- बच्ची के जनम के बाद भी युवती से विवाह नहीं कर रहा था युवक
- महिला आयोग ने किया सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर जिलों के 27 प्रकरणों का निराकरण
अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य नीता विश्वकर्मा एवं बालो बघेल की उपस्थिति में बुधवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सरगुजा, सूरजपुर एवं बलरामपुर जिलों के 57 प्रकरणों की सुनवाई की गई। अध्यक्ष डॉ. नायक ने अपने कार्यकाल की 162 वीं सुनवाई की। इसमें सूरजपुर से 16, सरगुजा से 26 और बलरामपुर के 15 प्रकरण रखे गए थे। 57 प्रकरणों में 27 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया। शेष प्रकरणों के निराकरण के लिए सुनवाई की तिथि तय की जाएगी। पहले प्रकरण में आनवेदक आवेदिका का शारीरिक शोषण करता रहा। आवेदिका ने एक बच्ची को जन्म दिया, तब भी वह शादी के लिए राजी नहीं हो रहा था। आवेदिका के महिला आयोग में शिकायत करते ही अनावेदक ने आवेदिका से विवाह कर लिया। एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षो की उपस्थित में आवेदिका ने अनावेदक नायब तहसीलदार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। सुनवाई के दौरान आवेदिका ने बताया है प्रकरण अन्य अदालत में लंबित है। नायब तहसीलदार ने बताया कि एसडीएम अम्बिकापुर के पास प्रकरण चल रहा है। अनावेदक ने भी इसे स्वीकार किया। न्यायिक प्रकरण जारी है इसलिए उसी प्रकरण की दुबारा सुनवाई नहीं किया जाएगी। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि पहले नोटरी के पास शादी की थी, लेकिन अनवेदक उसे साथ मे नही रख रहा था। आयोग में प्रकरण लगने के बाद आवेदिका और अनावेदक के परिवार वालों ने शादी 25 जनवरी को विधि विधान से करा दी और अब दोनों एक साथ रह रहे हैं। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध करते हुए प्रकरण को जिला संरक्षण अधिकारी नवा बिहान सरगुजा की निगरानी में रखा गया। एक अन्य प्रकरण में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ महिला उप निरीक्षक ने जानकारी दी कि आवेदिकाएं देवरानी-जेठानी हैं और आएदिन लड़ाई झगड़ा करती रहती हैं। बार-बार धारा 151 और अन्य धाराओं में कार्यवाही की जाती है दोनो पक्षों पर आएदिन आपराधिक प्रकरण दर्ज होते रहते हैं। यह प्रकरण आयोग में सुने जाने योग्य न होने के कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में अनावेदक वर्तमान जेल अधीक्षक के प्रभार में 3 माह से है। उनका वास्तविक पद डिप्टी कलेक्टर का है। उनके द्वारा आवेदिका के बेटे के इलाज से संबंधित समस्त दस्तावेज और जवाब प्रस्तुत किए गए हैं। इस प्रकरण को अध्यन पश्चात रायपुर में निराकृत करने का फैसला लिया गया। इसकी सूचना आवेदिका को भेजी जाएगी।सुनवाई के दौरान आयोग के सचिव आनंद प्रकाश किस्पोट्टा एवं सहायक संचालक पुष्पा किरण कुजूर, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी उपस्थित थे।