दल्ली राजहरा लौह शक्ति, श्रम, साहित्य, संस्कृति और सदाचार का प्रतीक – अनिला भेंडिया
दल्लीराजहरा। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित अनुपम प्राकृतिक वादियों, झरनों के साथ साथ खनिज संसाधनों से परिपूर्ण विश्वविख्यात लौह अयस्क नगरी दल्ली राजहरा की धरा की गौरवगाथा को नए सिरे से रेखांकित करती वरिष्ठ लेखिका श्रीमती शिरोमणि माथुर की पुस्तक ‘मेरा दल्ली राजहरा’ का विमोचन आज यहां माथुर सिनेप्लेक्स में महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने किया। इस अवसर पर मंत्री अनिला भेंडिया ने लेखिका श्रीमती शिरोमणि माथुर के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि दल्ली राजहरा कर्मवीरों की वह भूमि है, जिसे प्रकृति ने सौंदर्य के साथ साथ खनिज संपदा से नवाजा है। यह धरती लोहा पैदा करती है और यहां के लोग लौहशक्ति के प्रतीक हैं। दल्ली राजहरा श्रम, साहित्य, संस्कृति और सदाचार का प्रतीक है।कार्यक्रम में विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी, बालोद विधायक संगीता सिन्हा, पद्मश्री जेएम नेल्सन, मुख्य महाप्रबंधक माइंस समीर स्वरूप विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अतिथियों ने पुस्तक को दल्ली राजहरा पर श्रीमती माथुर की अनुपम अभिव्यक्ति निरूपित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हस्ताक्षर साहित्य समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीमती शिरोमणि माथुर की यह पुस्तक दल्ली राजहरा का जीवंत चित्रण है।
अतिथि वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक, साहित्यिक क्षेत्र में सक्रियता के साथ ही राजनीति के माध्यम से जनसेवा के दायरे को विस्तार देने वाली शिरोमणि माथुर ने वर्षों तक कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। क्षेत्रीय विधायक तथा कैबिनेट मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया के साथ वे क्षेत्र की सेवा में सहयोगी की भूमिका निभा रही हैं। मंत्री भेंडिया और उनके परिवार का दल्ली की धरती से गहरा संबंध है। वे दल्ली के विकास को खास अहमियत देती हैं। दल्ली उनके लिए परिवार है। इसी तरह शिरोमणि माथुर ने राजनीति को कभी जनसरोकार के आड़े नहीं आने दिया। वे राजनीति को सेवा के मंच के रूप में देखती हैं और उनका हमेशा यही सिद्धांत रहा है कि राजनीतिक प्रतिबद्धता केवल राजनीतिक विषयों तक होनी चाहिए। जनसेवा के काम में राजनीति का ध्येय सिर्फ जनसेवा है। इसलिए शिरोमणि माथुर एक राजनीतिक दल की समर्पित नेता होने के बावजूद राजनीति से परे हैं और उनका सभी विचारधारा के लोगों के बीच आत्मीय सम्मान है।
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दल्ली राजहरा के हरदिल अजीज समाजसेवी आलोक माथुर के असमय अवसान से व्यथित मां शिरोमणि माथुर ने ‘अर्पण’ पुस्तक लिखकर पुत्र आलोक की स्मृति को वात्सल्य दिया था। अब उन्होंने अपनी छोटी बहू अनामिका की स्मृति में ‘मेरा दल्ली राजहरा’ पुस्तक दल्ली के उन सभी कर्मवीरों को समर्पित की है, जिनके खून पसीने से दल्ली की धरती दुनिया को लोहा दे रही है और सारी दुनिया दल्लीराजहरा का लोहा मान रही है।