श्रम विरोधी अध्यादेश के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की शुरुआत – बीएमएस

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भिलाई इस्पात मजदूर संघ (बीएमएस) के महामंत्री दिनेश कुमार पांडेय ने बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात की राज्य सरकारें लाकडाउन के अंतर्गत राज्य की अर्थव्यवस्था बिगड़ने का राग अलाप करते हुए समस्त श्रम कानूनों को तीन साल के लिए एकतरफा निर्णय लेकर बर्खास्त करने के लिए अध्यादेश जारी किया है, जिसके अनुसार इन राज्यों में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, ट्रेड यूनियनों अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, कारखाना अधिनियम, अनुबंध श्रम अधिनियम, बोनस भुगतान का अधिनियम, अंतर राज्य प्रवासी श्रमिक अधिनियम, कार्यशील पत्रकार अधिनियम, कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम जैसे कानूनों को निलंबित करने का निर्णय लिया है।

इन राज्यों का अनुसरण करते हुए और भी कई राज्य की सरकारें श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाने और श्रम संघों की अवहेलना करने का वातावरण बनाने का अपने-अपने राज्यों में रोड मैप मनमाने ढंग से तैयार कर श्रमिकों के शोषण करने हेतु मार्ग बड़े-बड़े शर्माएदार, पूंजीपतियों के लिए आसान हो ऐसा अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं,राजस्थान, महाराष्ट्र,गोवा, उड़ीसा इन प्रदेश की सरकारों ने कार्य की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटा का निर्णय लिया है
वर्तमान मे कोरोनावायरस महामारी के दौरान श्रम कानून और श्रमिकों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है जहां लाक डाउन और वैश्विक मंदी के कारण रोजगार के साधन घटे हैं वहीं राज्य सरकारों ने मजदूरों पर वज्रपात करने का षड्यंत्र शुरू कर दिया है और संवैधानिक श्रम कानूनों को 3 साल के लिए बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है जिससे श्रमिक से काम लेने की समयावधि 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करना, बिना आवश्यक सुविधाओं के काम पर लगाना, मालिक की इच्छा अनुसार कार्य से मुक्त कर देना, व कई अन्य श्रमिक विरोधी अधिकार इससे इन्हें प्राप्त होंगे।

यूनियन के महामंत्री दिनेश कुमार पांडेय ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की वेब बैठक 13 मई को हुई, जिसमें चरणबद्ध विरोध का निर्णय लिया गया, जिसके अनुसार स्थानीय मुद्दों पर जिला प्रशासन को 16 मई से 18 मई तक पत्र लिखा जावेगा जिसमें कोविड-19 के कारण लॉकडाउन पीरियड में श्रमिकों के वेतन भुगतान का ना होना, नौकरियों से बैठा दिया जाना, असंगठित मजदूरों के लिए प्रॉपर रिलीफ वर्क, प्रवासी मजदूरों की समस्याएं, ठेले रेहड़ी वालों की समस्याएं,प्राइवेट ट्रांसपोर्ट वर्कर, वेलफेयर बोर्ड में मजदूरों सदस्यों का रिन्यूअल ना होना, कार्य के घंटों में वृद्धि का विरोध इत्यादि शामिल होंगे।

20 मई को हमारी यूनियन भिलाई में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए राष्ट्रस्तरीय विरोध दिवस, इस अध्यादेश के खिलाफ मनाया जाएगा,इसके पश्चात 30 और 31 मई को अपने-अपने इंडस्ट्रीज में जिसके अंतर्गत भिलाई इस्पात संयंत्र में हमारी यूनियन के द्वारा श्रमिकों के मांगों को लेकर कन्वेंशन करना, अध्यादेश को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डालना और अन्य श्रमिकों के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कर निर्णय।