विधायक लखेश्वर बघेल को भी ठेंगा दिखा दिया अफसरशाही ने

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  • मोटे अनाज उत्पादन योजना के नाम पर जमकर की गई बंदरबांट
  • बाड़ी विकास कार्यक्रम में गड़बड़ी की जांच के आदेश पर अमल नहीं

बकावंड मोटे अनाज (मिलेट्स) उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की पहल को पलीता लगाने वाले बकावंड जनपद पंचायत के अफसरों ने विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल को भी ठेंगा दिखा दिया है। गड़बड़ी की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए विधायक बघेल ने त्वरित कार्रवाई के लिए जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखा था, जिस पर आज तक अमल नहीं हो सका है। इससे आभास होता है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी अधिकारी कोई अहमियत नहीं देते।मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा चलाए गए बाड़ी विकास कार्यक्रम में हुए भ्रष्टाचार के मामले की जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है। इस मामले में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के निर्देश को भी नजरअंदाज कर दिया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के आदिवासियों को परंपरागत प्राचीन कृषि प्रणाली से पुनः जोड़कर उन्मुख कोदो, कुटकी, कुल्थी, मक्का, बाजरा जैसे मोटे अनाज के उत्पादन के लिए उन्हें प्रेरित करने संभाग में बाड़ी विकास कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम को नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना से जोड़ा गया है। पूर्व में इसके लिए आदिम जाति विकास परियोजना को केंद्रीय मद की राशि आवंटित की गई थी। इसके तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी किसानों को उनकी बाड़ियों को उपजाऊ बनाने और वहां सब्जियों व मक्का की फसल लेने और अन्य भूमि पर कोदो, कुटकी, कुल्थी, बाजरा जैसे मोटे अनाज की खेती करने के लिए अनुदान, कृषि उपकरण एवं बीजों के किट्स उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था। जनपद पंचायत के कर्मियों और कुछ जनप्रतिनिधियों ने मिलकर चंद किसानों को स्तरहीन बीज किट और फावड़ा, कुदाल जैसे मामूली औजार देकर उनके नाम से लाखों रु. आहरित कर लिए। बीज किट और औजार आपूर्ति का काम ऐसे जनप्रतिनिधियों को दिया गया था, जो मेडिकल स्टोर, स्टेशनरी शॉप, जनरल स्टोर्स आदि चलाते हैं। इन जनप्रतिनिधियों ने किसानों को बीज के एक -दो पैकेट थमा दिए और फर्जी बिल व पावती बनाकर पूरी रकम आहरित कर ली। बस्तर जिले के विभिन्न विकासखंडों की ग्राम पंचायतों में कोदो, कुटकी, मक्का, रागी, बाजरा आदि की खेती के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। बकावंड जनपद की ग्राम पंचायत कोसमी, उड़ियापाल, मोंगरापाल के किसानों के नाम से बोगस बिल, पावती आदि जमा कर लाखों रुपयों की बंदरबांट कर ली गई है। कोसमी ग्राम पंचायत में 16 हितग्राही आदिवासी किसानों को कोदो, कुटकी, मक्का रागी के बीज किट तथा बाड़ी सुधार के नाम से फावड़ा, कुदाल, तगाड़ी जैसे मामूली औजारों का वितरण कर हर हितग्राही के नाम पर 16 हजार 500 रु. का आहरण जनपद पंचायत के कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने कर लिया है। किसानों को जो बीज किट और औजार उपलब्ध कराए गए हैं, उनकी कुल कीमत आठ – नौ सौ रु. से ज्यादा नहीं है।

पत्र में यह कहा था विधायक बघेल ने

बकावंड जनपद में हुई गड़बड़ी के मामले में बस्तर के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने किसी भी कर्मी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। तीन माह पहले विधायक बघेल ने जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों, संबंधित कर्मियों और हितग्राहियों की सूची के साथ उपस्थित होने के लिए कहा था। बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जिला पंचायत सीईओ का निर्देश भी बेअसर

जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने तोमामले पर संज्ञान लिया और जांच के आदेश भी दिए, लेकिन यह आदेश भी बेअसर रहा। बस्तर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बकावंड जनपद पंचायत के सीईओ को मामले की जांच के निर्देश दिए थे। जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर किस तरह की कार्रवाई हुई और क्या निष्कर्ष निकला यह अब तक पता नहीं चल पाया है। वहीं जिन कर्मियों के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं, वे आज भी अपने पदों पर बने रहकर जनपद पंचायत कार्यालय में मजे से काम कर रहे हैं। वहीं दागी जनप्रतिनिधि भी पहले की तरह ही सिर ऊंचा किए घूम रहे हैं। बकावंड मंडल भाजपा के अध्यक्ष धनुर्जय कश्यप ने भी इस मामले की जांच की मांग पुरजोर ढंग से उठाई थी। कश्यप की आवाज भी अफसरों ने अनसुनी कर दी।