बिकने से बच पाएगा नगरनार स्टील प्लांट ?

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  • केंद्र ने नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण का फैसला कर लिया
  • टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी 2023 निर्धारित

अर्जुन झा

नगरनार तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने एनएमडीसी के आधिपत्य वाले बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को खुली बोली लगाकर बेचने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। केंद्र सरकार के निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने बोलियां जमा करने की अंतिम तारीख 27 जनवरी 2023 तय की है। विघटन के बाद एनएसएल (नगरनार स्टील) के शेयर बीएसई, एनएसई और कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाएंगे। इधर स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ मजदूरों का आंदोलन लगातार चल रहा है। उनका कहना है कि प्रभावितों ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय खनिज विकास निगम को प्लांट लगाने के लिए अपनी जमीन दी थी, मगर अब इसे निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। निजीकरण के बाद उनकी नौकरी पर भी खतरा पैदा हो जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार, बस्तर के सांसद दीपक बैज, आदिवासी समाज तथा अन्य संगठन संयंत्र के निजीकरण का शुरू से विरोध करते आ रहे हैं। सांसद बैज तो निजीकरण की आड़ में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने का आरोप केंद्र सरकार पर संसद के भीतर लगा चुके हैं।


यह बस्तर के साथ विश्वासघात: बैज
दो साल पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक शासकीय संकल्प पारित किया गया था। इसमें विपक्ष के सुझाए गए संशोधनों के बाद सर्वसम्मति से कहा गया था कि नगरनार इस्पात संयंत्र का यदि निजीकरण किया गया, तो राज्य सरकार इसे खुद खरीद लेगी और संचालित करेगी। बस्तर के लोगों की भावनाएं भी लगभग 24 हजार करोड़ रुपए के विशाल संयंत्र से जुड़ी हुई हैं। बस्तर सांसद दीपक बैज यह मामला लोकसभा में उठा चुके हैं। उन्होंने कहा है कि क्षेत्र में पेसा कानून 1996 लागू है। नियमों की अनदेखी कर नगरनार प्लांट का निजीकरण व्यवहारिक नहीं है। केंद्र के फैसले से बस्तर की जनता आंदोलित है और प्लांट में नौकरी का सपना टूटते देख नौजवान गुस्से में हैं। यह बस्तर के साथ विश्वासघात है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आज बंद का आह्वान
इधर कल 6 जनवरी को सर्व आदिवासी समाज ने इस मसले पर और इससे जुड़े कुछ अन्य मुद्दों पर बंद का आह्वान किया है। चेंबर ऑफ कॉमर्स सहित तमाम संगठनों का इस बंद को समर्थन मिल रहा है। बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य है और सर्व आदिवासी समाज के बंद के आह्वान का व्यापक असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
केंद्र ने बांधे छ्ग सरकार के हाथ -पैर
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित प्रस्ताव और लोकसभा में सांसद दीपक बैज द्वारा उठाए गए सवालों को दरकिनार करते हुए नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया है। इधर अभी अभी यह जानकारी भी आ गई है कि नगरनार स्टील प्लांट की नीलामी के लिए जो शर्त केंद्र सरकार ने तय कर रखी है, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार को टेंडर में भाग लेने का मौका ही नहीं मिल पाएगा। यानि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के हाथ पैर ही बांध दिए हैं। ऐसी बंदिश क्यों लगाई गई है, यह अभी साफ नहीं है। पर इसे खरीदने की क्षमता कौन रखता है इसका अनुमान जरूर लगाया जा सकता है। इसी महीने स्थिति साफ भी हो जाएगी।