कई करोड़ रुपए फूंकने के बाद भी हासिल हुआ सिर्फ खंडहर

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  • आरईएस के एसडीओ और सब इंजीनियर पर होगी कार्रवाई
  • राज्य सरकार को बदनाम करने पर आमादा हैं ग्रामीण यंत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारी


(अर्जुन झा)
नगरनार बाजार सौंदर्यीकरण तथा दुकान व शेड निर्माण के लिए नगरनार इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा सीएसआर मद से प्रदत्त कई करोड़ रुपए फूंक दिए गए और हासिल आया सिर्फ खंडहर तथा बाजार स्थल पर बजबजाती गंदगी। ये नजारा है नगरनार के बाजार का। इसे देखकर लगता है कि आरईएस के अधिकारी राज्य की कांग्रेस सरकार को बदनाम करने पर आमादा हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस कार्य का भूमिपूजन संसदीय सचिव एवं जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन ने किया था। अब लोग तो यही कहेंगे ना कि राज्य सरकार ऐसे घटिया कार्य कराती है। मलाई खा गए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारी और उंगली कांग्रेस सरकार पर उठेगी, बदनामी सरकार की होगी। वहीं विभाग के शीर्ष अधिकारी कहते हैं कि जांच में एसडीओ और सब इंजीनियर की गलती पाई गई है। दोनों पर कार्रवाई के लिए अनुशंसा कर दी गई है।
नगरनार में बाजार सौंदर्यीकरण के लिए मिली रकम का बड़ा हिस्सा हजम करने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के इंजीनियरों ने दुकानों, शेड, चबूतरे, नालियां आदि बनवाने में भारी अनियमितता की। वहीं दुकानों के निर्माण के दौरान बिजली पोलों और हाई टेंशन लाईन के तारों का ध्यान नहीं रखा गया। पोलों को घेरकर दुकानों की दीवारें खड़ी कर दी गईं। बिजली तारों के ठीक नीचे दुकानें बनाई गईं। दुकानों, शेड, चबूतरों और नालियों का निर्माण आज तक पूरा नहीं हो पाया है, जबकि सारी रकम खर्च की जा चुकी है। अब ये दुकानें, नालियां, शेड, चबूतरे खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। किसी भी निर्माण कार्य को अंजाम देने से पहले उसका पूरा खाका खींचा जाता है, निर्माण स्थल की भौगोलिक स्थिति, वहां मौजूद पेड़, बिजली पोलों, निर्माण की लागत राशि आदि का प्रक्कलन तैयार किया जाता। सब कुछ सुनिश्चित हो जाने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाता है। जाहिर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग ने भी पूरा अध्ययन करने के बाद ही काम आरंभ कराया होगा। बावजूद पहले ही पोलों और तारों की शिफ्टिंग क्यों नहीं करवाई गई, निर्माण पूर्ण कराने के लिए राशि कम क्यों पड़ गई ? इतनी बड़ी रकम फूंक डालने के बाद भी चबूतरों, नालियों, दुकानों का निर्माण स्तरहीन कैसे प्रतीत हो रहा है। दरअसल विभाग के अधिकारियों ने सामुदायिक विकास मद से मिली रकम को डकारने के लिए गजब का सहकारिता की भावना दिखाई है।
नगरनार इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने सामुदायिक विकास मद से बाजार स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए ग्राम पंचायत को जो कई करोड़ रु. दिए थे उससे बाजार में करीब 25 दुकानें, शेड, प्लेटफार्म, नाली निर्माण, परिसर का सीमेंटीकरण आदि कार्य कराने थे। नाली, प्लेटफार्म, दुकान व शेड निर्माण की जिम्मेदारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को दी गई थी। विभाग ने काम एक ठेकेदार से कराया। अभी दुकानों की छत ढलाई, प्लास्टर और कांक्रिटिंग का काम बाकी है। बाजार स्थल पर शेड वाली दुकानें भी बनाई जानी थीं, लेकिन शेड के नाम पर महज लोहे की रॉड और पाइप लगाकर ढांचा भर खड़ा कर दिया गया है। शेड नहीं लगाया गया है। लोहे की रॉड और पाइप जंग लगकर सड़ने लगे हैं। दुकानों से निकलने वाले गंदे पानी और बरसाती पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण भी बेतरतीब ढंग से कराया गया है। नालियों का निर्माण कराते समय चढ़ाव और ढलान का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया। इस वजह से गंदगी और पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। नालियों में कचरा फंसा पड़ा है।


पाई गईं निर्माण में खामियां
मिली शिकायतों के बाद विभाग के मुख्य अभियंता के निर्देश पर नगरनार में बाजार स्थल पर कराए गए कार्यों की जांच अधीक्षण अभियंता केएन कश्यप के मार्गदर्शन में की गई। जांच में कई खामियां सामने आईं। पहली नजर में एसडीओ और सब इंजीनियर दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अधीक्षण अभियंता केएन कश्यप ने अनुशंसा के साथ जांच प्रतिवेदन मुख्य अभियंता को प्रेषित कर दिया है। एसडीओ और सब इंजिनियर पर कार्रवाई मुख्य अभियंता रामसागर करेंगे।

पोल शिफ्टिंग के लिए चेक जमा
बाजार की दुकानों के भीतर से पोलों की शिफ्टिंग के लिए विद्युत कंपनी को चेक जारी कर दिया गया है। पोल शिफ्टिंग के दौरान दुकानों
को जो क्षति पहुंचेगी, उसका फिर से निर्माण विद्युत कंपनी कराएगी।
डीपी देवांगन,
कार्यपालन अभियंता,
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग, बस्तर