह बस पलट भी सकती थी और एक भयावह दुर्घटना भी हो सकती थी उसका साथ दे रहें हैं क्या गलत व्यक्ति के साथ खड़ा होना भी एक गलत बात व गलत काम नही है।
आपको यह भी बता दें कि 10 सितंबर की रात को रायपुर जगदलपुर मार्ग पर ही नशे में धुत्त एक ट्रक ड्राइवर ने एक स्थानीय व्यक्ति को रौंद दिया जिसकी मृत्यु फरसगांव के सामुदायिक अस्पताल में हो गई, क्या एक आम जन की जिंदगी एवं उसका परिवार उस नशे से छोटी है जंहा एक भरा पूरा परिवार उजड़ गया। अब यह तो वह ड्राइवर ही बता सकता है कि उसे उस नशे में क्या मजा आया होगा। आज जब केंद्र एवं राज्य की सरकार एवं प्रशासन नशा रोकने के लिए बहु आयामी कार्यक्रम चला रही है ऐसे में इन वाहन चालकों के ऊपर वैधानिक कार्यवाही नहीं होना भी इनके मनोबल बढ़ने का एक कारण है। क्या नशा करके वाहन चलाना सही है क्या पुलिस प्रशासन को इन पर कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जबकि पुलिस प्रशासन ने जगह जगह एक स्लोगन चस्पा कर रखा है जिसमें यह लिखा है कि शराब पीकर वाहन ना चलाये क्या ये स्लोगन ये जज्बा महज दिखावा मात्र है,जब पुलिस प्रशासन के पास ऐसे यंत्र तंत्र मौजूद है जिससे मिनटों में पता चल जाता है कि ड्राइवर ने कितना नशा किया है तो उनका इस्तेमाल क्या ये प्रदर्शनी में करेंगे?