- विवादास्पद डॉक्टर को बीएमओ बनाकर सीएमओ ने कर दिखाया है आग में घी डालने का काम
- नए बीएमओ की बदजुबानी से बढ़ने वाली है मरीजों की परेशानी
अर्जुन झा
बकावंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड ( मॉडल चिकित्सालय ) को डॉक्टरों ने आपसी लड़ाई में कुरुक्षेत्र बना दिया है। डॉक्टरों के बीच महाभारत छिड़ा हुआ है। मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी इस महाभारत में धृतराष्ट्र और शकुनि जैसी भूमिका निभा रहे हैं। इस आग को बुझाने के बजाय सीएमएचओ ने एक ऐसा फैसला ले लिया है कि अब इस महाभारत में आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की भी इंट्री हो सकती है। मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने एक ऐसे डॉक्टर को यहां का बीएमओ बना दिया है, जिनकी बदजुबानी और बदमिजाजी जग जाहिर है। इससे जन आक्रोश पनपना स्वभाविक है।
यह मॉडल हॉस्पिटल लंबे समय से विवादों के साये में है। बस्तर जिले के मौजूदा मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी भी इस हॉस्पिटल के बीएमओ रह चुके हैं। वे यहां की नब्ज और तासीर को अच्छी तरह समझते हैं, बावजूद उन्होंने समय रहते सकारात्मक कदम नहीं उठाया। उन्होंने मॉडल हॉस्पिटल में पदस्थ ऐसे डॉक्टरों को प्रश्रय देने का काम किया जो अपनी बदजुबानी, बदमिजाजी लापरवाही और मरीजों के प्रति संवेदनहीनता के लिए चर्चित रहे हैं। इस हॉस्पिटल में अनेक ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो पवित्र माने जाने वाले चिकित्सकीय पेशे के लिए कलंक साबित हुई हैं। कुछ दिनों पहले ओड़िशा के अमड़ीगुड़ा निवासी युवक के साथ जो त्रासदी इस हॉस्पिटल में हुई, उसने मानवता को झकझोर कर रख दिया और शर्म को भी शर्मिंदा कर दिया। अमड़ीगुड़ा निवासी अनुसूचित जाति का युवक थबीर बघेल दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे लेकर परिजन इस हॉस्पिटल में अपरान्ह करीब साढ़े तीन बजे पहुंचे थे। उस समय वहां एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। उसे प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाया। कुछ घंटे बाद पहुंचे एक डॉक्टर ने युवक को मृत घोषित कर दिया, लेकिन डॉक्टर और बीएमओ की संवेदना तब भी नहीं जागी। युवक के शव को अस्पताल में भर्ती दर्जन भर मरीजों के बीच पूरी रात रखे रहने दिया गया। इस घटना का जब हरिभूमि ने खुलासा किया, तब मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने इस शर्मनाक घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों और बीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उस नर्स को सस्पेंड कर दिया, जिसका इससे कोई वास्ता ही नहीं था। नर्स के निलंबन के पीछे जो दलील दी गई थी, वह भी बड़ी ही शर्मनाक थी। एक ऐसी महिला की मृत्यु के लिए नर्स को जिम्मेदार मानते हुए सस्पेंड किया गया था, जो जीवित है। बाद में उस महिला को हलफनामा पेशकर बताना पड़ा कि वह न सिर्फ जीवित है, बल्कि उसे नया जीवन डॉ. सेठिया और उक्त नर्स की बदौलत ही मिल पाया है।
जनप्रतिनिधियों से दुर्व्यवहार
मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने मॉडल हॉस्पिटल के बीएमओ डॉ. राधेश्याम भंवर को हटाकर डॉ. हरीश मरकाम को यहां का नया बीएमओ बना दिया है। डॉ. हरीश मरकाम का यह गृहग्राम है और वे यहां सन 2006 से पदस्थ हैं। स्थानीय निवासी होने के कारण उन्हें किसी का खौफ नहीं है और दो दशक से भी ज्यादा समय से बकावंड में ही तैनात रहने के कारण उनका व्यवहार भी मरीजों, उनके परिजनों और जनप्रतिनिधियों के प्रति बड़ा ही रुखा रहता है। हर किसी से दुर्व्यवहार करना उनकी फितरत बन गई है। बीते दिनों जिला पंचायत सदस्य सरिता पाणिग्रही के पति एवं पूर्व जनपद उपाध्यक्ष जितेंद्र पाणिग्रही रात आठ बजे अचानक मॉडल हॉस्पिटल पहुंचे, तब वहां एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। नर्स व अन्य कर्मी भी नदारद थे। ओड़िशा से इलाज के लिए लाए गए घायल युवक थबीर बघेल की डेड बॉडी वार्ड में मरीजों के बीच बेंच पर रखी हुई थी। भर्ती मरीजों में से किसी का ब्लड प्रेशर हाई हो चला था, तो किसी मरीज को चढ़ाई गई सलाईन की बोतल खाली हो चुकी थी। इस ओर देखने वाला कोई नहीं था, सिवा एक प्रशिक्षु नर्स के। इसी बीच अपने निजी काम से पहुंचे डॉ. हरीश मरकाम ने जितेंद्र पाणिग्राही पर बिना सोचे समझे बरसना शुरू कर दिया। डॉ. मरकाम ने श्री पाणिग्रही से दुर्व्यवहार किया और अपना काम कर किसी मरीज को देखे बिना घर लौट गए। डॉ. मरकाम कई अन्य लोगों के साथ भी ऐसा ही सलूक कर चुके हैं। जितेंद्र पाणिग्रही के साथ दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल होने के बाद सीएमओ ने डॉ. मरकाम के खिलाफ कोई एक्शन तो नहीं लिया, अलबत्ता उन्हें ईनाम के तौर पर प्रमोट कर बीएमओ जरूर बना दिया। सीएमओ के इस फैसले को लेकर अंचल के नागरिकों और जनप्रतिनिधियों में भारी असंतोष देखा जा रहा है। नागरिक जल्द ही इसके खिलाफ सड़क पर उतर जाएं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी।
बकावंड हॉस्पिटल के घटनाक्रमों से बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार भी वाकिफ हो चले थे। कुमार ने सीएमओ को नसीहत दे रखी थी कि बकावंड हॉस्पिटल के संबंध में जो भी फैसला लें, सोच समझ कर लें। आम लोगों, मरीजों, उनके परिजनों और जनप्रतिनियों के मान सम्मान का ध्यान रखने वाले डॉक्टरों को ही बड़ी जिम्मेदारी सौंपे। सीएमओ ने कलेक्टर की नसीहत और सलाह को दरकिनार करते हुए अपनी मर्जी चलाकर इस हॉस्पिटल में बड़े फसाद को जन्म दे दिया है। अब जल्द ही अस्पताल की अंदरूनी लड़ाई में जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की भी इंट्री हो सकती है।
कलेक्टर की नसीहत नहीं मानी सीएमओ ने