- खबर का असर : सीटी मीडिया की खबर पर कलेक्टर ने लिया संज्ञान, जारी की सहायता राशि
- तरेंगा – 2 के झुमरु कश्यप को प्रदान की गई 60 हजार की मदद
- बारिश में मकान ढहने के बाद सामुदायिक भवन में रह रहा है पांच सदस्यों वाला परिवार
बस्तर बारिश के कहर के चलते मकान ढह जाने से बेघर हुए आदिवासी परिवार की सुध आखिरकार जिला प्रशासन ने ले ली है। हरिभूमि द्वारा मामला सामने लाए जाने के बाद कलेक्टर बस्तर ने पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद के लिए पहल की है। परिवार की मदद के लिए उनके बैंक खाते में 60 हजार रु. जमा कराए गए हैं। अधिकारियों का दल गुरुवार को गांव पहुंचा था। बस्तर जिले की भानपुरी तहसील की ग्राम पंचायत रतेंगा – 2 निवासी कंडरा आदिवासी झुमरू राम कश्यप का कच्चा मकान बरसात के मौसम के दौरान ढह गया था। तब से झुमरू राम अपनी पत्नी सुकाली बाई, बेटी कमली, बेटा परमेश्वर और बेटी प्रमिला के साथ गांव में निर्मित सामुदायिक भवन से लगकर बनाए गए लगभग दस गज के टीन शेड में रहता आ रहा है। यह टीन शेड संभवतः वाहन पार्किंग के लिए बनाया गया है। मकान ढहने से वहां रखे कपड़े, बिस्तर, चादर, अनाज व अन्य सामान भी नष्ट हो गए थे। झुमरू राम ने हादसे के तुरंत बाद अपने गांव के सरपंच और पटवारी को आवेदन देकर मदद की गुजारिश की थी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। हरिभूमि ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पीड़ित परिवार की व्यथा से जुड़ी खबर को विस्तार से प्रकाशित किया था। बस्तर के कलेक्टर चंदन कुमार ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्यवाही की और भानपुरी के तहसीलदार से जानकारी लेकर पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता जारी की। झुमरू कश्यप और उसके परिवार की दारुण दशा की खबर हरिभूमि में प्रकाशित होने के बाद इसे लेकर जगदलपुर, बस्तर, भानपुरी, बकावंड व अन्य स्थानों पर व्यापक चर्चा होती रही। लोगों में प्रशासनिक व्यवस्था की अहम कड़ी माने जाने वाले पटवारी की भूमिका को लेकर आक्रोश भी देखा गया। लोगों का कहना है कि पटवारी की उदासीनता के कारण ही आदिवासी परिवार को कष्टप्रद जीवन गुजारना पड़ रहा है।
दी गई सहायता राशि
मामला संज्ञान में आने के बाद भानपुरी तहसीलदार से मकान को हुई क्षति की विस्तृत जानकारी ली है। मकान 30 सितंबर को ढहा था। इस माह के आवंटन से सहायता राशि का भुगतान किया गया है। पीड़ित परिवार की मदद के लिए अधिकारियों को मौके पर भेजा गया था। चंदन कुमार कलेक्टर, बस्तर