हताश और कुंठित लोगों के लिए बजट निराशाजनक : गौरनाथ नाग

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  • भाजपा जब मांग पूरी करने की बजाए मारती थी लाठी, तब नहीं खुलता था मुंह- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यकर्ता बहनों की मानदेय राशि एकमुश्त पांच अंकों में पहुंचाई

जगदलपुर। शहर कांग्रेस महामंत्री गौरनाथ नाग ने वर्ष 2023-24 के राज्य बजट को संवेदनशील मुख्यमंत्री का दूरदर्शी कदम व भविष्य का अविस्मरणीय दस्तावेज बताया है। प्रेस को जारी बयान में उन्होने कहा है कि कुछ दलों के निराश व कुंठित नेता बजट को निराशाजनक बता रहे हैं क्योंकि उनके पास चिढ़ने के अलावा कुछ नहीं बचा है। छत्तीसगढ़ में 15 साल सत्ता पर काबिज रही भाजपा के समय अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों व सामाजिक जनों को लाठियां मिलती थीं। राजधानी में जब कर्मचारी प्रदर्शन करने जाते थे तो अदाणी की कंपनी में चाकरी करने वाले एक अधिकारी के इशारे पर सार्वजनिक शौचालयों में ताला जड़ दिया जाता था। उस अधिकारी के हुकुम की तामिली कराने वाला रायपुर का पूर्व कलेक्टर इन दिनों भाजपा का झंडा थामे हुए है। इनके जुल्मों और बस्तर के दब्बू नेताओं के खामोशी की कहानी कर्मचारी आज तक भूले नहीं हैं। संभाग मुख्यालय में अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग करने के लिए एकत्रित माहरा समाज के लोग कैसे आसना में सत्ता पक्ष के इशारे पर लाठियों से लहू-लुहान किए गए थे, यह समाज के लोग भूले नहीं हैं। यह भाजपा राज के बर्बर कारनामों के चंद उदाहरण हैं। तब बस्तर के भाजपा नेताओं के मुंह से बोल नहीं फूटते थे। आज ऐसे हताश व जनमत से पिटे नेता बजट पर हास्यास्पद प्रतिक्रिया दे रहे हैं। नाग ने कहा है कि भाजपा के शासन में जहां आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के मानदेय में कभी 500 तो कभी 1000 रुपये की नाममात्र की वृधि की जाती थी वहीं प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मास्टर स्ट्रोक मारते एक बार में ही कार्यकर्ताओं का मानदेय पांच अंकों में पहुंचा दिया है। यही नहीं सहायिकाओं, कोटवारों, पटेलों, रसोइयों, मितानिन, सफाई कामगारों समेत अन्य मानदेय कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। विपक्ष अपनी नकारात्मक टिप्पणी करने की चिर- परिचित भूमिका निभाने के लिए बाध्य है, यह बात जनता सुन भी रही है और समझ भी रही है। विपक्ष के नेता भी जान गए हैं कि सीएम बघेल के नेतृत्व में गढबो नवा छत्तीसगढ़ की जो बयार बह रही है उससे टकराना तो दूर उसके सामने टिकना भी मुश्किल है। जनता भी एक सुर में यही बात कह रही है कि- भूपेश है तो भरोसा है।