शिक्षकों की पदोन्नति -पदस्थापना में गड़बड़ी की जांच की मांग

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  • छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फ़ेडरेशन के अध्यक्ष पद प्रत्याशी रहे शंकर साहू ने बस्तर शिक्षा जिले में हुई धांधली के खिलाफ खोला मो
  • मामले के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की उठाई मांग

जगदलपुर. शिक्षा जिला बस्तर में शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापना में बड़े पैमाने पर हुई अवैध वसूली की जांच की मांग उठने लगी है. छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फ़ेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे एवं फेडरेशन के पूर्व राजनांदगांव जिला अध्यक्ष शंकर साहू ने इस मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम तथा प्रमुख शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला से करते हुए उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. शंकर साहू अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में सहायक शिक्षकों का समर्थन हासिल करने के लिए हाल के दिनों में बस्तर संभाग के प्रवास पर थे. इस दौरान अनेक पीड़ित शिक्षकों ने उनके संज्ञान में यह मामला लाया था. शिक्षकों ने उन्हें बताया था कि बस्तर जिला शिक्षा विभाग में शिक्षकों की पदोन्नति सूची तैयार करने में भारी अनियमितता बरती गई है. पदोन्नति देने के नाम पर शिक्षकों से जमकर रकम वसूली गई है. अनेक ऐसे शिक्षक जो पात्र थे और जिला शिक्षा अधिकारी की डिमांड पूरी नहीं कर पाए, उन्हें पदोन्नति से वंचित कर दिया गया. वहीं पदोन्नति के बाद शिक्षकों की पदस्थापना को भी कमाई का जरिया बना लिया गया. पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को मनचाही शाला में पदस्थ करने के एवज में एक से डेढ़ लाख रुपए तक वसूले गए. पदोन्नति और पदस्थापना में लाखों की लेनदेन का खेल किया गया. जो सहायक शिक्षक रकम नहीं दे पाए उन्हें उनकी वर्तमान शाला से बहुत दूर अन्य शाला में भेज दिया गया है। वहीं डिमांड पूरी करने वाले शिक्षकों को ऐसी शालाओं में प्रधान पाठक नियुक्त कर दिया गया, जहां पहले से प्रधान पाठक कार्यरत हैं. बस्तर के शिक्षकों से ऐसी शिकायतें मिलने के बाद छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे एवं राजनांदगांव जिला ईकाइ के पूर्व अध्यक्ष शंकर साहू ने पदोन्नति और पदस्थापना में हुई गड़बड़ी की शिकायत प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम व प्रमुख शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला से करते हुए बस्तर शिक्षा जिले की पदोन्नति व पदस्थापना सूची की निष्पक्ष जांच कराने एवं सहायक शिक्षकों को न्याय दिलाने तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है। इधर पदोन्नति और पदस्थापना में हुई गड़बड़ी की शिकायत के आधार पर संचालक लोक शिक्षण ने छत्तीसगढ़ के सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम परिपत्र जारी कर पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में कड़े दिशा निर्देश जारी किए थे. लेकिन बस्तर शिक्षा जिले में इन दिशा निर्देशों का रत्ती भर भी पालन नहीं किया गया. जिन शालाओं में पहले से ही प्रधान पाठक और पर्याप्त शिक्षक – शिक्षिकाएं हैं, वहां भी पदोन्नत शिक्षकों को पदस्थ कर दिया गया. जिला शिक्षा अधिकारी की भर्राशाही के चलते बस्तर जिले की कई शालाएं आज भी एक शिक्षक के भरोसे हैं. जबकि पदस्थापना में ऐसी शालाओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए था.
संचालक के आदेश की धज्जियां
प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों की पदोन्नति पश्चात् पदस्थापना के संबंध में संचालक लोक शिक्षण ने प्रदेश के सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को जो विभागीय निर्देश जारी किए थे, उनकी बस्तर शिक्षा जिले में खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं. संचालक द्वारा जारी परिपत्र में प्राप्त हुई शिकायतों का उल्लेख करते हुए साफ तौर पर लिखा गया है कि पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना ऐसी शालाओं में प्राथमिकता से की जाए, जो शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय हैं, प्राथमिक शालाओं के प्रधान पाठक पद पर पदोन्नत शिक्षकों को उसी ब्लॉक की शाला में पदस्थ किया जाए, जहां वे कार्यरत हैं और अगर ब्लॉक में पद रिक्त ना हो तो नजदीकी ब्लॉक में पदस्थ किया जाए, मिडिल स्कूल के पदोन्नत शिक्षकों के मामले में भी यही मापदंड अपनाया जाए, जो शिक्षक जिस शाला में कार्यरत हैं, उन्हें यथा संभव उसी शाला में ही पदस्थ किया जाए तथा समूची प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए. संचालक के इन दिशा निर्देशों को बस्तर जिला शिक्षा अधिकारी ने शायद डस्टबिन में डालकर अपनी मर्ज़ी चलाई है.