ऑफिस अटैचमेंट सजा है या सरकारी मजा

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बुरूंदवाड़ा के जनप्रतिनिधियों ने डीईओ पर उठाए सवाल-निलंबन और संलग्ननीकरण को पर्याप्त नहीं मानते ग्रामीण
जगदलपुर स्थानीय जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान का आदेश अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। बुरुंदवाड़ा प्राथमिक शाला के बच्चे की मौत के मामले में प्रभारी प्रधान पाठिका शालिनी राव को जिला शिक्षा अधिकारी ने निलंबित कर ब्लाक शिक्षा कार्यालय में अटैच कर दिया है.
डीईओ के इस आदेश पर अब सवालिया निशान लग रहे हैं। बुरुंदवाड़ा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि पूछ रहें हैं कि प्रभारी प्रधान पाठिका को सजा दी गई है या प्रशासनिक तौर पर उपकृत किया गया है? एक मासूम बच्चे की अकाल मौत के मामले में शालिनी राव को ब्लाक कार्यालय में अटैचमेंट किया गया जोकि सजा नहीं, बल्कि उपकृत करने जैसा कदम है. क्योंकि बिना काम किए ही उन्हें आधी तनख्वाह मिलती रहेगी। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रभारी प्रधान पाठिका को जगदलपुर विकासखंड के बजाए दूसरे विकासखण्ड में अटैच करना था जिससे सजा के तौर पर वहां आना जाना और वहां उपस्थिति ही बड़ी सजा होती, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने ऐसी कार्रवाई नहीं की. अब उनके आदेश पर बुरुन्दवाड़ा के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण सवाल उठाते पूछ रहे हैं की जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रभारी प्रधान पठिका के साथ ऐसी ढिलाई आखिर मजबूरीवश बरती या किसी स्वार्थवश ? वहीं बच्चे की मौत के मामले की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बनाई गई शिक्षा विभाग की कमेटी पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि जांच कमेटी में महिला व बाल विकास विभाग से भी किसी अधिकारी को रखना चाहिए था.
दूर के गांव में पढ़ाने मेरे को कभी नहीं बताया वह कब आए भेजा जाए
ग्रामीणों का कहना है कि निलंबित प्रभारी प्रधान पाठिका को विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच करने के बजाय बस्तर के ही सुदूर इलाके की किसी ग्रामीण शाला में अध्यापन सेवा देने के लिए भेजा जाना चाहिए. तभी मृत छात्र की आत्मा को शांति मिल सकेगी. विकासखंड शिक्षा कार्यालय में अटैचमेंट से तो बुरुन्दवाड़ा सेमरा की उक्त प्रभारी प्रधान पाठिका को और भी ज्यादा सहूलियत हो रही है. यानि शहर स्थित कार्यालय में संलग्न किये जाने से तो उनके और भी मजे हो गए हैं ।