जिला अस्पताल स्वास्थ्य प्रबंधक की कोरोना काल में बड़ी लापरवाही:

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नारायणपुर – जिला मुख्यालय नारायणपुर हमेशा की तरह विवाद में रहा जिला अस्पताल के हॉस्पिटल मैनेजमेंट व्यसस्था में कमी के साथ साथ कोरोना जैसे महामारी में छत्तीसगढ़ सरकार शासन प्रशासन द्वारा जहाँ साफ सफाई में नियंत्रण करने हर संभव प्रयास किया जा रहा है वहीं जिला अस्पताल द्वारा वेस्ट एक्सपायरी इंजेक्शन दवाओं को मार्ग के किनारे अधिक तादात में फेक कर कूड़ा बना दिया गया है,जिससे इस कोरोना महामारी को देखते हुए आसपास के वातारण जीव जंतु मवेशियों जो की उस क्षेत्र में चरते हैं आमजनों का आवागमन मार्ग है जहां लोगो को व जानवरों को नुकसान होना संभव है। मार्ग के किनारे एक्सपायरी दवा इंजेक्शन एवं बिना एक्सपायरी की दवा,उपयोग किया गया ग्लूकोस बोतल इकठ्ठा कर आवागमन मार्ग के में फेका गया है, जिला अस्पताल की घोर लापरवाही एक तरफ जिला अस्पताल में मरीजों को दावा मुहैय्या नही हो पा रहा है मरीजों को पीड़ा व अन्य बीमारी हेतु दवा के लिए जिला अस्पताल प्रांगड़ से बाहर खरीदने को कहाँ जाता है वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल प्रबंधक डॉ कल्याण द्वारा दवाओं को खरीदी कर इस तरह दवाओं का दूरउपयोग कर

सार्वजनिक स्थान पर फेका जा रहा है वहीं जिला अस्पताल द्वारा शासकीय पैसों डीएमएफ फण्ड एवं दवाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है,जबकि जिला अस्पताल प्रांगण के पीछे डीपपीट होने के बावजूद इस तरह दवाओं को बाहर सार्वजनिक खुले स्थल में फेंक कर इस कोरोना काल में वातावरण को और भी ज्यादा दूषित किया जा रहा है।जहां एक तरफ जिला अस्पताल को साफ सफाई एवं व्यवस्था को लेकर प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा रहा है वही दूसरी तरफ इस प्रकार कोरोना महामारी में जनोवरों एवं मानव प्रजाति के लिए यह जोखिम भरा निंदनीय कार्य किया जा रहा है।वहीं जिला अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञ कार्यरत हैं उसके बावजूद भी मरीजों को बाहर उपचार के लिए भेजा जाता है, कारण विशेषज्ञ के इलाज के अभाव में उपकरणों के नही होने के कारण मरीजों को बाहर बेहतर उपचार के लिए भेजा जाता है,अबूझमाड़ क्षेत्र होने के नाते जिला अस्पताल 100 बिस्तर जहां आसपास के ग्रामीण इलाज के लिए आस लेकर स्वास्थ्य लाभ एवं बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल आते हैं उन्हें

उन्हें छोटे छोटे ऑपरेशन के लिए बाहर इलाज के लिए भेज दिया जाता है।जिला अस्पताल में ब्लड बैंक लाइसेंस प्राप्त होने के बाद भी ब्लड स्टोरेज की सुविधा नही हो पाई है जिससे डोनरों और मरीज के अटेंडरों को काफी ज्यादा मसक्कत करना पड़ता है,जिला अस्पताल में पोताई से लेकर पार्टिसन अन्य कार्य कार्य बिना विज्ञापन या टेंडर के प्रारम्भ किया जाता है।जिला अस्पताल के वेस्ट दवाओं के लिये डीपपीड का उपयोग न करके लापरवाही पूर्वक सार्वजनिक स्थल में फेकना एक जांच के विषय के साथ ही साथ जीव जंतु मवेशियों के लिए जोखिम साबित होने का संकेत है।