रायपुर – संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन से कहा है वे अपने निजी स्कूलों की स्थिति परिस्थितियों को लेकर जिस तरह चिंतित व गंभीर हैं, ऐसा ही उनको उन पलकों की आर्थिक परिस्थितियों को लेकर भी चिंतन करना चाहिए जिनका पिछले 5 माह से कोई आवक नहीं है. जिसके चलते वे गंभीर आर्थिक अभाव में गुजारा बसर कर रहे हैं. निजी स्कूलों द्वारा लगातार पालकों से उस अंतराल की फीस की मांग करना जिस दौरान शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह बंद थीं, पूरी तरह अनुचित है. बिना कोई सेवा दिए स्कूलों द्वारा फ़ीस और अन्य खर्चों की मांग करना अवैध है. स्कूल के एडमिशन फॉर्म में कोई फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है.
एडमिशन फॉर्म में कोई क्लाज नहीं है कि महामारी, प्रतिकूल स्थिति, राष्ट्रीय लॉकडाउन आदि के मामले में स्कूल प्रशासन ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेगा और उसी के लिए फीस और अन्य खर्च मांगेगा. ऑनलाइन कक्षा तो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से पूरी तरह से अलग है. इसके कई दुष्प्रभाव और अवगुण भी सामने आ रहे हैं. ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों को भी कुछ नुकसान उठाना पड़ेगा,इसके लिए तैयार रहना चाहिए.
विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन और पलकों के साथ बैठक कर इस समस्या के बीच का रास्ता निकालने मध्यस्थता करने की हामी भरते हुए कहा है कि हमें मिल बैठकर ऐसी परिस्थितियों में कोई उचित रास्ता निकालने की जरूरत है. जिससे कि दोनों पक्षों को संतुष्टि मिल सके.