नारायणपुर जिले के गढ़बंगाल का जाना माना नाम चेंदरू, जिसे हम सब छत्तीसगढ़ का मोंगली के नाम से भी जानते हैं । चेंदरू ने अल्प आयु में वह अंगूठा कारनामा कर दिखाया जो आज तक किसी ने नहीं किया। चेंदरू वह शख्स था जिसने छोटी सी उम्र में जिस फिल्म में काम किया था उसकी पहली और आखरी थी। फिल्म को ‘ऑस्कर अवार्ड’ से नवाजा गया, उसके बाद आज तक किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में छत्तीसगढ़ के किसी नायक को इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली।
छत्तीसगढ़ का मोगली तथा ‘बस्तर का टाइगर बॉय ‘ के नाम से परिचित अंतर्राष्ट्रीय हीरो आज हमारे बीच नहीं रहा 18 सितंबर 2013 को 78 वर्ष की उम्र में सदा सदा के लिए अनंत यात्रा पर चला गया चला गया, आज उसकी 9 वीं पुण्यतिथि है । एक बेहद सफल, बेहद चर्चित अंतरराष्ट्रीय फिल्म के हीरो चेंदरू के जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा गुमनामियों में बीता। चेंदरू ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर संपूर्ण भारत का नाम रोशन किया है, चेंदरू द्वारा अभिनीत फिल्म को वर्ष 1958 में कांस फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था । चेंदरू के जीवन काल में उसे जो सम्मान मिलना चाहिए था उसे नहीं मिला। फिल्म के साथ ही 1960 के दशक में स्वीडिश तथा अंग्रेजी भाषा में चेंदरू के नाम से जो किताबें और फिल्म तैयार की गई थी वह समय के साथ-साथ उसके परिवारजनों के पास आज नहीं है । आज उसका परिवार किसी तरह मजदूरी करके गुजर बसर कर रहा है । चेंदरू के जीवन काल में जो फिल्म तैयार हुई थी तथा अनेक देशों में रिलीज हुई थी उसे संग्रहित किए जाने की आवश्यकता है, बस्तर का पहला हॉलीवुड अभिनेता के संबंध में स्वीडिश व अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित सचित्र पुस्तक का हिंदी हल्बी तथा गोंडी बोली भाषा में प्रकाशित करवाया जाना चाहिए।
बतौर मुख्य भूमिका निभाने वाला अंतरराष्ट्रीय फिल्म का नायक चेंदरू बाघ और तेंदुए के बीच रहकर मानव और वन्य प्राणियों के बीच रहकर मानवता का परिचय दिया, उसकी गाथा जन-जन तक पहुंचाया जावे ।चेंदरू के संबंध में बस्तर के प्राथमिक शालाओं में उसकी शौर्यगाथा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी को चेंदरू से अवगत कराया जा सके, यही उसके तथा परिवार जनों का वास्तविक सम्मान होगा, वास्तविक श्रद्धांजलि होगी ।