बेच खाए गरीबों के हिस्से के लाखों का चावल, शक्कर, चना

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  • 530.48 क्विंटल चांवल, 19.8 क्विंटल शक्कर, 18 क्विंटल नमक, 41.43 क्विंटल चना और 23.86 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी
  • फूड इंस्पेक्टर दीवान द्वारा की गई जांच में उजागर हुई कालाबाजारी


अर्जुन झा
बकावंड विकासखंड बकावंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली कालाबाजारियों के चंगुल में फंस गई है। आदिवासियों और अन्य आम उपभोक्ताओं को रियायती दर पर देने
के लिए शासन द्वारा भेजे जाने वाले राशन की धड़ल्ले से कालाबाजारी की जा रही है। क्षेत्र के सीनियर फूड इंस्पेक्टर आशीष दीवान द्वारा की गई जांच में सात शासकीय उचित मूल्य की दुकानों की बड़ी करतूत उजागर हुई है। इन दुकानों के विक्रेताओं ने 530.48 क्विंटल चावल, 19.08 क्विंटल शक्कर, 17.62 क्विंटल नमक, 41.43 क्विंटल चना और 23.86 क्विंटल गुड़ की कालाबाजारी की है। इन दुकान संचालकों के खिलाफ कार्रवाई हेतु प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को सौंपा जा चुका है।


खाद्य विभाग द्वारा की जा रही जांच में शासकीय राशन दुकानों की बड़ी गड़बड़िययां लगातार सामने आ रही हैं। बस्तर जिले में कई राशन दुकानों में गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं। मगर फर्जीवाड़ा करने वाले दुकान संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में खाद्य विभाग और जिला प्रशासन क्यों कतरा रहे हैं, इसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन की कालाबाजारी और अफरा तफरी करने पर संबंधित राशन दुकान संचालक को सीधे सीधा जेल भेजने का प्रावधान है, मगर आज तक खाद्य विभाग या जिला प्रशासन द्वरा इस तरह की कड़ी कार्रवाई किसी दुकान संचालक पर नहीं की गई है। मुंडागांव, कोलचुर, पाहुरबेल, सरगीपाल, संधकमरी, पोटियावंड, राजनगर, किंजोली, कौड़ावंड आदि की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में सैकड़ों क्विंटल चावल, शक्कर, चना, नमक, गुड़ की अफरा तफरी का बड़ा मामला सामने आया है। जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने के बाद भी दुकान संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। इसे लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। ग्रामीणों का कहना है कि राजनैतिक संरक्षण की वजह से कालाबाजारी करने वाले राशन दुकान संचालकों एवं विक्रेताओं पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
राशन दुकान संचालक संघ अध्यक्ष भी लपेटे में
विकासखंड बकावंड में पदस्थ वरिष्ठ फूड इंस्पेक्टर आशीष दीवान ने 1 व 2 नवंबर 2022 को शासकीय आदेश के तहत बकावंड ब्लॉक की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में जाकर जांच एवं भौतिक सत्यापन किया था। जांच में बकावंड ब्लॉक शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक एवं विक्रेता संघ के अध्यक्ष कमल सिंह नेताम द्वारा संचालित 2 दुकानों में से एक पाहुरबेल ग्राम पंचायत तारापुर की दुकान में भी राशन की बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई थी। पाहुरबेल ग्राम पंचायत तारापुर की दुकान में 67.95 क्विंटल चांवल, 2.57 क्विंटल शक्कर,1.94 क्विंटल नमक, 4.91 क्विंटल चना और 2.76 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी उजागर हुई थी। इन सभी जींसों की शासकीय दर के अनुसार कुल कीमत 2 लाख 68 हजार रूपए आंकी गई है। बताया गया है कि यह चावल, शक्कर, गुड़, चना और नमक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले उपभोक्ताओं के लिए थे।

वन प्रबंधन समिति ने की गड़बड़ी
विकासखंड बकावंड के आदिवासियों और गरीब परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कुछ वन प्रबंधन समितियों ने भी ले रखी है। ये समितियां भी राशन की कालाबाजारी में पीछे नहीं हैं। वन प्रबंधन समिति संधकमरी द्वारा संचालित शासकीय उचित मूल्य की दुकान में गरीब परिवारों के हिस्से के 68.82 क्विंटल चांवल, 346 क्विंटल शक्कर, 633 क्विंटल चना व 2.49 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी पकड़ी गई थी। इन जींसों की शासकीय दर पर कुल कीमत लगभग 2 लाख 66 हजार रूपए आंकी गई है। इसी तरह
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति सरगीपाल द्वारा संचालित दुकान में गरीब परिवारों में वितरण के लिए उपलब्ध कराए गए 119.31 क्विंटल चांवल, 5.96 क्विंटल शक्कर, 5.52 क्विंटल नमक, 6.67 क्विंटल चना और 13.21क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी उजागर हुई है। इस राशन की कुल कीमत लगभग 4 लाख 68 हजार रुपए आंकी गई है।

कालाबाजारी में महिला समूह भी पीछे नहीं
बकावंड विकासखंड में अनेक महिला स्व सहायता समूहों द्वारा भी राशन वितरण किया जाता है। इन्हीं में से एक मां दंतेश्वरी पार्वती महिला स्व सहायता समूह पोटियावंड का नाम भी राशन की कालाबाजारी में सामने आया है। मां दंतेश्वरी पार्वती महिला स्व सहायता पोटियावंड द्वारा संचालित राशन दुकान की जांच के दौरान 60.4 क्विंटल चांवल, 2.49 क्विंटल शक्कर, 2.01 क्विंटल नमक,1.76 क्विंटल चना और 1.24 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी पकड़ी गई थी। इन सभी जींसों की कुल शासकीय कीमत 2 लाख 27 रूपए बताई गई है। ग्राम पंचायत राजनगर की दुकान में 35.37 क्विंटल चावल,54 क्विंटल शक्कर,b7.2 क्विंटल नमक, 9.59 क्विंटल चना व 15 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी उजागर हुई है। इन सामानों की शासकीय दर पर कुल कीमत 1 लाख 73 हजार रुपए है। ग्राम पंचायत किंजोली की दुकान में 148.59 क्विंटल चावल,3.72 क्विंटल शक्कर, 98 क्विंटल नमक, 10.1 क्विंटल चना व 2.99 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी पाई गई। इनकी कुल कीमत 5 लाख 73 हजार रुपए आंकी गई है। ग्राम पंचायत कौड़ावंड की दुकान में 34.04 क्विंटल चावल, 1.06 क्विंटल शक्कर, 15 क्विंटल नमक,2.16 क्विंटल चना और 1.02 क्विंटल गुड़ की अफरा तफरी सामने आई। इनकी कीमत 1.31 लाख रुपए है।

इसलिए कर रहे थे दीवान की पोस्टिंग का विरोध
सीनियर फूड इंस्पेक्टर आशीष दीवान की विकासखंड बकावंड में पोस्टिंग होने के तुरंत बाद 18 अगस्त को दुकान संचालक एवं विक्रेता संघ द्वारा श्री दीवान की पोस्टिंग का विरोध शुरू कर दिया गया था। यह विरोध इसलिए किया गया क्योंकि राशन दुकान संचालकों और विक्रेताओं को मालूम था कि सीनियर फूड इंस्पेक्टर दीवान के सामने उनकी दाल नहीं गलेगी। राशन दुकानों में गड़बड़ी पाई जाने के बावजूद पूर्व के खाद्य निरीक्षकों द्वारा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई थी।जिससे गरीब आदिवासियों के राशन की कालाबाजारी करने वालों के हौसले बढ़ते गए। इसका ही नतीजा है कि दुकान संचालक खाद्यान्न की अफरा तफरी बेखौफ होकर करते रहे हैं। जब उनके काले कारनामे पकड़े गए, तो उन्होंने जांचकर्ता फूड इंस्पेक्टर दीवान के विरूद्ध ही शिकायत करना शुरू कर दिया। दीवान द्वारा की गई कार्रवाई से बकावंड क्षेत्र के गरीबों के खाद्यान्न की अफरा-तफरी करने वाले दुकान संचालक एवं विक्रेता कार्रवाई के डर से फूड इंस्पेक्टर दीवान के खिलाफ ही फर्जी व बदनाम करने वाले आरोप लगाने लगे। जबकि उक्त दुकान संचालकों द्वारा गरीबों के खाद्यान्न में की गई गड़बड़ी के विरुद्ध कार्रवाई की सूचना फूड इंस्पेक्टर आशीष दीवान द्वारा कलेक्टर बस्तर और खाद्य नियंत्रक को नवंबर के पहले सप्ताह में ही दे गई थी। फूड इंस्पेक्टर आशीष दीवान ने उक्त सभी 7 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के विरुद्ध प्रकरण बनाकर एसडीएम बस्तर को निलंबन व एफआईआर कराने के लिए रिपोर्ट दे दी गई है। उम्मीद है कि एसडीएम द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फर्जीवाड़ा उजागर करने की सजा
वहीं फर्जी शिकायत के आधार पर फूड इंस्पेक्टर श्री दीवान का ट्रांसफर बास्तानार कर दिया गया, किंतु 7 दुकान संचालकों पर कोई कार्यवाही नही की गई है। यह एक विचारणीय प्रश्न है। ऐसे में आशंका है कि गरीब आदिवासियों के लिए आए अक्टूबर और नवंबर के अतिरिक्त चावल को उन्हें वितरित न कर अतिरिक्त चावल का एडजेस्टमेंट अफरा तफरी को छुपाने के लिए किया जा सकता है।