- छोटेडोंगर थाने से चंद कदमों के फासले पर की ट्रकों पर आगजनी
- लौह अयस्क लदे ट्रकों को किया आग के हवाले
–अर्जुन झा-
जगदलपुर ऐन लोकसभा चुनाव के बीच बस्तर संभाग में नक्सलियों ने तांडव मचाना और हिंसा की बड़ी वरदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। संभाग के बीजापुर जिले में करीब आधा दर्जन निरीह ग्रामीणों की हत्या के बाद शनिवार देर रात संभाग के ही नारायणपुर जिले में भी एकबार फिर नक्सलियों का तांडव देखने को मिला है।जहां नक्सलियों ने चार ट्रकों को आग के हवाले कर दिया है। घटना से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।
ताजा घटना बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले की तहसील छोटे डोंगर की है। नक्सलियों ने छोटे डोंगर थाना परिसर से महज 500 मीटर की दूरी पर खड़े चार ट्रक वाहनों में देर रात आगजनी कर दी। ये ट्रक आमदई स्थित निको जायसवाल ग्रुप की माइंस से आयरन ओर लेकर निकले थे। घटना के बाद से ही इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है। वहीं मौके पर पहुंचकर पुलिस टीम जांच में जुट गई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार देर रात लगभग 30 की संख्या में सशस्त्र नक्सली ग्रामीणों की वेशभूषा में पहुंचे और ट्रक चालकों को पहले तो ट्रक से नीचे उतारा और उनके मोबाइल फोन छीनकर ट्रक ड्राइवरों को एक तरफ खड़े कर दिया। उसके बाद लौह अयस्क लदे चारों ट्रकों को नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया। यह पूरा घटनाक्रम नारायणपुर जिले की छोटे डोंगर तहसील मुख्यालय स्थित थाना से महज 500 मीटर की दूरी पर हाई स्कूल के पास घटित हुआ है। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली और पुलिस की खुफिया एजेंसियों की सजगता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ज्ञात हो कि छोटे डोंगर में पूर्व में भी नक्सलियों ने भाजपा नेता सागर साहू, और कोमल मांझी की हत्या को अंजाम दिया था। इसके आलावा नक्सली समय -समय पर अपनी करतूतों से छोटे डोंगर इलाके में लगातार जान माल को नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं। जिसके चलते पूर्व से ही छोटे डोंगर पुलिस की कार्यप्रणाली और इंटेलिजेंस ब्यूरो सवालों के घेरे में रही है। बता दें कि छोटेडोंगर तहसील स्थित आमदई माइंस निको जायसवाल प्राइवेट लिमिटेड की देखरेख में संचालित है। माइंस का विरोध नक्सली शुरू से करते आ रहे हैं। नक्सली पूर्व में कई बार माइंस के वाहनों में आगजनी के साथ साथ माइंस वाहनों के लिए चेतावनियां भी जारी करते रहे हैं। इसके अलावा नक्सली माइंस के पास ही बारुदी विस्फोट भी कई दफे कर चुके हैं। लगभग सालभर पहले ऐसे ही एक बारूदी विस्फोट में दो युवा मजदूरों की मौत हो गई थी। वाहनों में आगजनी की ताजा घटना के बाद से ही इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है।
मारे जा चुके हैं कई भाजपा नेता
नक्सली लगातार खूनी वारदातों को अंजाम देते आ रहे हैं। उनके निशाने पर अमूमन भाजपा के नेता व भाजपा समर्थक ग्रामीण ही होते हैं। नारायणपुर जिले के भाजपा नेता सागर साहू और कोमल मांझी की हत्या की घटना में भी नक्सलियों का हाथ रहा है। कुछ माह पहले ही बीजापुर जिले के भाजपा नेताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। एक भाजपा नेता को तब मारा गया था, जब वे एक विवाह समारोह में भाग लेने बीजापुर जिले के ही एक गांव में गए हुए थे। वहीं दूसरे भाजपा नेता की हत्या उस समय की गई थी, जब वे तालाब निर्माण में लगी अपनी पे लोडर मशीन को देखने गए हुए थे। इसके आलावा बीजापुर जिले के बासागुड़ा की नदी पार बस्ती में नक्सलियों ने 3 युवकों पर हमला कर दिया था। हमले में 2 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और एक गंभीर रूप घायल हो गया था, जिसने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बासागुड़ा में दम तोड़ दिया। मृतकों में चंद्रिया मोडियम 25 वर्ष, अशोक भंडारी 24 वर्ष और कारम रमेश 25 वर्ष की इस घटना में मौत हो गई थी। ये सभी युवक बासागुड़ा के कलार पारा के निवासी थे। उन पर अज्ञात हमलावरों ने धारदार हथियार व कुल्हाड़ी से हमला किया था। ये युवक होली के दिन बाजार पारा के समीप होली खेल कर रहे थे, तभी उन पर हमला किया गया था। बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने इस वारदात में नक्सलियों का हाथ होने की पुष्टि नहीं की थी, लेकिन लोगों का मानना है कि इस कृत्य को नक्सलियों अथवा उनके सहयोगियों ने ही अंजाम दिया था। इसके पूर्व होलिका दहन की रात बीजापुर शहर के भीतर डीआरजी के एक जवान पर नक्सलियों ने फायरिंग कर दी थी। होली के एक दिन पहले नक्सलियों की स्माल एक्शन टीम ने अटल आवास बीजापुर में डीआरजी जवान दीपक दुर्गम पर गोली चलाई थी। जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था,जिला अस्पताल में उपचार बाद उसे जवान को बीजापुर से ही रात में हैलीकॉप्टर द्वारा रायपुर भेज दिया गया था।
शांति वार्ता की बात बेमानी
नक्सली एक तरफ तो शासन के साथ शांति वार्ता की पेशकश कर रहे हैं और दूसरी ओर लगातार जघन्य वरदातों को लगातार अंजाम भी देते आ रहे हैं। ऐसे में आखिर नक्सली किस मुंह से शांति वार्ता की बात कह रहे हैं। इस तरह की वरदातों के बीच नक्सलियों द्वारा खुद को अमन का पैरोकार बताना बेमानी ही लगता है। कुछ दिनों पहले ही नक्सली संगठन की दंडकरण्य जोनल कमेटी की ओर से शांति वार्ता की पेशकश करते हुए एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया था। इस पत्र के जरिए नक्सलियों ने संदेश दिया था कि शासन पहले सुरक्षा बलों और पुलिस के जवानों को छह माह तक जंगलों में सर्चिंग के लिए न भेजे और कैंपों में ही रहने दे, मुस्लिम व ईसाई अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के हितों की रक्षा व उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, किसानों की उपज की खरीदी के लिए समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाया जाए।. नक्सलियों ने उल्टे सरकार पर ही शांति वार्ता के नाम पर महज जुबानी जमा खर्च करने का तोहमत लगाया था। जो नक्सली आदिवासी हितों की रक्षा और उनकी सुरक्षा की बात कह रहे हैं, वही नक्सली आदिवासियों का कत्लेआम कर रहे हैं। ऐसे में उनकी कथनी और करनी स्वतः उजागर हो जाती है।