इंसाफ मांग रहे आदिवासी युवक को पुलिस ने बना दिया आरोपी

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  • जिस युवक की जाति को लेकर उठाए सवाल उसकी रिपोर्ट पर दर्ज कर ली गई एफआईआर
  • फर्जी तरीके से पुलिस में नौकरी पाने वाले दागी बाहरी युवक पर नहीं की गई कोई कार्रवाई

बकावंड आदिवासी जनजाति के फर्जी जाति प्रमाण के जरिए पुलिस की नौकरी पाने वाले युवक के खिलाफ आवाज उठाना एक स्थानीय मूल निवासी आदिवासी युवक को भारी पड़ गया है। कथित फर्जी आदिवासी युवक की शिकायत करने पर असली आदिवासी युवक को इंसाफ तो मिला नहीं, उल्टे उसके खिलाफ ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदिवासियों का उत्थान करने बस्तर में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रहें हैं। आदिवासियों का हक न मारा जाए। उनका किसी भी तरह से अहित न होने पाए। इस बात का मुख्यमंत्री पूरा ध्यान रख रहे हैं, लेकिन आदिवासियों का हक छीनने वाले दीगर राज्य के युवक पर बकावंड पुलिस इस कदर मेहरबान हो गई कि बाहरी युवक के कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने वाले आदिवासी युवक को ही पुलिस ने आरोपी बना दिया। मुख्यमंत्री बघेल की मंशा पर पानी फेरते हुए जिला और पुलिस प्रशासन नकली आदिवासी को बचाने असली आदिवासी पर एफआईआर दर्ज करवा रहें हैं। ऐसी ही त्रासदी से बकावंड के छोटे देवड़ा निवासी असली आदिवासी मानसिंह बघेल को गुजरना पड़ रहा है। मानसिंह का आरोप है कि उसके खिलाफ कथित नकली आदिवासी कमलोचन ने झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी है। ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसी साज़िश पुलिस अधीक्षक कार्यालय के ही कुछ कर्मियों द्वारा रची गई है। आदिवासी युवक मानसिंह बघेल ने बस्तर कलेक्टर व जनसूचना अधिकारी तथा बस्तर पुलिस अधीक्षक व जन सूचना अधिकारी के समक्ष सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत कर कथित गैर आदिवासी कमलोचन की जाति संबंधी दस्तावेज की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की है।जनसूचना अधिकारी कलेक्टर बस्तर ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बस्तर वर्मा को दस्तावेज उपलब्ध कराने कहा है। वहीं जनसूचना अधिकारी पुलिस अधीक्षक बस्तर ने व्यक्तिगत मामला होने का हवाला देते हुए दस्तावेज देने से इंकार कर दिया है। यह मामला अभी निपटा भी नहीं है और कथित फर्जी आदिवासी कमलोचन ने मानसिंह बघेल के खिलाफ बकावंड पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। बिना मामले की तह तक गए बकावंड पुलिस ने मानसिंह के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 107-116 जा.फौ के तहत मामला दर्ज कर लिया।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने का है मामला

पूरा मामला फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे पुलिस में बस्तर फाइटर की नौकरी पाने से जुड़ा हुआ है। मानसिंह के मुताबिक ग्राम छोटे देवड़ा में कुछ वर्षो से आकर बसे ओड़िशा के मूल निवासी कमलोचन ने पहले मानसिंह के ननिहाल पक्ष की बोगस वंशावली में अपना नाम लिखवाकर उसके सहारे आदिवासी समुदाय का होने का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया। इस कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उसने बस्तर फाइटर की नौकरी भी पा ली। इस बात की भनक लगने के बाद मानसिंह ने इस मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया। उसने कलेक्टर, एसपी समेत अन्य अधिकारियों को आवेदन देकर मामले की जांच कराने व कमलोचन को नौकरी से हटाकर उसके खिलाफ एफ आईआर दर्ज कराने की मांग की थी। उसके आवेदन के आधार पर एसडीएम ओपी वर्मा ने मामले की जांच की। जांच में दृष्टया मामला फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवाने का पाया गया। ग्राम पंचायत ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कमलोचन द्वारा प्रस्तुत वंशावली फर्जी है। वह मानसिंह के ननिहाल पक्ष का वंशज है ही नहीं। इसके बावजूद कमलोचन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, उल्टे उसकी रिपोर्ट पर मानसिंह को अब कानूनी पचड़े में पुलिस ने फंसा दिया है।