शिक्षा के मंदिर में ‘पुजारी’ भी गटक रहे भ्रष्टाचार का प्रसाद

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  • तोकापाल ब्लॉक में स्कूलों की मरम्मत के नाम पर जमकर चल रही है कमीशनबाजी
  • बीईओ ने संकुल समन्वयकों को दे रखी है अवैध कमाई की खुली छूट
  • विभाग ने दे रखा था प्राचार्यों के माध्यम से काम कराने के निर्देश

तोकापाल शिक्षा के मंदिर के जिन पुजारियों (शिक्षकों)पर बच्चों को नैतिक और संस्कारवान बनाने की जवाबदेही होती है, वही पुजारी स्वयं नैतिकता और मर्यादा भूलकर खुद तो भ्रष्टाचार का प्रसाद खुलकर गटक रहे हैं, अपने आका बड़े अफसर को भी उस प्रसाद से निहाल कर रहे हैं। शिक्षा मंदिर यानि शाला भवनों की मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला खेल संकुल समन्वयकों के माध्यम से खेला जा रहा है। ये संकुल समन्वयक पहले शिक्षक, प्रधान पाठक या फिर व्याख्याता थे, जो पदोन्नत हो इस ओहदे पर हैं। बस्तर जिले के तोकापाल विकासखंड में शाला भवनों की मरम्मत और साज सज्जा के लिए लाखों रुपए स्वीकृत किए गए हैं।शासन की मंशा है कि मानसून के आगमन और नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले सभी स्कूल दुरुस्त हो जाएं और बच्चों को उत्कृष्ट शैक्षणिक वातावरण पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी मिले। शासन की इस मंशा पर शिक्षा विभाग के अधिकारी पानी फेरने पर तुल गए हैं। जिला स्तर से निर्देश जारी हुआ है कि शाला भवनों की मरम्मत प्राचार्यों के सुपरवाविजन में कराई जाए, लेकिन तोकापाल के विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने इस कार्य की जिम्मेदारी संकुल समन्वयकों को सौंपकर उन्हें कमीशन उगाही की खुली छूट दे दी है। मरम्मत के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। शाला भवनों की छतों की न तो मरम्मत कराई गई है और न ही टार फैलटिंग कराई गई है। बारिश के मौसम ज्यादातर स्कूलों में छतों से पानी टपकने व दीवारों से रिसाव की जो समस्या पहले थी, वह आने वाले बरसात के मौसम में भी बनी रहेगी। बच्चों को भीगते हुए और गंभीर खतरे के बीच पढ़ाई करनी पड़ेगी या फिर ऐसे स्कूलों में छुट्टी कर दी जाएगी। दरवाजे खिड़कियों की भी मरम्मत नहीं कराई गई है। पुराने दरवाजों और खिड़कियों की हल्की फुल्की रिपेयरिंग कराकर उन्हें फिर से लगा दिया गया है। उखड़ी हुई फ्लोरिंग का काम नए सिरे से न कराकर जहां जहां फ्लोरिंग उखड़ी हुई थी, वहां सीमेंट भरवा कर इतिश्री कर ली गई है। दीवारें भी पुरानी अवस्था में छोड़ दी गई हैं। केवल बाहरी दीवारों का रंग रोगन करवाकर राशि रकम डकार ली गई है। कई स्कूलों के प्राचार्य बीईओ की इस कार्यप्रणाली को लेकर खफा हैं और मरम्मत कार्य को नियम विरूद्ध अंजाम दिए जाने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री जतन योजना के कार्यों में भी कमीशन का खेल चल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए स्कूलों को सर्वसुविधायुक्त बनाने का प्रयास कर रही है। इसी तारतम्य में मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत जिले के जर्जर स्कूलों की मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सभी जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत का कार्य 15 जून तक पूर्ण करा लेने के निर्देश के साथ राशि शिक्षा विभाग को जारी की गई है। मरम्मत कार्य खंड शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में संबंधित स्कूलों के प्राचार्य से कराने का फरमान जारी किया गया है, जिसका अधिकांश खंड शिक्षा अधिकारी पालन भी कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को संबंधित स्कूलों के प्राचार्य के माध्यम से मरम्मत कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। तोकापाल के बीईओ ने आदेश को दरकिनार कर अपने चहेते कुछ संकुल समन्वयकों की मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी दे रखी है। कार्य कराने की जिम्मेदारी प्राचार्यों को दी जानी थी, लेकिन कमीशन के फेर में संकुल समन्वयकों को ठेकेदार बना दिया गया है। इसे लेकर प्राचार्य एवं संकुल समन्वयक में आपसी मनमुटाव उपजने की खबर है।मुख्यमंत्री जतन योजना में भी जेब भरने का जतन

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं। स्कूलों को सभी सुविधाओं से युक्त तथा शाला भवनों को व्यवस्थित और सुघड़ बनाने के लिए सीएम बघेल ने मुख्यमंत्री जतन योजना शुरू कर करोड़ों रुपयों की मंजूरी दी है। लेकिन शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी कमीशन के चक्कर में मुख्यमंत्री जतन योजना को भी पलिता लगाने से नहीं चूक रहे हैं। इसका तोकापाल खंड शिक्षा विभाग ज्वलंत उदाहरण है। तोकापाल के बीईओ से इस मामले में प्रतिक्रिया लेने के लिए दूरभाष से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। खबर है कि जिला शिक्षा अधिकारी तोकापाल बीईओ के कार्यों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें फटकार भी लगा चुके हैं।