फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में अफसर की भूमिका संदिग्ध

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  • नकली आदिवासी को जारी कर दिया गया असली जाति प्रमाण पत्र
  • मामला बस्तर फाइटर में फर्जी तरीके से नौकरी हथियाने का
  • एसडीएम ने जारी किया ओड़िशा मूल के युवक को जाति प्रमाण पत्र

अर्जुन झा
बकावंड ओड़िशा मूल के एक युवक द्वारा बस्तरिहा आदिवासी बनकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए बस्तर फाइटर में नौकरी पाने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। दरअसल इस मामले की जांच की जिम्मेदारी जिस अधिकारी को दी गई थी, अब उसी अधिकारी की भूमिका सवालों के घेरे में और जांच के दायरे में आ गई है। इस प्रकरण में इंसाफ की गुहार लगाते आ रहे असली आदिवासी समुदाय के युवक को अफसरशाही ने प्रशासनिक दांवपेंच में बुरी तरह उलझा कर रख दिया है। सूचना के अधिकार अधिनियम को ठेंगा दिखाते हुए अधिकारी इस आदिवासी युवक को परेशान कर रहे हैं। वहीं ओड़िशा मूल के जिस युवक पर फर्जी तरीके से नौकरी पाने का आरोप लगा है, उसे मामले की जांच के बीच आदिवासी होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। इस युवक को जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले वही अनुविभागीय दंडाधिकारी हैं, जिन्हें इस समूचे प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बकावंड तहसील के ग्राम छोटे देवड़ा निवासी भतरा अनुसूचित जनजाति समुदाय के युवक मानसिंह भतरा ने शिकायत की थी कि उसके गांव में आकर कुछ सालों से रह रहे ओड़िशा के युवक कमलोचन ने अपने पिता पाकलू और दादा दिशा को छोटे देवड़ा निवासी भतरा आदिवासी बताया और खुद को सोमारु भतरा का पुत्र बताते हुए फर्जी वंशवली के जरिए पटवारी से मिसल रिपोर्ट और उसके आधार पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर बस्तर फाइटर में नौकरी हथिया ली है। मानसिंह का कहना है कि वह सोमारु भतरा की बेटी घासनी का पुत्र है। सोमारु का एकमात्र पुत्र था, जिसका नाम सुखराम था। कमलोचन नाम का कोई बेटा सोमारु का नहीं था। वहीं सुखराम का निधन हो चुका है। मानसिंह की शिकायत के बाद जब हल्ला मचा तब जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कराई। जांच की जिम्मेदारी बस्तर के अनुविभागीय दंडाधिकारी ओपी वर्मा को सौंपी गई। श्री वर्मा ने गांव जाकर मामले की जांच की। पंचायत प्रतिनिधियों ने भी पुष्टि की है कि मानसिंह सोमारु का बेटा नहीं है तथा वह भतरा आदिवासी समुदाय का भी नहीं है।
एसडीएम ने जारी किया जाति प्रमाण पत्र
मामले की जांच प्रक्रिया के बीच जांच अधिकारी और बस्तर के एसडीएम ओपी वर्मा ने कमलोचन को छोटे देवड़ा निवासी बताते हुए उसके नाम पर भतरा आदिवासी का जाति प्रमाण पत्र जारी किया है। एसडीएम की सील मुहर से यह जाति प्रमाण पत्र अक्टूबर 2022 में जारी किया गया है। इससे यह सवाल उठने लगा है कि जब ग्राम पंचायत ने भी कमलोचन के भतरा आदिवासी होने तथा सोमारु भतरा के परिवार से न होने की पुष्टि कर दी है तब भला किस आधार पर कमलोचन को ऐसा जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया ? वहीं इस नए खुलासे se जांच अधिकारी श्री वर्मा की भूमिका को लेकर भी संदेह व्यक्त किया जाने लगा है।
भटक रहा है असली आदिवासी
ओड़िशा मूल का युवक तो नकली भतरा आदिवासी बनकर सरकारी नौकरी का लाभ उठा रहा है, वहीं असली भतरा आदिवासी युवक मानसिंह इंसाफ के लिए दर दर की ठोकरें खाते भटकने मजबूर है। मानसिंह के साथ इंसाफ करना तो दूर रहा, उसके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी जा रही जानकारी देने से भी साफ इंकार किया जा रहा है। मानसिंह ने नगर सेना कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर अनावेदक कमलोचन को पूर्व में जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र और बस्तर फाइटर की नौकरी के लिए उसके द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की है। मगर उसे यह कहकर किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया गया कि इसके लिए आपको कलेक्टरेट कार्यालय में आवेदन देना होगा।