फर्जीवाड़े की शिकायत की तो ठहरा दिया अमन का दुश्मन

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  • आदिवासी युवक को पुलिस ने लपेट दिया अदालती पचड़े में

बकावंड सच्चाई को सामने लाने के लिए संघर्ष करना एक आदिवासी युवक को भारी पड़ रहा है। खुद को आदिवासी बताकर बस्तर फाइटर की नौकरी पाने वाले ओड़िशा मूल के युवक की करतूत को उजागर करने वाले आदिवासी युवक को पुलिस ने अमन का दुश्मन ठहरा दिया है। ग्राम छोटे देवड़ा निवासी मानसिंग कश्यप ने आरोप लगाया है कि छोटे देवड़ा गांव में रह रहे कथित ओड़िशा मूल के युवक कमलोचन ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर बस्तर फाइटर की नौकरी प्राप्त कर ली है। मानसिंग ने मामले की शिकायत प्रशासन से की है, जिस पर जांच चल रही है। वहीं मानसिंग ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर कमलोचन द्वारा बस्तर फाइटर की नौकरी के लिए पेश किए गए दस्तावेजों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने की भी मांग की थी, जो कि दी नहीं गई। अब कमलोचन की शिकायत पर पुलिस ने मानसिंग के खिलाफ शांति भंग करने के आरोप में धारा 107, 116 के तहत मामला दर्ज कर इस्तगाशा तहसीलदार के न्यायालय में पेश किया है। इस्तगाशे में उल्लेख किया गया है कि मानसिंग और कमलोचन के बीच जमीन संबंधी विवाद है, जिसकी वजह से मानसिंग आएदिन प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष कमलोचन के खिलाफ शिकायतें करता रहा है। इसी आधार पर पुलिस ने मानसिंग को शांति भंग करने का आरोपी बना दिया है।

अब खेल दिया गया दिनांक का भी खेल

मानसिंग को तहसीलदार के कार्यालय से पुलिस के इस्तगाशा के सिलसिले में जो नोटिस जारी किया गया है, उसमें भी साजिश की बूआ रही है। नोटिस में जारी करने की तिथि 30 दिसंबर 2023 अंकित है। इसे मानवीय त्रुटि माना जाए या फिर मानसिंग के खिलाफ किसी साजिश का हिस्सा ? मानसिंग का कहना है कि प्रशासन उसे ऐसे ही दांवपेंच में शुरू से उलझाता आ रहा। पहले उसने सूचना के अधिकार के तहत कमलोचन द्वारा नौकरी के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, यह कहते हुए प्रतियां देने से इंकार कर दिया गया कि दस्तावेज कमलोचन के निजी मामले से जुड़े हैं, इसलिए प्रतियां नहीं दी जा सकतीं। अब तिथि में त्रुटि कहीं उसे फंसाने के लिए तो जानबूझकर नहीं की गई है?